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No Bag Day: परीक्षा आई और बस्ता उठाने का बोझ खत्म कर गई - बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चों के लिए नो बैग डे

10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा चल रही है. डेढ़ महीने तक यह परीक्षाएं चलेंगी. इस दौरान छात्रों के लिए नो बैग डे रहेगा. चलिए जानते हैं दिल्ली में नो बैग डे के बारे में.

No Bag Day
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Published : Feb 17, 2023, 3:08 PM IST

नई दिल्ली: बच्चे जब छोटे होते हैं तो अक्सर स्कूल जाने के दौरान अभिभावक से भारी बस्ता उठाने की जिद्द करते हैं. कई बार तो भारी बस्ता न उठाना पड़े, इसलिए स्कूल नहीं जाने का बहाना भी बना देते हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि स्कूल के दिनों में हर इंसान ने भारी बस्ता उठाने का दर्द सहा ही होगा. बहरहाल, मौजूदा समय में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा चल रही है. डेढ़ माह तक यह परीक्षाएं चलेंगी और इस दौरान छात्रों के लिए नो बैग डे रहेगा. परीक्षा के दौरान ही सही छात्रों को अब अपने स्कूल में भारी बस्ता लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्हें कुछ दिनों के लिए आराम भी मिल जाएगा. इससे छात्र कहीं न कहीं खुश भी होंगे. चलिए जानते हैं राजधानी दिल्ली में नो बैग डे के बारे में.

नो बैग डे पर क्या बोले शिक्षक: दिल्ली के स्कूलों में नो बैग डे की मुहिम पर ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के महासचिव शोएब राणा ने बताया कि वह कई वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं और दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली के स्कूलों में नो बैग डे कार्यक्रम या फिर इससे जुड़ी मुहिम नहीं चलाई गई. हालांकि, अगर नो बैग डे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में किया जाता है तो बच्चों को काफी राहत मिलेगी, जिसमें वह कम से कम एक दिन ही सही बस्ता का बोझ उठाने से फ्री होंगे.

क्या कहते हैं छात्र: ओखला स्थित एक सरकारी स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र अंकुश ने बताया कि रोजाना कम से कम 6 पीरियड की पढ़ाई तो होती ही है और इन पीरियड से संबंधित किताबें, कॉपी ले जाना जरूरी होता है. वहीं, किताबों का बोझ परेशान तो करता है, लेकिन इसमें क्या कर सकते हैं. अंकुश फिलहाल बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं.

वहीं, लाजपत नगर के एक निजी स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा सोनी ने बताया कि 6वीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक हमने रोजाना स्कूल बैग लेकर आए. अगर उन दिनों में नो बैग डे होता तो काफी अच्छा लगता. जहां हम भारी बस्ता की जगह आराम से स्कूल में पढ़ाई के लिए आते.

आश्रम निवासी संगीता ने बताया कि नो बैग डे दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूलों में भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में तरह-तरह की एक्टिविटी करा रही है. स्कूलों में भी नो बैग डे होना चाहिए.

बिहार राजस्थान में सप्ताह में एक दिन नो बैग डे: बिहार और राजस्थान में फिलहाल सप्ताह में एक दिन नो बैग डे होता है. राजस्थान में हर शनिवार को बच्चों को भारी बस्ता उठाने से मुक्ति मिलती है और वह खुशी-खुशी अपने स्कूल पहुंचते हैं. साथ ही अपने शिक्षकों के साथ अपने संबंध में सुधार लाते हैं और खुद को तरोताजा महसूस करते हैं. वहीं, बिहार में भी नो बैग डे चलाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली CM Arvind Kejriwal 19 मार्च को जाएंगे छत्तीसगढ़, करेंगे चुनावी शंखनाद

नई दिल्ली: बच्चे जब छोटे होते हैं तो अक्सर स्कूल जाने के दौरान अभिभावक से भारी बस्ता उठाने की जिद्द करते हैं. कई बार तो भारी बस्ता न उठाना पड़े, इसलिए स्कूल नहीं जाने का बहाना भी बना देते हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि स्कूल के दिनों में हर इंसान ने भारी बस्ता उठाने का दर्द सहा ही होगा. बहरहाल, मौजूदा समय में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा चल रही है. डेढ़ माह तक यह परीक्षाएं चलेंगी और इस दौरान छात्रों के लिए नो बैग डे रहेगा. परीक्षा के दौरान ही सही छात्रों को अब अपने स्कूल में भारी बस्ता लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्हें कुछ दिनों के लिए आराम भी मिल जाएगा. इससे छात्र कहीं न कहीं खुश भी होंगे. चलिए जानते हैं राजधानी दिल्ली में नो बैग डे के बारे में.

नो बैग डे पर क्या बोले शिक्षक: दिल्ली के स्कूलों में नो बैग डे की मुहिम पर ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के महासचिव शोएब राणा ने बताया कि वह कई वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं और दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली के स्कूलों में नो बैग डे कार्यक्रम या फिर इससे जुड़ी मुहिम नहीं चलाई गई. हालांकि, अगर नो बैग डे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में किया जाता है तो बच्चों को काफी राहत मिलेगी, जिसमें वह कम से कम एक दिन ही सही बस्ता का बोझ उठाने से फ्री होंगे.

क्या कहते हैं छात्र: ओखला स्थित एक सरकारी स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र अंकुश ने बताया कि रोजाना कम से कम 6 पीरियड की पढ़ाई तो होती ही है और इन पीरियड से संबंधित किताबें, कॉपी ले जाना जरूरी होता है. वहीं, किताबों का बोझ परेशान तो करता है, लेकिन इसमें क्या कर सकते हैं. अंकुश फिलहाल बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं.

वहीं, लाजपत नगर के एक निजी स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा सोनी ने बताया कि 6वीं क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक हमने रोजाना स्कूल बैग लेकर आए. अगर उन दिनों में नो बैग डे होता तो काफी अच्छा लगता. जहां हम भारी बस्ता की जगह आराम से स्कूल में पढ़ाई के लिए आते.

आश्रम निवासी संगीता ने बताया कि नो बैग डे दिल्ली के निजी और सरकारी स्कूलों में भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में तरह-तरह की एक्टिविटी करा रही है. स्कूलों में भी नो बैग डे होना चाहिए.

बिहार राजस्थान में सप्ताह में एक दिन नो बैग डे: बिहार और राजस्थान में फिलहाल सप्ताह में एक दिन नो बैग डे होता है. राजस्थान में हर शनिवार को बच्चों को भारी बस्ता उठाने से मुक्ति मिलती है और वह खुशी-खुशी अपने स्कूल पहुंचते हैं. साथ ही अपने शिक्षकों के साथ अपने संबंध में सुधार लाते हैं और खुद को तरोताजा महसूस करते हैं. वहीं, बिहार में भी नो बैग डे चलाया जा रहा है.

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