नई दिल्ली : उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमिटी की पहली मीटिंग में यमुना नदी को साफ करने के लिए छह महीने का एक्शन प्लान जून तक तैयार करने का निर्णय लिया गया है. उपराज्यपाल की अध्यक्षता में शुक्रवार देर शाम को राजनिवास में हुई बैठक में अब तक यमुना को स्वच्छ बनाने को लेकर अब तक हुई सभी वायदों पर विस्तार से चर्चा हुई. इसमें संबंधित विभाग के सभी आला अधिकारी मौजूद थे. यमुना की सफाई के लिए 9 जनवरी को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और इसके अध्यक्ष उपराज्यपाल को बनाया गया था. इस मीटिंग में भविष्य के एक्शन प्लान पर चर्चा की गई.
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि अधिकारियों की तरफ से इस काम में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए 8 सूत्रीय एक्शन प्लान की बात की है, जिसमें दिल्ली के एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) की क्षमता बढ़ाने, नालों को साफ करना और उन्हें यमुना में गिरने से रोकना, अनाधिकृत कॉलोनी जेजे क्लस्टर में सीवर नेटवर्क स्थापित करना, बाढ़ क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना आदि शामिल है. यह 6 महीने का एक्शन प्लान तैयार करने के लिए उपराज्यपाल ने जून 2023 की समय सीमा तय की है. गत 9 जनवरी को एनजीटी के निर्देश पर यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का आदेश जारी किया गया था. जिसका अध्यक्ष उपराज्यपाल को बनाया गया था. उसके बाद यह पहली बैठक हुई है. इससे पूर्व उपराज्यपाल ने यमुना की स्थिति को जानने के लिए भी मीटिंग बुलाई थी, जिसमें सामने आया कि 8 सालों से यमुना अधिक प्रदूषित हुई है.
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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, जैविक ऑक्सीजन मांग यानी (बीओडी) का स्तर 2014 से पल्ला जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है वहां 2 मिलीग्राम प्रति लीटर बना हुआ है. वहीं ओखला बैराज में जहां नदी दिल्ली छोड़ती है और उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है वहां बीओडी का अस्तर 2014 में 32 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 2023 में 56 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है. डीपीसीसी हर महीने पल्ला, वजीराबाद, आईएसबीटी पुल, आईटीओ, निजामुद्दीनपुर, आगरा नहर, ओखला बैराज में नदी के पानी के नमूने एकत्र करता है और इसकी जांच की जाती है. जांच में पाया गया कि दिल्ली सरकार के पिछले 8 वर्षों में नदी में प्रदूषण का भार दोगुना हो गया है. बीओडी पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है. बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम अच्छा माना जाता है.
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