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बढ़ते प्रदूषण को देखते हु्ए स्वास्थ्य विभाग ने लिखा शिक्षा निदेशक को पत्र, जानिए क्या मिले निर्देश - delhi latest news

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा (Department wrote letter to Director of Education) है, जिसमें प्रदूषण कम करने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं.

Department wrote letter to Director of Education
Department wrote letter to Director of Education
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Published : Dec 21, 2022, 2:33 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा (increasing pollution in delhi) है, जो दिल्ली के लिए चिंता का विषय है. प्रदूषण से लोगों में सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत आनी फिर से शुरू हो गई है. प्रदूषण से स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के स्वास्थ्य को भी नुकसान हो सकता है. इसकी रोकथाम के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है.

इस परिपत्र में कहा गया है कि उन्हें भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पत्र मिला (Department wrote letter to Director of Education) है, जिसमें प्रदूषण से बचाव के संबंध में निर्देश दिए गए हैं. शिक्षा विभाग ने सभी डिप्टी डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों में प्रदूषण के रोकथाम के लिए क्या क्या कदम उठा सकते हैं, इसकी पूर्ण रिपोर्ट 26 दिसंबर तक साइंस ब्रांच में जमा कराएं. स्वास्थ्य विभाग ने अपने पत्र में लिखा है कि, राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है. क्योंकि दिल्ली में रिपोर्ट की गई एक्यूआई, करीब 5 सालों से सर्दियों के महीने के दौरान खतरनाक रूप से बहुत अधिक देखी जा रही है. इससे छात्रों में सांस लेने में समस्या के साथ अन्य परेशानियां भी देखने को मिलती हैं.

यह भी पढ़ें-Delhi NCR Pollution: प्रदूषण बन रहा सांसों के लिए आफत, यहां देखें NCR के 46 इलाकों का AQI

स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिल्ली के स्कूलों में वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य प्रभाव पर मुद्दों के समाधान के लिए गतिविधियों की सुझाई गई हैं. जैसे स्कूल परिसर में और उसके आसपास वृक्षारोपण अभियान में तेजी लाई जाए, हवा में धूल की सघनता को कम करने के लिए स्कूल परिसर को ज्यादा ज्यादा हरा-भरा बनाया जाए और पानी का छिड़काव किया जाए इत्यादि. इसके अतिरिक्त, छात्रों के लिए स्कूल बसों को बढ़ावा देना, और निजी वाहनों के उपयोग से बचना, प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों के उत्सर्जन को कम करने और स्कूली बच्चों के संपर्क में आने को कम करने के लिए स्कूल परिसर के चारों ओर नो ट्रैफिक जोन बनाना, स्कूल प्रमुख और स्कूल के शिक्षक वायु प्रदूषण के संबंध में बातचीत आयोजित करना आदि गतिविधियां भी इसमें शामिल हैं. वहीं स्कूली छात्र वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य प्रभावों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में साथियों के बीच पेंटिंग/ड्राइंग प्रतियोगिता, दीवार पेंटिंग, प्रश्नोत्तर, वाद-विवाद, संगोष्ठी, नाटक आदि के माध्यम से भी जागरूकता फैला सकते हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा (increasing pollution in delhi) है, जो दिल्ली के लिए चिंता का विषय है. प्रदूषण से लोगों में सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत आनी फिर से शुरू हो गई है. प्रदूषण से स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के स्वास्थ्य को भी नुकसान हो सकता है. इसकी रोकथाम के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है.

इस परिपत्र में कहा गया है कि उन्हें भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पत्र मिला (Department wrote letter to Director of Education) है, जिसमें प्रदूषण से बचाव के संबंध में निर्देश दिए गए हैं. शिक्षा विभाग ने सभी डिप्टी डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों में प्रदूषण के रोकथाम के लिए क्या क्या कदम उठा सकते हैं, इसकी पूर्ण रिपोर्ट 26 दिसंबर तक साइंस ब्रांच में जमा कराएं. स्वास्थ्य विभाग ने अपने पत्र में लिखा है कि, राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है. क्योंकि दिल्ली में रिपोर्ट की गई एक्यूआई, करीब 5 सालों से सर्दियों के महीने के दौरान खतरनाक रूप से बहुत अधिक देखी जा रही है. इससे छात्रों में सांस लेने में समस्या के साथ अन्य परेशानियां भी देखने को मिलती हैं.

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स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिल्ली के स्कूलों में वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य प्रभाव पर मुद्दों के समाधान के लिए गतिविधियों की सुझाई गई हैं. जैसे स्कूल परिसर में और उसके आसपास वृक्षारोपण अभियान में तेजी लाई जाए, हवा में धूल की सघनता को कम करने के लिए स्कूल परिसर को ज्यादा ज्यादा हरा-भरा बनाया जाए और पानी का छिड़काव किया जाए इत्यादि. इसके अतिरिक्त, छात्रों के लिए स्कूल बसों को बढ़ावा देना, और निजी वाहनों के उपयोग से बचना, प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों के उत्सर्जन को कम करने और स्कूली बच्चों के संपर्क में आने को कम करने के लिए स्कूल परिसर के चारों ओर नो ट्रैफिक जोन बनाना, स्कूल प्रमुख और स्कूल के शिक्षक वायु प्रदूषण के संबंध में बातचीत आयोजित करना आदि गतिविधियां भी इसमें शामिल हैं. वहीं स्कूली छात्र वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य प्रभावों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में साथियों के बीच पेंटिंग/ड्राइंग प्रतियोगिता, दीवार पेंटिंग, प्रश्नोत्तर, वाद-विवाद, संगोष्ठी, नाटक आदि के माध्यम से भी जागरूकता फैला सकते हैं.

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