नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है. वहीं पिछले कई दिनों से कमेटी की बैठकों का सिलसिला भी शुरू हो गया है, लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का शिक्षक विरोध कर रहे हैं. वहीं इसको लेकर एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि नई शिक्षा नीति निजीकरण को बढ़ावा देगी.
एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि पिछले दिनों हुई एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर आपत्ती जताई. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से शिक्षा में निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा पर नियुक्ति को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कि शिक्षा की गुणवत्ता खराब हो जाएगी.
'एनईपी से शिक्षा हो जाएगी महंगी'
प्रोफेसर राजेश झा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षा महंगी हो जाएगी. जिसके कारण शिक्षा कुछ ही लोगों तक ही सीमित रह जाएगी, जोकि समाज के लिए बेहद खराब होगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने समिति बनाकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमपर थोपने की कोशिश की है, जिस पर अकादमिक और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में ना ही कोई चर्चा भी ना ही कोई बहस. ऐसे में इस तरह की छात्र विरोधी नीति हमें स्वीकार नहीं.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में किसी भी नीति को लागू करने से पहले उस पर बहस कर यह जाना जाएगा कि वह छात्र हित में है या नहीं. इसके बाद ही कोई शिक्षा नीति विश्वविद्यालय में लागू हो सकेगी. साथ ही कहा कि यदि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन मनमाने तरीके से कोई शिक्षा नीति हम पर थोपता है, तो उसका शिक्षक और छात्र पुरजोर विरोध करेंगे.
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करने को लेकर रोड मैप तैयार करने के लिए 42 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जिसमें डीन, डिपार्टमेंट हेड, अकादमिक काउंसिल, एग्जीक्यूटिव काउंसिल, प्रिंसिपल सहित कई विशेषज्ञ शामिल हैं.