नई दिल्ली: दिल्ली में रविवार को दो दिवसीय इंडियन रिजनरेटिव सोसाइटी की 6वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस का आयोजन इंडियन हैबिटेट सेंटर में किया गया. यहां देश विदेश के रिजनरेटिव मेडिसिन चिकित्सकों द्वारा आधुनिक सेल्यूलर फ्रेक्शन एवं स्टेम सेल थेरेपी के एडवांसमेंट को लेकर जानकारी दी जा रही है. कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉक्टर बी.एस राजपूत एवं ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉक्टर विनोद जैन वोरा ने बताया कि भारत में अब थेरेपी से लाइलाज बीमारियों के इलाज की अपार संभावनाएं हैं.
वर्ष 2022 में भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज द्वारा सेल्युलर थैरेपी की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर एवं यह किन बीमारियों में उपयोगी हैं, इसको को लेकर एक प्रारूप बनाया गया था. चिकित्सकों ने इसे केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए कहा था. जिसका मुख्य उद्देश्य था कि प्रत्येक भारतीय को रिजनरेटिव मेडिसिन द्वारा इलाज सुविधा उपलब्ध हो सके. साथ ही भारत स्टेम सेल थेरेपी एवं रिजनरेटिव मेडिसिन से उपचार उपलब्ध कराने में वर्ल्ड लीडर बन सके.
कॉन्फ्रेंस में भारत के जाने-माने चिकित्सकों के साथ-साथ विदेशो के रिजनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कई लाइलाज बीमारी के बारे में जानकारी दी गई. बीमारी जैसे सीपी, पार्किन्सन, डायबिटीज, टीबी, इनफर्टिलिटी, एवीएन हिप, पोस्ट कोविड होने वाली परेशानी इत्यादि के इलाज के बारें में बताया गया.
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लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव: कांफ्रेंस कमेटी के सदस्य डॉक्टर आलोक शर्मा ने बताया कि रिजनरेटिव मेडिसिन द्वारा लाइलाज न्यूरोलॉजिकल बीमारी जैसे बच्चों में ऑटिज़्म का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है. रिजनरेटिव मेडिसिन द्वारा घुटनों के दर्द (ओस्टियोआर्थराइटिस), को प्रमाणिक सेल्युलर फ्रैक्शन तकनीक द्वारा सफलतापूर्वक इलाज संभव है. उन्होंने बताया कि इस कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों को नई तकनीक से उपचार के विषय में जानकारी प्रदान करना हैं, ताकि भारत में भी रिजनरेटिव मेडिसिन द्वारा आसानी से उपचार सुविधा उपलब्ध हो सकें.
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