नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मनरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय मनरेगा सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें नरेगा संघर्ष मोर्चा ने 2024 के चुनाव में "मोदी हटाओ, देश बचाओ" नारे का आह्वान किया है. यह मोर्चा हर उस गांव में ग्राम-स्तरीय गतिविधियों और ग्राम सभाओं का आयोजन करेगा, जहां मनरेगा मजदूरों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 2024 के चुनाव में कोई भी मनरेगा कार्यकर्ता और मजदूर भाजपा को वोट न दें. इसके अलावा मोर्चा राष्ट्रव्यापी कार्रवाई करेगा. साथ ही दिसंबर 2023 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में विरोध प्रदर्शन होगा.
बुधवार को नरेगा संघर्ष मोर्चा की प्रेस वार्ता में पश्चिम बंगाल खेत समिति की सदस्य अनुराधा तलवार ने बताया कि पश्चिम बंगाल में 16 दिसंबर 2021 से नरेगा मज़दूरों को काम का मानदेह नहीं दिया गया. जबकि मजदूरों ने जुलाई 2022 तक काम किया है. उन्होंने बताया कि अभी तक मजदूरों की दिहाड़ी के 2850 करोड़ बकाया है. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन भी किए. अंत में संगठन ने कोर्ट में केस किया.
केंद्र सरकार का दावा है कि उन्होंने मार्च 2022 से क़ानूनी तौर पर मज़दूरों को दिहाड़ी देना बंद किया है. लेकिन, आर्टिकल 27 के तहत मनरेगा मज़दूरों की दिहाड़ी कोई नहीं रोक सकता है. इसमें साफ लिखा है कि मार्च 2022 के नरेगा में जिन मजदूरों को काम दिया गया है, उसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.
नरेगा संघर्ष मोर्चा की मांग:
- काम की मांग पूरी हो और मजदूरी का भुगतान समय पर हो यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन और समय पर धन जारी करना.
- बढ़ती कीमतों के अनुरूप, मनरेगा मजदूरी दर को बढ़ाकर प्रति दिन 800 रुपए किया जाए.
- प्रति वर्ष गारंटीकृत कार्य दिवसों को बढ़ाकर 200 किया जाना चाहिए.
- NMMS और ABPS जैसे अत्यधिक-केंद्रीकृत तकनीकी समाधान लागू करने के बजाय लोगों की भागीदारी और सतर्कता बढ़ाकर भ्रष्टाचार से लड़ना चाहिए.
- नियमित और स्वतंत्र सामाजिक ऑडिट आयोजित किया जाना चाहिए.
- मनरेगा खातों को पारित करने और नए कार्यों की योजना बनाने के लिए मासिक ग्राम सभा आयोजित की जानी चाहिए.
- देश में चल रहे बेरोजगारी संकट से लड़ने के लिए, शहरी बेरोजगारों के लिए प्रति वर्ष न्यूनतम 200 दिनों के काम की गारंटी देने वाला एक शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम भी शुरू किया जाना चाहिए.
बता दें, मनरेगा संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राष्ट्रीय सम्मेलन में 15 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इसमें सुधार श्रमिकों, कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं, वकीलों और छात्र शामिल हुए.
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