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गणित में फेल 11वीं कक्षा के छात्र शारीरिक शिक्षा के अंकों के आधार पर हुए प्रमोट, हाई कोर्ट का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने CBSE के छात्र को उसके शारीरिक शिक्षा के अंकों के आधार पर बारहवीं कक्षा में पदोन्नति करने की अनुमति दी है. छात्र 11वीं में गणित में फेल हो गया था, जिसके बाद उसने स्कूल के मार्क्स सिस्टम को चैलेंज किया था.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 9, 2023, 4:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जिज्ञा यादव बनाम CBSE के मामले में सुनवाई करते हुए 11वीं कक्षा के एक छात्र को गणित में फेल होने पर उसके शारीरिक शिक्षा (एक अतिरिक्त विषय) में उसके अंकों के आधार पर बारहवीं कक्षा में पदोन्नति करने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक बार जब स्कूल (केंद्रीय विद्यालय स्कूल) ने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए सीबीएसई से संबद्धता मांगी और प्राप्त कर ली तो वह अपने छात्रों पर कक्षा के लिए उत्तीर्ण मानदंड नहीं थोप सकता.

CBSE उपनियम होगा मान्य: हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि सीबीएसई द्वारा बनाए गए उपनियम और केंद्रीय विद्यालय के बीच किसी भी टकराव की स्थिति में केन्द्रीय विद्यालय स्कूल कोड जारी करेगा. अदालत ने कहा कि सीबीएसई कानून 40.1 (iv) (बी) द्वारा स्पष्ट रूप से एक मुख्य विषय के स्थान पर एक अतिरिक्त विषय के प्रतिस्थापन की अनुमति दी जाती है. बशर्ते अतिरिक्त विषय भी वैकल्पिक विषयों में से एक के रूप में पेश किया जाता है और इस शर्त के अनुसार प्रतिस्थापन के बाद भी उम्मीदवार मुख्य विषयों में से एक भाषा के रूप में अंग्रेजी या हिंदी को बरकरार रखता है. अदालत ने कहा कि छात्र शारीरिक शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में लेने का हकदार है, जो छात्र द्वारा अतिरिक्त विषय के रूप में लिया गया वह एक वैकल्पिक विषय है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के अतिक्रमित वनों को आरक्षित वन घोषित करने का दिया आदेश, 15 दिसंबर को सुनवाई

मापदंडों पर उतरा छात्र: कोर्ट के अनुसार, छात्र ने मुख्य विषय के रूप में अंग्रेजी को बरकरार रखा था. छात्र ने तर्क दिया था कि चूंकि स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है, इसलिए यह सीबीएसई परीक्षा उपनियम, 1995 से बंधा हुआ है. इसके अनुसार उसे स्थानापन्न करने की अनुमति है. गणित में प्राप्त अंकों के स्थान पर शारीरिक शिक्षा में उसके द्वारा प्राप्त अंकों में यह तर्क दिया गया कि चूंकि छात्र पांच विषयों में से प्रत्येक में कम से कम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की सीबीएसई की आवश्यकता को पूरा करता है. इसलिए बारहवीं कक्षा में पदोन्नत होने का हकदार है.

स्कूल ने तर्क दिया था कि सीबीएसई ने ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को बारहवीं कक्षा तक बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के नियम व मानदंड बनाने का अधिकार अलग-अलग स्कूलों पर छोड़ दिया है. स्कूल ने कहा कि केवीएस के लिए सीबीएसई परीक्षा उपनियमों का पालन करना अनिवार्य नहीं है क्योंकि वे विशेष रूप से ग्यारहवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक एक छात्र की पदोन्नति को कवर नहीं करते हैं. इसमें केवीएस शिक्षा संहिता के अनुच्छेद 106 का उल्लेख किया गया है, जिसमें एक उम्मीदवार को ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षा में उत्तीर्ण माने जाने वाले अतिरिक्त विषय को छोड़कर, सभी विषयों में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना तट पर छठ पूजा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जिज्ञा यादव बनाम CBSE के मामले में सुनवाई करते हुए 11वीं कक्षा के एक छात्र को गणित में फेल होने पर उसके शारीरिक शिक्षा (एक अतिरिक्त विषय) में उसके अंकों के आधार पर बारहवीं कक्षा में पदोन्नति करने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक बार जब स्कूल (केंद्रीय विद्यालय स्कूल) ने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए सीबीएसई से संबद्धता मांगी और प्राप्त कर ली तो वह अपने छात्रों पर कक्षा के लिए उत्तीर्ण मानदंड नहीं थोप सकता.

CBSE उपनियम होगा मान्य: हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि सीबीएसई द्वारा बनाए गए उपनियम और केंद्रीय विद्यालय के बीच किसी भी टकराव की स्थिति में केन्द्रीय विद्यालय स्कूल कोड जारी करेगा. अदालत ने कहा कि सीबीएसई कानून 40.1 (iv) (बी) द्वारा स्पष्ट रूप से एक मुख्य विषय के स्थान पर एक अतिरिक्त विषय के प्रतिस्थापन की अनुमति दी जाती है. बशर्ते अतिरिक्त विषय भी वैकल्पिक विषयों में से एक के रूप में पेश किया जाता है और इस शर्त के अनुसार प्रतिस्थापन के बाद भी उम्मीदवार मुख्य विषयों में से एक भाषा के रूप में अंग्रेजी या हिंदी को बरकरार रखता है. अदालत ने कहा कि छात्र शारीरिक शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में लेने का हकदार है, जो छात्र द्वारा अतिरिक्त विषय के रूप में लिया गया वह एक वैकल्पिक विषय है.

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मापदंडों पर उतरा छात्र: कोर्ट के अनुसार, छात्र ने मुख्य विषय के रूप में अंग्रेजी को बरकरार रखा था. छात्र ने तर्क दिया था कि चूंकि स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है, इसलिए यह सीबीएसई परीक्षा उपनियम, 1995 से बंधा हुआ है. इसके अनुसार उसे स्थानापन्न करने की अनुमति है. गणित में प्राप्त अंकों के स्थान पर शारीरिक शिक्षा में उसके द्वारा प्राप्त अंकों में यह तर्क दिया गया कि चूंकि छात्र पांच विषयों में से प्रत्येक में कम से कम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की सीबीएसई की आवश्यकता को पूरा करता है. इसलिए बारहवीं कक्षा में पदोन्नत होने का हकदार है.

स्कूल ने तर्क दिया था कि सीबीएसई ने ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को बारहवीं कक्षा तक बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के नियम व मानदंड बनाने का अधिकार अलग-अलग स्कूलों पर छोड़ दिया है. स्कूल ने कहा कि केवीएस के लिए सीबीएसई परीक्षा उपनियमों का पालन करना अनिवार्य नहीं है क्योंकि वे विशेष रूप से ग्यारहवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक एक छात्र की पदोन्नति को कवर नहीं करते हैं. इसमें केवीएस शिक्षा संहिता के अनुच्छेद 106 का उल्लेख किया गया है, जिसमें एक उम्मीदवार को ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षा में उत्तीर्ण माने जाने वाले अतिरिक्त विषय को छोड़कर, सभी विषयों में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे.

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