नई दिल्ली: दिल्ली के मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत्ति होने जा रहे हैं. उनके बाद दिल्ली का मुख्य सचिव कौन होगा? यह बड़ा सवाल बन गया है. आमतौर पर मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपराज्यपाल मिलकर नाम तय करते थे, जिसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाता था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों आदेश दिया कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पांच अधिकारियों का नाम तय कर नाम दिल्ली सरकार को सुझाए, ताकि उनमें से किसी एक को मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया जा सके. कोर्ट ने 28 नवंबर तक नाम सुझाने को कहा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बुधवार यानी 29 नवंबर तक, दिल्ली सरकार के नए मुख्य सचिव के नाम की घोषणा हो सकती है.
आरोपों की जांच कर रहें हैं मुख्य सचिव: गौरतलब है कि मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है, जिसके बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति होनी है. नरेश कुमार, मुख्यमंत्री समेत दिल्ली सरकार के मंत्रियों पर लगाए गए कई आरोपों की जांच कर रहे हैं. वहीं इसी महीने दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने नरेश कुमार से संबंधित कई अनियमितताओं को की रिपोर्ट सीएम केजरीवाल को भी भेजी थी. हालांकि इस रिपोर्ट को उपराज्यपाल द्वारा लौटाए जाने के बाद सीबीआई और ईडी के पास जांच के लिए भेज दिया गया था.
दिल्ली सरकार ने कोर्ट में किया निवेदन: ऐसे में आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार को लग रहा है कि केंद्र सरकार कहीं मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल न बढ़ा दें, इसलिए दिल्ली सरकार ने कोर्ट में निवेदन किया कि दिल्ली सेवा कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, इसलिए बिना दिल्ली सरकार के सुझाव लिए मुख्य सचिव के कार्यकाल में विस्तार या फिर नए मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं की जा सकती है. नए कानून के मुताबिक मुख्य सचिव की नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल को है.
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नई नहीं तकरार: जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के साथ ही उपराज्यपाल और सरकार के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर तकरार की स्थिति बनी रहती है. मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना से पहले उपराज्यपाल रहे नजीब जंग के के कार्यकाल में अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उनके साथ भी अधिकांश मुद्दों पर केजरीवाल सरकार की तकरार ही होती रहती थी.
राजनीतिक उठापटक के बाद हुआ था फैसला: वहीं दिल्ली में अधिकारों को लेकर अदालत में चली लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनी हुई सरकार को ही नीतियों से संबंधित फैसला करने का अधिकार दिया और कहा था कि उपराज्यपाल को इसमें दखल करने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि इसके कुछ दिनों बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर ट्रांसफर-पोस्टिंग की सारी शक्तियों को उपराज्यपाल के पास केंद्रित कर दिया था, जिसे बाद में कानूनी रूप भी दे दिया गया था. इसी का नतीजा है कि दिल्ली सरकार का अगला मुख्य सचिव कौन हो, इसको लेकर मुख्यमंत्री से उपराज्यपाल ने कोई भी रायशुमारी नहीं की और नाम तय करने का अधिकार केंद्र पर छोड़ दिया.
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल को निर्देश दिया था कि जिन आईएएस अधिकारियों को मुख्य सचिव पद के लिए सक्षम समझे, उसके नाम का पैनल बनाकर मंगलवार यानी 28 नवंबर को कोर्ट के सामने पेश करें. इन नामों में से एक का चुनाव करके दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट बताएगी कि उनके हिसाब से कौन दिल्ली का मुख्य सचिव होना चाहिए.
अप्रैल 2022 में मुख्य सचिव बने थे नरेश कुमार: 1987 बैच के आईएएस अधिकारी नरेश कुमार, अप्रैल 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नियुक्त किए गए थे. नियुक्ति के बाद वह उस समय सुर्खियों में आए, जब जुलाई 2022 में उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को दिल्ली सरकार की नई शराब नीति पर जांच रिपोर्ट सौंपी. इसमें ढेरों अनियमितताएं होने की बात कही गई थी. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही उपराज्यपाल ने शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सीबीआई द्वारा शराब घोटाले की जांच के बाद एक दर्जन से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का भी नाम शामिल था.
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