नई दिल्ली: राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की ओर से जारी पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में सीयूईटी के माध्यम से दाखिला देने वाले विश्वविद्यालयों की सूची में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम नहीं है. इससे छात्र आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. 24 जनवरी आवेदन की आखिरी तिथि है. इसको लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जेएनयू कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित को ज्ञापन सौंपकर, सूची में जेएनयू का नाम शामिल कराने की अपील की है
इस तरह से छात्र दाखिले के लिए जेएनयू का भी विकल्प चुन सकेंगे. दूसरी ओर, पंजीकरण शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर भी छात्र संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है.
जेएनयू में अब पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में पिछले साल से सीयूईटी के जरिये ही प्रवेश हो रहे हैं. सीयूईटी की परीक्षाएं एनटीए की ओर से आयोजित की जाती हैं. एनटीए ने प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, उनमें कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों का नाम नहीं है. जेएनयू भी उनमें से एक है.
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वेबसाइट पर जेएनयू का विकल्प न आने के कारण छात्र आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा कि गलती दोनों ओर से हुई है. इसलिए नाम नहीं दिखाई दे रहा है. अगर शनिवार शाम तक वेबसाइट पर नाम दिखाई नहीं देगा, तो एनटीए के अधिकारियों से मुलाकात कर शिकायत करेंगे. अगर इसमें वक्त लगेगा तो छात्र जेएनयू के लिए आवेदन करने से छूट जाएंगे. जेएनयू के डायरेक्टर आफ एडमिशन प्रो. जयंत त्रिपाठी ने बताया कि 56 विश्वविद्यालयों की सूची जारी होनी है. अभी 18 के ही नाम हैं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम भी नहीं है. जल्द नाम दिखाई देने लगेगा और छात्र आवेदन कर सकेंगे.
बढ़ी आवेदन फीस पर भी छात्रों ने दर्ज कराया विरोध
स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआइ) ने सीयूईटी से पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज की परीक्षा में बैठने के लिए पंजीकरण शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर भी विरोध दर्ज कराया है. शुक्रवार को छात्रों के दल ने एनटीए के अधिकारियों से मुलाकात कर बढ़ा शुल्क वापस लेने की मांग की. एसएफआइ ने एक बयान में कहा है कि पंजीकरण शुल्क में 200 रुपये की बढ़ोतरी की गई है.
सामान्य श्रेणी के लिए 12 सौ रुपये, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए एक हजार, एससी, एसटी और थर्ड जेंडर के लिए 900 और पीडब्ल्यूडी छात्रों के लिए 800 रुपये का शुल्क तय किया गया है. एसएफआइ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि एनटीए को बढ़ी हुई फीस को तुरंत वापस लेना चाहिए. हम छात्रों से भी अपील करते हैं कि वे ऐसे मनमाने फैसलों के खिलाफ आवाज उठाएं जो विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदाय से आने वाले छात्रों के लिए आर्थिक बोझ बन गए हैं.
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