नई दिल्ली: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिक्षा के नाम पर झूठे दावें करने वाली AAP सरकार की पोल जनता के सामने खोलने का दावा किया. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यसभा सांसद अरुण सिंह समेत कई नेता उपस्थित रहे.
'विज्ञापनों में हुआ स्कूलों का विकास'
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मनोज तिवारी ने कहा कि आज हम एक डेटा जनता के सामने रखने जा रहे हैं, जो दिल्ली की शिक्षा से संबंधित है. आम आदमी पार्टी के 5 साल के कार्यकाल में शिक्षा के नाम पर विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च करके जनता के सामने झूठ परोसा गया. दावा किया गया कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था देश और दुनिया में सबसे अच्छी है.
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मैंने कई जनसभाएं दिल्ली में की, जहां हमने लोगों से पूछा कि कोई नया स्कूल बना क्या आपके क्षेत्र में. जवाब में कहीं से भी जनता ने हां में उत्तर नहीं दिया, जो ये स्पष्ट करता है कि AAP ने वादा तो किया लेकिन पूरा नहीं किया.
मनोज तिवारी ने आगे कहा कि हमारे नए स्कूल के सवालों से AAP और उसके नेताओं को बहुत ही तकलीफ हुई और उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह कुछ दिन दिल्ली के स्कूलों में गुजारें. मनीष सिसोदिया जो दिल्ली के शिक्षा मंत्री हैं, उन्हें हम शिक्षा के सही आकड़ें बताकर शिक्षा के दावों की पोल जनता के सामने खोलने जा रहे हैं.
'आकड़ों में पिछड़ती दिखी दिल्ली सरकार'
मनोज तिवारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि साल 2019 में 10वीं के परिणाम पर नजर डाली जाए तो यूपी में 80.07 प्रतिशत छात्र पास हुए. बिहार में 80.73 प्रतिशत छात्र और दिल्ली में केवल 71.58 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री जनता को जवाब दें कि इतनी बड़ी संख्या में छात्र फेल कैसे हुए. जब आपकी शिक्षा का स्तर सबसे बेहतर है तो छात्र फेल कैसे हुए. 2015 में 500 नए स्कूल खोलने की बात AAP ने की लेकिन स्कूल नहीं खोले सिर्फ कमरें बनाये. लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक कितने लाए, इसका जवाब केजरीवाल सरकार के पास नहीं है.
'16 लाख छात्रों के दावा भी निकला झूठ'
मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार दावा करती है कि दिल्ली के स्कूलों में 16 लाख छात्र पढ़ रहे हैं. जबकि आरटीआई में सामने आई जानकारी के मुताबिक साल 2019-20 में कुल 12 लाख 64 हजार 959 छात्र दिल्ली के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं. सवाल उठता है कि इतना बड़ा अन्तर छात्रों में कहां से आया.
उनका कहना है कि आरटीआई के मुताबिक ही 4 लाख 98 हजार छात्र 9वीं 10वीं 11वीं में फेल हुए. जिन्हें दोबारा दाखिला नहीं दिया गया. प्राइवेट स्कूलों में 13 लाख 65 हजार 818 छात्र पढ़ते थे. जो आज बढ़कर 16 लाख 21 हजार 364 हो गए हैं. जिसका अर्थ साफ है कि इनका शिक्षा का बखान झूठा और खोखला है.