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ब्लैक फंगस: कितना खतरनाक, क्या है इलाज और कैसी है व्यवस्था, जानिए सबकुछ

कोरोना का कहर अभी पूरी तरह से थमा भी नहीं कि दिल्ली में ब्लैक फंगस की दस्तक हो चुकी है. दिल्ली सरकार ने अपने तीन बड़े अस्पतालों को ब्लैक फंगस के इलाज का डेडीकेटेड सेंटर बनाया है. इनमें से एक है, एलएनजेपी अस्पताल. LNJP के मेडिकल डायरेक्टर से जानिए कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस, क्या है इलाज और क्या है इसके इलाज की व्यवस्था.

Black fungus
ब्लैक फंगस
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Published : May 21, 2021, 2:05 PM IST

Updated : May 21, 2021, 2:31 PM IST

नई दिल्ली: पूरी दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामले 200 को पार कर चुके हैं. इसकी गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते दिन एक हाई लेवल मीटिंग की थी और यह फैसला हुआ था कि दिल्ली सरकार के 3 बड़े अस्पतालों एलएनजेपी अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ब्लैक फंगस के लिए इलाज के लिए डेडीकेटेड सेंटर बनाया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

पढ़ें- जामिया के शोधार्थी को मिला बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का एब्स्ट्रैक्ट अवार्ड फॉर साइंटिस्ट

'गठित की गई है डॉक्टर्स की टीम'

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में इसे लेकर कहा कि हम अपने अस्पताल में म्यूकर माइक्रोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक अलग वार्ड बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए एक बड़ी टीम का गठन भी किया गया है, जिसमें ईएनटी सर्जन, फिजीशियन और प्लास्टिक सर्जन शामिल हैं.

'ब्लैक फंगस वाले कोरोना मरीजों का अलग इलाज'

डॉ सुरेश कुमार का कहना था कि यह टीम ऐसे मरीजों के मामले में निगरानी, सर्विलांस और ट्रीटमेंट का काम करेगी. उन्होंने बताया कि दवा को लेकर जो डायरेक्शन है, जो गाइडलाइन है उसे भी अस्पताल की वेबसाइट पर डाल दिया गया है. डॉ. सुरेश कुमार का कहना था कि जो कोरोना मरीज ब्लैक फंगस के शिकार हैं, उनका इलाज बाकी मरीजों से अलग किया जाएगा.

'बिना डॉक्टरी सलाह के न लें स्टेरॉयड'

एलएनजेपी अस्पताल में वर्तमान समय में ब्लैक फंगस के 12 मरीज हैं. ब्लैक फंगस के कारणों को लेकर डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि जिनकी इम्युनिटी कम होती है या जिनमें स्टेरॉयड का दुरुपयोग हुआ होता है, वे मरीज ब्लैक फंगस का शिकार होते हैं.

उन्होंने कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड बिल्कुल न लें. कई लोग खुद दवा दुकान से स्टेरॉयड लेकर खा लेते हैं, यह बहुत ही खतरनाक है.

पढ़ें- हल्की सी बारिश और टपकने लगी जेएनयू के हॉस्टल की छत

'गठिया और कैंसर के मरीज में ब्लैक फंगस'

वर्तमान समय में सामने आ रहे हैं मामलों को लेकर डॉ. सुरेश कुमार का कहना था कि अभी वे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें ब्लड शुगर ज्यादा है या डायबिटीज है या जिन्होंने दो-तीन हफ्ते तक स्टेरॉयड खाया है. उनका कहना था कि एक मरीज को गठिया है, उसकी वजह से वे स्टेरॉयड खा रही थीं, एक मरीज को कैंसर है, जिसकी वजह से स्टेरॉयड ले रहे थे, इससे इन्हें ब्लैक फंगस हो गया.

'व्हाइट फंगस नहीं है उतना खतरनाक'

ब्लैक फंगस के इलाज वाले इंजेक्शन के वितरण को लेकर दिल्ली सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि हमारे पास पहले से इंजेक्शन मौजूद थी, लेकिन अब भी हमने इसके सप्लाई के लिए कहां है. उम्मीद है आज-कल में मिल जाएगी. आपको बता दें कि अब व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आने लगे हैं. हालांकि डॉ सुरेश कुमार का कहना था कि यह उतना खतरनाक नहीं है.

'ब्लैक फंगस में काफी ज्यादा है मृत्यु दर'

हालांकि चिंता की बात यह है कि ब्लैक फंगस के मामले में मृत्यु दर काफी ज्यादा है. डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि इसलिए भी इसे खतरनाक माना जा रहा है. हालांकि इसकी तुलना में व्हाइट फंगस उतना खतरनाक नहीं है. डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि ब्लैक फंगस का इलाज 3 से 6 हफ्ते तक होता है, लेकिन व्हाइट फंगस तीन-चार दिन में ठीक हो जाता है.

नई दिल्ली: पूरी दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामले 200 को पार कर चुके हैं. इसकी गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते दिन एक हाई लेवल मीटिंग की थी और यह फैसला हुआ था कि दिल्ली सरकार के 3 बड़े अस्पतालों एलएनजेपी अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ब्लैक फंगस के लिए इलाज के लिए डेडीकेटेड सेंटर बनाया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

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'गठित की गई है डॉक्टर्स की टीम'

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में इसे लेकर कहा कि हम अपने अस्पताल में म्यूकर माइक्रोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक अलग वार्ड बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए एक बड़ी टीम का गठन भी किया गया है, जिसमें ईएनटी सर्जन, फिजीशियन और प्लास्टिक सर्जन शामिल हैं.

'ब्लैक फंगस वाले कोरोना मरीजों का अलग इलाज'

डॉ सुरेश कुमार का कहना था कि यह टीम ऐसे मरीजों के मामले में निगरानी, सर्विलांस और ट्रीटमेंट का काम करेगी. उन्होंने बताया कि दवा को लेकर जो डायरेक्शन है, जो गाइडलाइन है उसे भी अस्पताल की वेबसाइट पर डाल दिया गया है. डॉ. सुरेश कुमार का कहना था कि जो कोरोना मरीज ब्लैक फंगस के शिकार हैं, उनका इलाज बाकी मरीजों से अलग किया जाएगा.

'बिना डॉक्टरी सलाह के न लें स्टेरॉयड'

एलएनजेपी अस्पताल में वर्तमान समय में ब्लैक फंगस के 12 मरीज हैं. ब्लैक फंगस के कारणों को लेकर डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि जिनकी इम्युनिटी कम होती है या जिनमें स्टेरॉयड का दुरुपयोग हुआ होता है, वे मरीज ब्लैक फंगस का शिकार होते हैं.

उन्होंने कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड बिल्कुल न लें. कई लोग खुद दवा दुकान से स्टेरॉयड लेकर खा लेते हैं, यह बहुत ही खतरनाक है.

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'गठिया और कैंसर के मरीज में ब्लैक फंगस'

वर्तमान समय में सामने आ रहे हैं मामलों को लेकर डॉ. सुरेश कुमार का कहना था कि अभी वे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें ब्लड शुगर ज्यादा है या डायबिटीज है या जिन्होंने दो-तीन हफ्ते तक स्टेरॉयड खाया है. उनका कहना था कि एक मरीज को गठिया है, उसकी वजह से वे स्टेरॉयड खा रही थीं, एक मरीज को कैंसर है, जिसकी वजह से स्टेरॉयड ले रहे थे, इससे इन्हें ब्लैक फंगस हो गया.

'व्हाइट फंगस नहीं है उतना खतरनाक'

ब्लैक फंगस के इलाज वाले इंजेक्शन के वितरण को लेकर दिल्ली सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. डॉ सुरेश कुमार ने कहा कि हमारे पास पहले से इंजेक्शन मौजूद थी, लेकिन अब भी हमने इसके सप्लाई के लिए कहां है. उम्मीद है आज-कल में मिल जाएगी. आपको बता दें कि अब व्हाइट फंगस के मामले भी सामने आने लगे हैं. हालांकि डॉ सुरेश कुमार का कहना था कि यह उतना खतरनाक नहीं है.

'ब्लैक फंगस में काफी ज्यादा है मृत्यु दर'

हालांकि चिंता की बात यह है कि ब्लैक फंगस के मामले में मृत्यु दर काफी ज्यादा है. डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि इसलिए भी इसे खतरनाक माना जा रहा है. हालांकि इसकी तुलना में व्हाइट फंगस उतना खतरनाक नहीं है. डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि ब्लैक फंगस का इलाज 3 से 6 हफ्ते तक होता है, लेकिन व्हाइट फंगस तीन-चार दिन में ठीक हो जाता है.

Last Updated : May 21, 2021, 2:31 PM IST
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