नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में श्रद्धांजलि सभा हुई. मुख्य अतिथि डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बापू को याद करते हुए कहा कि गांधी को गांधी सिर्फ त्याग, तपस्या और अहिंसा नहीं बनाते, बल्कि वे निडर बनाते हैं. गांधी का व्यक्तित्व और आचरण उन्हें सबसे अलग करता है. कार्यक्रम के अंत में 2 मिनट का मौन रख कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई.
कुलपति ने कहा कि 1948 के बाद भी गांधी जी की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. आज भी अगर कोई अपने मुद्दे को सच्चा और अच्छा दिखाना चाहता है तो वह राजघाट जाता है. जिसको न्याय चाहिए वो भी राजघाट जाता है क्योंकि इतने वर्षों के बाद भी गांधी सत्य, न्याय और भाईचारे का प्रतीक बन कर आज भी राजघाट पर सोए हैं. गांधी ने अपने और अपने परिवार के लिये कुछ नहीं किया, उन्होंने राष्ट्रहित में काम किये. उन्होंने आजादी के आंदोलन में हर नागरिक को जोड़ने का काम किया.
क्या केंद्र की नीतियां गांधी जी की सोच के अनुरुप हैं?: कुलपति ने वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यों पर गांधी जी की सोच के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां गांधी जी की सोच के अनुरूप हैं. उन्होंने कहा कि गांधी जी के सपनों के भारत में अंत्योदय' था और केंद्र सरकार उज्जवला योजना के तहत ग्रामीण स्तर पर हर घर गैस सिलेंडर पहुंचाने का काम किया. गांधी चाहते थे कि मेरे देश में कोई भूखा न सोए, इसी के अनुरुप भारत सरकार खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान उपलब्ध करवा रही है. ग्रामीण स्तर तक सभी गरीब लोगों के जन-धन खाते खोले गए हैं और सीधे बैंक ट्रांसफर के तहत सरकारी योजनाओं का लाभ उनके खातों में भेजा जा रहा है. ये सबकुछ गांधी की सोच का कार्यानव्यन ही तो है.
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महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए: कुलपति ने कहा कि अगर गांधी को समझना है तो उनके विचारों से प्रेरणा लेनी होगी. गांधी को अगर अनुभव करना है तो वो मिलेंगे भारत के गांवों में, भारत की आशाओं में, भारत के मनों में और मजदूर के पसीने में. गांधी का पूरा जीवन दूसरों की भलाई के लिये था. अगर हम गांधी को जीना चाहते हैं तो अपना दृष्टिकोण बदलें. किसी विद्यार्थी को अगर पढ़ाई में कोई परेशानी है तो उसे दूर करने का प्रयास करें. आज के दिन हम प्रण लें कि एक-दो काम ऐसा करें जो दूसरों के लिये अच्छा हो, तभी हमारे अंदर गांधी आएंगे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
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