नई दिल्ली: आजकल दिल्ली की राजनीति में खूब आंख मिचौली का खेल चल रहा है. तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात वाली कहावत इस वक्त दिल्ली की दो पार्टी भाजपा और आम आदमी पार्टी पर सटीक बैठती हुई दिख रही हैं. दरअसल, 31 मार्च को निगम में कार्यरत कांट्रेक्ट कर्मचारियों का आखिरी दिन था, तो इस पर राजनीति तो होनी थी. इसका ठीकरा भाजपा के प्रवीन शंकर कपूर ने केजरीवाल पर फोड़ा था. हालांकि कुछ घंटो में ही दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय ने भाजपा को करारा जवाब देते हुए कमिश्नर ज्ञानेश भारती और एडिशनल कमिश्नर को तुरंत आदेश दिया कि किसी भी ठेका कर्मचारी को बाहर नहीं किया जाएगा.
दिल्ली नगर निगम में तमाम कर्मचारी लगभग कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर रखे हुए हैं. बात चाहे डाटा एंट्री ऑपरेटर की हो, बागानों में देखभाल करने वाले माली या चौकीदार की हो, कॉन्ट्रैक्ट के नियम के अनुसार 31, मार्च तक उनका कार्य दिवस आखिरी था. इसी को लेकर भाजपा के विजय शंकर कपूर ने बयान दिया किया केजरीवाल की निगम सरकार ने ठेका कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. बस इसके बाद ही कर्मचारियों में खलबली मच गई. सभी कर्मचारी असमंजस में पड़ गए कि हमारे भविष्य का आगे क्या होगा?
गौरतलब है कि नगर निगम की ओर से मेसर्स ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसलटेंट इंडिया लिमिटेड और मेसर्स प्राविधि इंडिया सहित मेसर्स नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वो 31 मार्च, 2023 से अपने संविदा कर्मियों को हटा ले. इस तारीख के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए गए उनके कर्मचारियों को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा.
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ये ख़बर जब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों तक पहुंची, तो मानो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. हालांकि इसी बीच राहत की खबर यह मिली कि मामले में संज्ञान लेते हुए दिल्ली मेयर डॉ शैली ओबरॉय ने तुरंत ही कमिश्नर ज्ञानेश भारती सहित एडिशनल कमिश्मर को निर्देश दिया किया इन सभी कर्मचारियों का कार्य विस्तार किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा ही गरीब और मजदूर हितैषी रहे हैं. इसी के मद्देनजर अब किसी भी कर्मचारी को चिंतित होने की जरुरत नहीं है, उनका कार्य चलता रहेगा.
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