नई दिल्लीः मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन (Delhi government minister Satyendar Jain) पर जेल में अपने प्रभाव के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के बाद दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जेल नंबर सात के सुपरिटेंडेंट अजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया है. इस संबंध में गत माह ईडी ने अदालत से शिकायत की थी कि सत्येंद्र जैन जेल में रहकर भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं. वह केस से संबंधित लोगों से मिल रहे हैं. इतना ही नहीं ईडी ने जेल में मसाज सेवा लेने का भी आरोप लगाया था. सबूत के तौर पर ईडी ने वीडियो भी कोर्ट को सौंपी थी. (Chief Secretary of Delhi Government suspended Jail Superintendent of Tihar Jail No.7)
इस आरोप के बाद जब बीजेपी नेता उपराज्यपाल से इसकी शिकायत की तो उपराज्यपाल ने पूरे मामले की जांच दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को करने को कहा था. मुख्य सचिव ने जांच के बाद जेल नंबर सात के सुपरिटेंडेंट अजीत कुमार को दोषी पाया और तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल में अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए न केवल सहअभियुक्तों से मिल रहे हैं बल्कि गवाहों से भी उनकी मुलाकातें हो रही हैं. उन्हें जेल में अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं. ये सारी घटनाएं सीसीटीवी में भी कैद हैं. जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है. उन्होंने अब दोषी अन्य जेल कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
बिधूड़ी ने कहा है कि सत्येंद्र जैन अभी भी दिल्ली सरकार के मंत्री बने हुए हैं और 30 मई को गिरफ्तारी से पहले उनके पास स्वास्थ्य के साथ जेल विभाग भी था. जेल अधिकारियों के साथ उनके पहले के संपर्क हैं, जिनका वह अवैध लाभ उठा रहे हैं. बिधूड़ी ने कहा कि यह करोड़ों की ठगी करने वाले सुकेश चन्द्रशेखर जैसा ही मामला है जिसने जेल में करोड़ों की रिश्वत देकर सुविधाओं का लाभ उठाया. सत्येंद्र जैन अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं. गवाहों के साथ उनकी मुलाकात और सहअभियुक्तों से मिलने की घटना की सीसीटीवी फुटेज भी अदालत को मुहैया कराई गई है.
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उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन पहले भी इसी तरह जेल में रहते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते उन्होंने दिल्ली सरकार के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल से झूठा सर्टीफिकेट हासिल कर लिया था जिसमें कहा गया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया जाना चाहिए. जब अदालत ने ऐसा सर्टीफिकेट केंद्र सरकार के लोहिया अस्पताल से लाने के लिए कहा तो वह सर्टीफिकेट जमा नहीं करा पाए थे.