नई दिल्ली: होली का त्यौहार बुराइयों पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस त्यौहार में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. होली से 1 दिन पहले होलिका दहन किया गया.
होलिका दहन का महत्व
झंडेवालान मंदिर के पुजारी भीष्म शर्मा ने बताया कि इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:26 से रात 8:52 तक है. पुजारी ने बताया कि होलिका दहन का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि आदिकाल में हिरणकश्यप नाम के राक्षस ने भगवान की पूजा अर्चना पर रोक लगा दी थी. समस्त प्रजा उसके इस आदेश से त्रस्त थी. उसके पुत्र पहलाद भगवान के उपासक थे.
पहलाद की बुआ होलिका को आशीर्वाद प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती. इसके बाद हिरण कश्यप ने भगवान पहलाद को होली का समय आग में जला दिया. लेकिन भगवान की कृपा से होलीका तो जल गई लेकिन पहलाद बच गए. जिसके बाद से ही होलिका दहन का पर्व चला आ रहा है.
बुराइयों पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होलिका दहन
पुजारी भीष्म शर्मा ने बताया कि होलिका दहन बुराइयों पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन असुरों के आतंक से प्रजा को मुक्ति मिली थी जिस के उपलक्ष में होलिका दहन मनाया जाता है.