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Interview: दिल्ली- एनसीआर में प्रदूषण की प्रमुख वजह मानवजनित, नियंत्रण के लिए मास क्लीनिंग की जरूरत - एनसीआर में प्रदूषण की प्रमुख वजह मानवजनित

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के तमाम उपाय करने के बावजूद इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है. वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है. इस पर काबू पैसे पाएं, जानिए इस बारे में क्या कहना है सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) के बोर्ड मेंबर डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता का.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 27, 2023, 5:15 PM IST

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी के बोर्ड मेंबर डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता

नई दिल्ली: प्रदूषण ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर को अपनी जद में ले लिया है. हर व्यक्ति प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए जाने के बावजूद ये कम नहीं हो रहा है. देखा जाए तो गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) औसत से ज्यादा होता है. सर्दियों में प्रदूषण के कण ऊपर नहीं जा पाते व वायुमंडल में ही रह जाते हैं. ऐसे में प्रदूषण की समस्या विकराल हो जाती है. इस प्रदूषण की वजह क्या है ? आखिर प्रदूषण कम क्यों नहीं हो रहा है ? क्या करने की सबसे ज्यादा जरूरत है ? इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) के बोर्ड मेंबर डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता से. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश....

सवाल: सर्दियां आते ही दिल्ली प्रदूषण की चपेट में आ जाती है, इसके पीछे क्या कारण हैं ?
जवाब: पॉल्यूशन दो तरीके का होता है, एक मानव निर्मित और दूसरा प्राकृतिक. दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख कारण मानव निर्मित है. यानी लोगों द्वारा किया गया प्रदूषण. प्रदूषण को एयर क्वालिटी इंडेक्स में नापा जाता है. यदि 50 है तो अच्छा, 100 है तो संतोषजनक, 100 से अधिक है तो खराब और 300 से अधिक होने पर बहुत खराब माना जाता है.

दिल्ली एक ऐसा शहर है जिसकी गिनती विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में होती है. यह हमारे लिए शर्म की बात है. सर्दियों में प्रदूषण की दिक्कत ज्यादा होती है क्योंकि नेचुरल कंडीशन ऐसी होती है कि धूल के कण उड़ नहीं पाते, वायुमंडल में ही बने रहते हैं. इससे प्रदूषण बढ़ जाता है. गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 और 100 हो तो सर्दियों में एक्यूआई 200 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप वर्ष भर की बात करें तो दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200, 250, 300 तक रहता है. इसका मतलब दिल्ली में इनबिल्ट पॉल्यूशन है.

सवाल : मानव जनित प्रदूषण कौन-कौन से हैं और कुल प्रदूषण में इनकी कितनी हिस्सेदारी है?
जवाब : मानव जनित पॉल्यूशन के तीन-चार स्रोत होते हैं, जिसमें धूल से पॉल्यूशन, इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, व्हीकल पॉल्यूशन और बायोमास बर्निंग है. दिल्ली में 38 प्रतिशत पॉल्यूशन धूल उड़ने के कारण होता है. दिल्ली में 28000 किलोमीटर की सड़क हैं, जिनके रखरखाव का काम पीडब्ल्यूडी और एमसीडी द्वारा किया जाता है. जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर हैं. सड़कों में जगह-जगह गड्ढे हैं और धूल एकत्रित है. जब वाहन गुजरते हैं तो सड़कों से धूल उड़ती है, यही कारण है कि वर्ष भर दिल्ली में प्रदूषण 200 से 300 के बीच रहता है. सर्दियों में यह धूल के कण हवा के साथ आगे नहीं निकाल पाते और वायुमंडल में बने रहते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ जाता है. इसके साथ ही सर्दी में पराली जलाने से भी थोड़ा प्रदूषण बढ़ता है.

सवाल : दिल्ली में क्या काम होने चाहिए थे जो नहीं हुए ?
जवाब : मुझे लगता है कि यहां बड़े स्तर पर सफाई की जरूरत है. दिल्ली में प्रतिदिन 3100 टन निर्माण एवं ध्वस्तीकरण (सी एंड डी) वेस्ट निकलता है. इसके निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं है. दिल्ली में सिर्फ 700 टन सी एंड डी वेस्ट का ही निस्तारण हो पाता है. यह वेस्ट दिल्ली के खाली प्लाट व सड़कों के किनारे पड़ा रहता है और प्रदूषण के कारक बनता है. त्योहार आने पर दिल्ली में सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ जाता है. ट्रैफिक मैनेजमेंट भी काफी मायने रखता है, दिल्ली में करीब 1 करोड़ वाहन रजिस्टर हैं.

सवाल : स्वास्थ्य और प्रकृति पर प्रदूषण का कितना असर हो रहा है ?
जवाब : दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए मुख्य कारणों पर काम नहीं हो रहा है सिर्फ कॉस्मेटिक काम हो रहा है. जिससे प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल रही है. सभी राजनीतिक दल और पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों को एक साथ बैठकर प्रदूषण की समस्या का हल निकालना चाहिए. बीते वर्ष डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 22 लाख बच्चे फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं. पापुलेशन ग्रोथ भी प्रदूषण का एक कारण है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में .62 किलोमीटर जंगल कम हो गया है. एयर पॉल्यूशन से इंसान ही नहीं पेड़-पौधे भी परेशान हैं. आबादी के अनुसार दिल्ली में 23 करोड़ पेड़ होने चाहिए लेकिन कितने पौधे हैं, सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है.

सवाल : प्रदूषण की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी काम क्या होना चाहिए ?
जवाब : सबसे पहले स्वच्छता अभियान के तहत वृहद स्तर पर सफाई होनी चाहिए. मानवजनित प्रदूषण को रोका जाना चाहिए. दिल्ली में बड़ी सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपिंग तो हो जाती है लेकिन छोटी सड़कों पर नहीं हो पाती है. पहले पानी का छिड़काव कर झाड़ू लगाई जाती थी लेकिन अब बिना छिड़काव के ही झाड़ू लगाई जाती है जिससे और धूल उड़ती है. आज दिल्ली में हर इलाका हॉटस्पॉट है. सरकार को यह पता होने के बावजूद कि यह इलाका हॉटस्पॉट है, वहां प्रदूषण कम नहीं हुआ. सिर्फ एक्शन प्लान ही बनता रहता है, धरातल पर काम नहीं होता, जिसकी वजह से लोगों को प्रदूषण से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. फील्ड में निकलने के बाद खुद ही पता चल जाता है कि कहां पर किस वजह से प्रदूषण हो रहा है.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी के बोर्ड मेंबर डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता

नई दिल्ली: प्रदूषण ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर को अपनी जद में ले लिया है. हर व्यक्ति प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए जाने के बावजूद ये कम नहीं हो रहा है. देखा जाए तो गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) औसत से ज्यादा होता है. सर्दियों में प्रदूषण के कण ऊपर नहीं जा पाते व वायुमंडल में ही रह जाते हैं. ऐसे में प्रदूषण की समस्या विकराल हो जाती है. इस प्रदूषण की वजह क्या है ? आखिर प्रदूषण कम क्यों नहीं हो रहा है ? क्या करने की सबसे ज्यादा जरूरत है ? इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) व दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) के बोर्ड मेंबर डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता से. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश....

सवाल: सर्दियां आते ही दिल्ली प्रदूषण की चपेट में आ जाती है, इसके पीछे क्या कारण हैं ?
जवाब: पॉल्यूशन दो तरीके का होता है, एक मानव निर्मित और दूसरा प्राकृतिक. दिल्ली में प्रदूषण का प्रमुख कारण मानव निर्मित है. यानी लोगों द्वारा किया गया प्रदूषण. प्रदूषण को एयर क्वालिटी इंडेक्स में नापा जाता है. यदि 50 है तो अच्छा, 100 है तो संतोषजनक, 100 से अधिक है तो खराब और 300 से अधिक होने पर बहुत खराब माना जाता है.

दिल्ली एक ऐसा शहर है जिसकी गिनती विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में होती है. यह हमारे लिए शर्म की बात है. सर्दियों में प्रदूषण की दिक्कत ज्यादा होती है क्योंकि नेचुरल कंडीशन ऐसी होती है कि धूल के कण उड़ नहीं पाते, वायुमंडल में ही बने रहते हैं. इससे प्रदूषण बढ़ जाता है. गर्मियों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 और 100 हो तो सर्दियों में एक्यूआई 200 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आप वर्ष भर की बात करें तो दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200, 250, 300 तक रहता है. इसका मतलब दिल्ली में इनबिल्ट पॉल्यूशन है.

सवाल : मानव जनित प्रदूषण कौन-कौन से हैं और कुल प्रदूषण में इनकी कितनी हिस्सेदारी है?
जवाब : मानव जनित पॉल्यूशन के तीन-चार स्रोत होते हैं, जिसमें धूल से पॉल्यूशन, इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, व्हीकल पॉल्यूशन और बायोमास बर्निंग है. दिल्ली में 38 प्रतिशत पॉल्यूशन धूल उड़ने के कारण होता है. दिल्ली में 28000 किलोमीटर की सड़क हैं, जिनके रखरखाव का काम पीडब्ल्यूडी और एमसीडी द्वारा किया जाता है. जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर हैं. सड़कों में जगह-जगह गड्ढे हैं और धूल एकत्रित है. जब वाहन गुजरते हैं तो सड़कों से धूल उड़ती है, यही कारण है कि वर्ष भर दिल्ली में प्रदूषण 200 से 300 के बीच रहता है. सर्दियों में यह धूल के कण हवा के साथ आगे नहीं निकाल पाते और वायुमंडल में बने रहते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ जाता है. इसके साथ ही सर्दी में पराली जलाने से भी थोड़ा प्रदूषण बढ़ता है.

सवाल : दिल्ली में क्या काम होने चाहिए थे जो नहीं हुए ?
जवाब : मुझे लगता है कि यहां बड़े स्तर पर सफाई की जरूरत है. दिल्ली में प्रतिदिन 3100 टन निर्माण एवं ध्वस्तीकरण (सी एंड डी) वेस्ट निकलता है. इसके निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं है. दिल्ली में सिर्फ 700 टन सी एंड डी वेस्ट का ही निस्तारण हो पाता है. यह वेस्ट दिल्ली के खाली प्लाट व सड़कों के किनारे पड़ा रहता है और प्रदूषण के कारक बनता है. त्योहार आने पर दिल्ली में सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ जाता है. ट्रैफिक मैनेजमेंट भी काफी मायने रखता है, दिल्ली में करीब 1 करोड़ वाहन रजिस्टर हैं.

सवाल : स्वास्थ्य और प्रकृति पर प्रदूषण का कितना असर हो रहा है ?
जवाब : दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए मुख्य कारणों पर काम नहीं हो रहा है सिर्फ कॉस्मेटिक काम हो रहा है. जिससे प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल रही है. सभी राजनीतिक दल और पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों को एक साथ बैठकर प्रदूषण की समस्या का हल निकालना चाहिए. बीते वर्ष डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 22 लाख बच्चे फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं. पापुलेशन ग्रोथ भी प्रदूषण का एक कारण है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में .62 किलोमीटर जंगल कम हो गया है. एयर पॉल्यूशन से इंसान ही नहीं पेड़-पौधे भी परेशान हैं. आबादी के अनुसार दिल्ली में 23 करोड़ पेड़ होने चाहिए लेकिन कितने पौधे हैं, सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है.

सवाल : प्रदूषण की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी काम क्या होना चाहिए ?
जवाब : सबसे पहले स्वच्छता अभियान के तहत वृहद स्तर पर सफाई होनी चाहिए. मानवजनित प्रदूषण को रोका जाना चाहिए. दिल्ली में बड़ी सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपिंग तो हो जाती है लेकिन छोटी सड़कों पर नहीं हो पाती है. पहले पानी का छिड़काव कर झाड़ू लगाई जाती थी लेकिन अब बिना छिड़काव के ही झाड़ू लगाई जाती है जिससे और धूल उड़ती है. आज दिल्ली में हर इलाका हॉटस्पॉट है. सरकार को यह पता होने के बावजूद कि यह इलाका हॉटस्पॉट है, वहां प्रदूषण कम नहीं हुआ. सिर्फ एक्शन प्लान ही बनता रहता है, धरातल पर काम नहीं होता, जिसकी वजह से लोगों को प्रदूषण से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. फील्ड में निकलने के बाद खुद ही पता चल जाता है कि कहां पर किस वजह से प्रदूषण हो रहा है.

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