नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शताब्दी समारोह के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय संस्कृति परिषद के तत्वाधान में मैजिक शो का आयोजन किया जाएगा. यह कार्यक्रम डीयू के खेल परिसर स्थित बहुउद्देशीय हॉल में 3 मई को आयोजित किया जाएगा. इस मैजिक शो में जादूगर सम्राट शंकर द्वारा जादुई कला का मंचन होगा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह होंगे.
कार्यक्रम में ब्रीफकेस,कैमरा आदि जैसी किसी वस्तु की अनुमति नहीं होगी. शो के दौरान मोबाइल फोन स्विच ऑफ रखना होगा.आयोजन स्थल के अंदर खाने-पीने का कोई सामान नहीं ले जाने दिया जाएगा.साथ ही सभी लोगों को मास्क पहनना होगा और सामाजिक दूरी बनानी होगी. इसके लिए डीयू की वेबसाइट पर पंजीकरण भी करना होगा. हालांकि, इस मैजिक शो पर विवाद हो गया है. डीयू का एक शिक्षक वर्ग का आरोप है कि इस मैजिक शो की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस शो में 5 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे, जो कि गलत है.
डीयू कार्यकारी परिषद के पूर्व सदस्य राजेश झा ने बताया कि मैजिक शो में 5 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं.उनका तर्क है कि इस शो की जरूरत क्या है. हालांकि, कुछ शिक्षक मैजिक शो के विरोध में नहीं हैं. उनका कहना है कि डीयू को कॉलेज स्तर पर सीखने और अनुसंधान के परिणामों पर ध्यान देना चाहिए. वहीं, डीयू अधिकारियों का कहना है कि शो के लिए इस्तेमाल किए जा रहे फंड का भुगतान शताब्दी समारोह फंड से किया जाता है, जिसे अलग से निर्धारित किया जाता है, इसलिए किसी को इससे समस्या नहीं होनी चाहिए. डीयू 5 लाख रुपये खर्च करेगा, जो संगीतकारों और अन्य कलाकारों को काम पर रखने के लिए खर्च की जाने वाली राशि से बहुत कम है.
विज्ञान और कला के आश्चर्यों की खोज करता जादू का प्रदर्शन: भारत की प्राचीनतम अनेक कलाओं में जादू की कला भी है. वर्तमान आधुनिक परिपेक्ष्य में यह भारतीय धरोहर विलुप्त होने की कगार पर है.अमृत काल में भारतीय ज्ञान प्रणाली, अस्तित्वहीन होती सैंकड़ों कलाएं और संस्कृति व मूल्यों की युवाओं के मध्य पुनः स्थापना और विस्तार हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय सदैव प्रयासरत है.उसी श्रृंखला में मनोवैज्ञानिक कौशल की पराकाष्ठा को दर्शाता व विज्ञान और कला का अभिभूत कर देने वाला संगम लेकर प्रस्तुत है. जादू के प्रदर्शन के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों को अद्भुत और रोचक ढंग से विज्ञान के आश्चर्य और प्राचीन भारतीय कला की समृद्ध विरासत का परिचय करवाने हेतु उत्सुकता जागृत की जा सकती है. जादू के खेल में उल्लेखित कई वैज्ञानिक सिद्धांतों और अदृश्य होती भारतीय कला के विभिन्न रूपों को मनोरंजक प्रदर्शनों के माध्यम से दर्शाया जाएगा.इस आयोजन का उद्देश्य छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और संस्कृतिक ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन और कक्षा के बाहर एक रमणीय शिक्षा का अनुभव प्रदान करना है.
जादू-विज्ञान और कला को एकत्र करता यह शो अवश्य ही दर्शकों में दोनों क्षेत्रों के प्रति उत्साह और सम्मान का विकास करेगा. महारथी जादूगर सम्राट शंकर का उत्साह न केवल दर्शकों को विज्ञान और कला के मध्य संबंधों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देगा, बल्कि रोचकता से भरपूर, लोगों के हृदय को हर लेने वाली, इस भारतीय कला से भली भांति परिचित होने का अवसर भी प्रदान करेगा. व्यापक तौर पर छात्रों को एक मनोरंजक, अद्भुत उत्साहजनक और अविस्मरणीय अनुभव मिलेगा जो भविष्य में निश्चित रूप से उपयोगी होगा.
जानिए कौन है जादूगर सम्राट शंकर:जादू की कला को शीर्ष तक पहुंचाने वालों में एक बड़ा नाम सम्राट शंकर का है. कुशल जादूगर होने के साथ-साथ वे देश विदेश में अनगिनत जादू प्रस्तुतियों के माध्यम से युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का पावन कृत्य दशकों से करते आ रहे हैं.भारत में जादूगरी की प्राचीन कला को लुप्त होने से बचाने में जादूगर शंकर का बड़ा योगदान है.जादू के प्रदर्शन के माध्यम से अद्भुत और रोचक ढंग से विज्ञान के आश्चर्य और प्राचीन भारतीय कला की समृद्ध विरासत का परिचय करवाने में जादूगर शंकर हस्तसिद्ध हैं.
सम्राट शंकर अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से ऐसा मंच स्थापित करते हैं जहाँ युवाओं का अपने देश के इतिहास, संस्कृति और कलाओं से साक्षात्कार होता है. कला के महारथी 70 वर्ष के युवा जादूगर सम्राट शंकर बड़े उत्साह से आज तक अपनी जादूगरी के कारनामे दिखाते आ रहे हैं.एक कलाकार के रूप में सम्राट शंकर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारतीय संस्कृति उनकी कला का मूल है. जिसे वे अपनी हर प्रस्तुति में प्रतिस्थापित करने का कोई अवसर नहीं चूकते हैं. उनके ट्रिक्स में हमारे देश के कलाकारों की कला से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक सभी पक्ष शामिल होते हैं. इस तरह से वे युवाओं को अपनी असली पहचान से जोड़ने और उन्हें इतिहास और सांस्कृतिक परंपरा से साक्षात्कार कराने का पुनीत कार्य करते हैं.
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