नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना के हालात पर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव व प्रधान सचिव तथा नोडल अधिकारी व प्रधान स्वास्थ्य सचिव के साथ कोविड-19 के प्रबंधन की समीक्षा की.
दिल्ली में सिरो सर्वे जो 27 जून से शुरू हुआ था, उसके बारे में उपराज्यपाल को बताया गया कि सर्वे का काम पूरा हो चुका है. इसके लिए कुल 22,823 नमूने लिए गए हैं. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) अब परिणामों का विश्लेषण कर रहा है. जिससे कोविड के खिलाफ प्रशासन को अपनी रणनीति के पुनर्मूल्यांकन में मदद मिलेगी.
एक पखवाड़े के हालात में सुधार
बैठक के दौरान उपराज्यपाल को सूचित किया गया कि दिल्ली में सभी के सामूहिक प्रयास से पिछले एक पखवाड़े में चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में काफी सुधार हुआ है. वर्तमान में डेडीकेटेड कोविड अस्पतालों में 15301 बेड हैं. जिनमें 1852 आईसीयू बेड और 888 वेंटिलेटर बेड उपलब्ध है. दिल्ली में एंटीजन टेस्ट जो कि 18 जून से शुरू किए गए हैं, तब से लेकर 4 जुलाई तक कुल 1,82,022 टेस्ट किए जा चुके हैं. एंबुलेंस की संख्या के बारे में भी बताया गया कि एंबुलेंस की संख्या 337 से बढ़कर 602 हो चुकी है. परिणाम स्वरूप रिस्पांस टाइम 55 मिनट से घटकर 30 मिनट हो चुका है.
मरीजों और तीमारदारों का बढ़ाएं मनोबल
उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग को सलाह दी है कि वह स्वास्थ्य चिकित्सा कर्मियों के साथ-साथ रोगियों एवं उनके रिश्तेदारों के मनोबल एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने के हर संभव उपाय करें. रोगियों को उनके रिश्तेदारों से वीडियो कॉल द्वारा बातचीत, समय पर संपर्क, वार्ड में सीसीटीवी निगरानी, खाली बेड की डिस्प्ले द्वारा जानकारी, हेल्पडेस्क, 24 घंटे सातों दिन हेल्पलाइन, रैपिड एंटीजन टेस्टिंग, वार्ड में टीवी की व्यवस्था आदि सभी को अस्पताल में उपलब्ध कराई जा रही है.
सामुदायिक देखभाल की जरूरत
उपराज्यपाल ने दोहराया कि स्वास्थ्य व्यवस्था के सहयोग से सामुदायिक देखभाल के लिए कम्युनिटी रिस्पांस को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. ताकि उसका लाभ समुदाय में कोरोना के रोकथाम के लिए रोगियों को लाने एवं ले जाने की व्यवस्था एवं शवों को उचित प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार में मदद मिल सके.
उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि दिल्ली में मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं. उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को सलाह दी कि सभी रोगियों की जान बचाने के लिए 'गोल्डन आवर' काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान एंबुलेंस का इंतजाम रोगियों को होम आइसोलेशन से अस्पताल में भर्ती करने, आईसीयू एवं ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है.