नई दिल्ली: 25 जुलाई से सावन का महीना शुरु हो गया है. हिंदू धर्म में सावन के महीने की खास मान्यता है. माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को यह महीना बेहद प्रिय है. श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में पूरी श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं. जलाभिषेक भी करते हैं, लेकिन इसकी क्या कुछ सही विधि है और किन मंत्रों के उच्चारण से भगवान भोलेनाथ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, इसकी जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने सिद्ध पीठ कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत से बातचीत की.
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महंत ने बताया कि क्योंकि राजधानी दिल्ली में मंदिरों को खोल दिया गया है, लेकिन श्रद्धालुओं को मंदिर में जाकर दर्शन की अनुमति नहीं है. ऐसे में शिवलिंग पर भी जल अर्पित करने की अभी श्रद्धालुओं को अनुमति नहीं है, ऐसे में सावन के महीने में श्रद्धालु अपने घर पर ही पार्थिव (मिट्टी का) शिवलिंग बनाकर उस पर जलाभिषेक पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर सकते हैं और गंगा जल में जल मिलाकर भी शिवलिंग पर अभिषेक किया जा सकता है. भगवान भोलेनाथ इससे भी प्रसन्न हो जाते हैं.
महंत सुरेंद्रनाथ ने बताया कि सावन के महीने में अलग-अलग विधियों से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन महामारी के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति नहीं है. ऐसे में श्रद्धालु घर पर ही वैदिक विधि के साथ पूजा अर्चना कर सकते हैं, सभी सामग्री घर पर ही लाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित की जा सकती है, जिसमें फल, फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है. इसके साथ ही शहद, दूध, दही, गंगाजल आदि से अभिषेक भी किया जाता है.
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साथ ही मंदिरों को खोले जाने के बाद श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर कालकाजी मंदिर के महंत ने सरकार केफैसले को गलत बताया. उन्होंने कहा कि यह तो वही बात हो गई कि अगर बाजारों को खोलने की अनुमति दे दी जाए, लेकिन ग्राहकों तो बाजार में जाने की अनुमति ना हो ऐसे ही मंदिरों को खोले जाने की अनुमति दी जा चुकी है, लेकिन अभी तक श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं दी गई है. सरकार को कुछ सीमित संख्या के साथ श्रद्धालुओं को भी दर्शन की अनुमति देनी चाहिए. क्योंकि श्रद्धालु भी अपने इष्ट के दर्शन करना चाहते हैं, और सावन के महीने में काफी संख्या में श्रद्धालु कालकाजी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं, शिवलिंग जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में सरकार को श्रद्धालुओं के दर्शन के अनुमति दे देनी चाहिए.