नई दिल्ली: हिन्दू मान्यताओं में भगवान शिव के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया जाता है. कहते हैं भगवान शिव के 9 श्रृंगार हैं जिसमें खप्पर, त्रिशूल, नाग देवता, रुद्राक्ष, गंगा यहां तक कि चंद्रमा भी शामिल हैं. जब बात शिव भक्त-कांवड़ियों की होती है तो वो भी श्रृंगार के मामले में अपने इष्ट देव से कम नहीं हैं.
शिव की तरह कांवड़ियों के भी हैं अलग-अलग श्रृंगार
आज यानि मंगलवार को सावन की शिवरात्रि है. दिन बढ़ने के साथ ही कांवड़ियों की 'बम बम भोले' की गूंज भी कम होती जा रही है. शाम तक श्रद्धा से भरे ये जयकारे अगले कुछ महीनों के लिए घरों और मंदिरों तक सीमित हो जाएंगे. लेकिन एक जो चीज अगले कई महीनों तक भी नहीं सीमित होगी या भूली नहीं जाएगी, वो है कांवड़ियों के अलग-अलग रूप.
भक्तों के अलग-अलग रुप
शिवभक्त कमल कहते हैं कि उन्होंने भोलेनाथ को खुश करने के लिए अपने गले में भूतों की माला डाल रखी है क्योंकि वो खुद भोले बनकर जल लेकर आए हैं. वह कहते हैं कि कोई शिव भक्त भोले की तरह बाल रखना चाहता है, कोई उनकी तरह चोटी बनाकर रखना चाहता है कोई उनकी तरह माला पहनता है, ऐसे में भक्तों के भी अलग-अलग रूप हैं.
तांडव भी सीख रहे भक्त
कमल कहते हैं कि ये सब भगवान को खुश करने के लिए है. ऐसे ही एक भक्त ईश्वर बड़ी-बड़ी जटाएं लेकर पिछले 6 सालों से कावड़ ला रहे हैं. भक्त ने कहा कि वह शिव की तरह बनना चाहता है. इसमें न सिर्फ 9 श्रृंगार शामिल हैं बल्कि उनका दयावान स्वभाव, कम बोलने जैसी आदतों के साथ तांडव भी सीख रहे हैं.
भोले के भक्त भी है स्टाइलिश
रमन बताते हैं कि भोले बाबा स्टाइलिश हैं इसलिए उनके भक्त भी स्टाइलिश हैं. फर्क है तो सिर्फ इतना कि वो नंदी पर चलते हैं जबकि उनके भक्त मोटरसाइकिल से जाते हैं. उनका ईंधन घास है तो उनके भक्तों का पेट्रोल. वो भांग पीते हैं तो उनके भक्त चाय पीते हैं.