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दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की अनुपस्थिति और ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए निर्देश जारी - absenteeism and drop out

छात्रों की अनुपस्थिति और ड्रॉप आउट दर (drop out rate) को लेकर शिक्षा विभाग ने दिल्ली के स्कूलों को नोटिस जारी किया है. विभाग ने विशेष रूप से सरकारी स्कूलों को इसे रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली डैशबोर्ड लॉन्च किया है. साथ ही स्कूल प्रमुखों को दैनिक आधार पर डैशबोर्ड पर लॉगिंन करने का निर्देश दिया है.

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Published : Dec 17, 2022, 2:10 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के संबंध में शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण नोटिस जारी किया है. शिक्षा विभाग ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के साथ मिलकर डीओई स्कूलों में बच्चों की लगातार बढ़ती (absenteeism and drop out) अनुपस्थिति और ड्रॉप-आउट दरों को रोकने के लिए स्कूलों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली डैशबोर्ड लॉन्च किया है. इस डैशबोर्ड से छात्रों की हाजिरी और छात्र कितने दिनों से स्कूल नहीं आ रहे हैं इसकी जानकारी मेनटेन की जाएगी.

दैनिक आधार पर डैशबोर्ड पर लॉगिन करें :इस संबंध में शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने निर्देश देते हुए कहा है कि डैशबोर्ड का उपयोग करते हुए, स्कूल अक्सर अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की समग्र स्थिति देख सकता है. सभी क्लास में छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति मॉनिटर की जाएगी. शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रमुखों से कहा है कि वह छात्रों की लगातार अनुपस्थिति के कारणों को देखें और उन्हें रोकने के लिए निवारक उपाय करें. साथ ही ये सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि अब से सभी स्कूलों के प्रमुख दैनिक आधार पर डैशबोर्ड पर लॉगिन करेंगे.

ये भी पढ़ें :-छात्रवृत्ति बंद करने के फैसले पर शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगा अल्पसंख्यक आयोग

बढ़ती जा रही शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या : ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिशन के महासचिव शोएब राणा बताते हैं कि शिक्षा विभाग पहल तो करता है लेकिन साल दर साल दिल्ली में विभिन्न कारणों से लाखों बच्चे स्कूलों और शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. सरकार या अन्य किसी संस्था का इन बच्चों को वापस स्कूलों में लाने का कोई प्रयास नज़र नहीं आता, जिससे हर साल ये संख्या बढ़ती जा रही है. शिक्षा सभी बच्चों का मूलभूत अधिकार है . राइट टू एजुकेशन एक्ट (RTE ACT) के अनुसार सभी बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन दिल्ली देश की राजधानी होते हुए भी यहां लाखों बच्चे बहुत सारे कारणों से शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और उनको मुख्य धारा में स्कूलों में लाने का कोई प्रयास नज़र नहीं आता.

20 लाख बच्चे शिक्षा से हैं दूर : ऐसे बच्चे "बाल श्रम" की तरफ मुड़ जाते हैं जो कि बहुत ही दुःखद और दयनीय स्थिति है. ये चिंता का विषय है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को स्कूलों में होना चाहिए, उनके हाथों में किताबें होनी चाहिए, उस उम्र में वे स्कूल और पढ़ाई से दूर विभिन्न प्रकार के कामों में व्यस्त हो जाते हैं. एक आंकड़े में मुताबिक दिल्ली में लगभग 20 लाख ऐसे बच्चे हैं जो स्कूलों से दूर हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या झुग्गी झोपड़ी वाली कॉलोनियों के बच्चों की है. उनके कुछ ऐसे बच्चे हैं जो कभी स्कूल नहीं गए या जिनका विभिन्न कारणों से एडमिशन नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ें :- दिल्ली में टीचर ने 5वीं की छात्रा को पहली मंजिल से फेंका

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के संबंध में शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण नोटिस जारी किया है. शिक्षा विभाग ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के साथ मिलकर डीओई स्कूलों में बच्चों की लगातार बढ़ती (absenteeism and drop out) अनुपस्थिति और ड्रॉप-आउट दरों को रोकने के लिए स्कूलों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली डैशबोर्ड लॉन्च किया है. इस डैशबोर्ड से छात्रों की हाजिरी और छात्र कितने दिनों से स्कूल नहीं आ रहे हैं इसकी जानकारी मेनटेन की जाएगी.

दैनिक आधार पर डैशबोर्ड पर लॉगिन करें :इस संबंध में शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने निर्देश देते हुए कहा है कि डैशबोर्ड का उपयोग करते हुए, स्कूल अक्सर अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की समग्र स्थिति देख सकता है. सभी क्लास में छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति मॉनिटर की जाएगी. शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रमुखों से कहा है कि वह छात्रों की लगातार अनुपस्थिति के कारणों को देखें और उन्हें रोकने के लिए निवारक उपाय करें. साथ ही ये सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि अब से सभी स्कूलों के प्रमुख दैनिक आधार पर डैशबोर्ड पर लॉगिन करेंगे.

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20 लाख बच्चे शिक्षा से हैं दूर : ऐसे बच्चे "बाल श्रम" की तरफ मुड़ जाते हैं जो कि बहुत ही दुःखद और दयनीय स्थिति है. ये चिंता का विषय है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को स्कूलों में होना चाहिए, उनके हाथों में किताबें होनी चाहिए, उस उम्र में वे स्कूल और पढ़ाई से दूर विभिन्न प्रकार के कामों में व्यस्त हो जाते हैं. एक आंकड़े में मुताबिक दिल्ली में लगभग 20 लाख ऐसे बच्चे हैं जो स्कूलों से दूर हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या झुग्गी झोपड़ी वाली कॉलोनियों के बच्चों की है. उनके कुछ ऐसे बच्चे हैं जो कभी स्कूल नहीं गए या जिनका विभिन्न कारणों से एडमिशन नहीं हो पाया.

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