नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 18 से 24 नवंबर के बीच एएमआर अवेयरनेस वीक मनाया जा रहा है. एएमआर यानी एंटी माइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस उस स्थिति को कहते जब किसी व्यक्ति के ऊपर एंटीबायोटिक काम करना बंद कर देती है. डब्ल्यूएचओ द्वारा यूरोप के देशों में किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि वहां पर 14 देशों में 33 प्रतिशत लोग ऐसे पाए गए, जो बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक ले रहे थे. परिणाम स्वरूप उनके ऊपर एंटीबायोटिक ने काम करना बंद कर दिया और बाद में उनको होने वाले संक्रमण पर नियंत्रण करना मुश्किल हो गया.
अवेयरनेस वीक में कार्यक्रम: डब्ल्यूएचओ द्वारा दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित कैलाश दीपक हॉस्पिटल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान अस्पताल में क्रिटिकल केयर के ग्रुप डायरेक्टर डॉक्टर अनिल गुरनानी ने बताया कि यूरोप के 14 देश में किए गए अध्ययन में 33 पर्सेंट ऐसे लोग मिले हैं, जो बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन कर रहे थे. अगर हम भारत में या दिल्ली में इस तरह का कोई अध्ययन कराएं तो यहां ऐसे लोगों का प्रतिशत और ज्यादा होना निश्चित है. इसलिए हम लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. लोगों को इसके गंभीर दुष्प्रभाव बताना काफी जरूरी है. डॉक्टर गुरनानी ने बताया कि अक्सर लोग सर्दी, खांसी और जुकाम में भी बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक ले लेते हैं, जबकि उसको लेने की जरूरत नहीं है.
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संक्रमण कंट्रोल करना होगा मुश्किल: सर्दी, खांसी और जुकाम एक तरह का वायरल होता है, जो तीन से पांच दिन में खुद ठीक हो जाते हैं. इनमें एंटीबायोटिक लेने की जरूरत नहीं होती. हर स्थिति में एंटीबायोटिक लेना शरीर में एंटी माइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस को बढ़ावा देता है. स्थिति ऐसी आ जाती है कि लोगों के शरीर में संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक काम करना बंद कर देती हैं. फिर उनके संक्रमण को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है, जो भी वायरस या बैक्टीरिया का उनके ऊपर प्रभाव होता है वह फिर बढ़ता चला जाता है.
कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि 2025 तक भारत में यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है, क्योंकि यहां लोग सिर दर्द से लेकर अन्य कई तरह के दर्द में बिना सलाह के एंटीबायोटिक लेते रहते हैं. डॉक्टर गुरनानी ने बताया कि कई बार लोग ऐसा भी करते हैं कि एंटीबायोटिक तीन दिन लेना था लेकिन वह 5 दिन तक लेते रहे. इस तरह से अगर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा कि कोई भी एंटीबायोटिक ऐसा नहीं बचेगा. जिसे हम इस्तेमाल कर सकें. पिछले 10 साल में सिर्फ एक नया एंटीबायोटिक आया है बाकी कोई एंटीबायोटिक नहीं आया है.
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