नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की ओर से संचालित विभिन्न अस्पतालों (Delhi government hospital strike) की नर्सों ने अपनी सेवाओं को नियमित करने और लंबे समय से लंबित पदोन्नति देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को भी हड़ताल जारी (strike for second day) रखी. दिल्ली नर्सेज फेडरेशन (डीएनएफ) ने कहा कि यह एक ‘प्रतीकात्मक हड़ताल’ है, जो दो से चार नवंबर के बीच सुबह 9 से 11 बजे तक होगी. बता दें कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की नर्सों ने कल भी इसी तरह से हड़ताल की थी जो पूरी दिल्ली के सरकारी अस्पताल में देखने को मिली थी.
ये भी पढ़ें :- गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 : एक और पांच दिसंबर को होगी वोटिंग, आठ दिसंबर को मतगणना
ओपीडी सेवाएं और वार्ड प्रभावित : डीएनएफ के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने कहा कि आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी, क्योंकि कुछ नर्सें इन दोनों सेवाओं के लिए काम करेंगी. नर्सिंग स्टाफ की बुधवार से शुरू हुई हड़ताल के कारण ओपीडी सेवाएं और वार्ड प्रभावित होंगे. उन्होंने बताया कि डीएनएफ की ओर से घोषित हड़ताल में दिल्ली सरकार की ओर से संचालित सभी प्रमुख सरकारी अस्पताल शामिल हो गए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार के स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य मंत्री नर्सों की समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं. इसलिए एक सांकेतिक हड़ताल की जाएगी. संगठन ने कहा था, “हड़ताल के दौरान मरीजों को होने वाली असुविधा और कठिनाइयों के लिए हम माफी चाहते हैं“.
8 हजार की जगह 6 हजार ही नर्सिंग स्टाफ :डीएनएफ महासचिव रामचंदानी ने कहा कि दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पताल, मसलन एलएनजेपी अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, बीएसए अस्पताल, डॉ. हेडगेवार अस्पताल और एसजीएम अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ भी हड़ताल का हिस्सा हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में नर्सों के 8 हजार स्वीकृत पद हैं, लेकिन 6 हजार नर्सें ही काम कर रही हैं. रामचंदानी ने दावा किया कि तीन नए अस्पताल बने हैं और अन्य सरकारी अस्पतालों के कर्मचारियों को वहां भेज दिया गया है. बिस्तर तो बढ़ा दिए गए हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ की संख्या में वृद्धि नहीं की गई है.
ये भी पढ़ें :-जेल में सत्येंद्र जैन को मिलने वाली सुविधाओं पर केंद्र ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट