नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो रेमेडेसीवर की कालाबाजारी रोकने के लिए शुरू होने वाले ऐप के लिए एक दिन में पर्याप्त जानकारी दे. जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि ये ऐप दो दिन के अंदर लांच हो जाना चाहिए.
रेमेडेसीवर के उपयोग का कोई डाटा नहीं है
इस मामले पर सुनवाई के दौरान वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि रेमेडेसीवर का स्टॉक मिलते ही उसके लिए ओटीपी जेनरेट हो जाता है. तब कोर्ट ने पूछा कि ये अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए है. तब अग्रवाल ने कहा कि हां. तब वरिष्ठ वकील माविका त्रिवेदी ने कहा कि रेमेडेसीवर के उपयोग का कोई डाटा नहीं है. कोर्ट के आदेश के बावजूद मरीजों के तिमारदारों को दवाई के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. त्रिवेदी ने कहा कि कोई नहीं जानता कि दवा कहां मिलेगी. बाजार में फर्जीवाड़ा चल रहा है. तब कोर्ट ने कहा कि इसीलिए तो वे पोर्टल बना रहे हैं.
ऐप के लिए जरूरी सूचना उपलब्ध कराए दिल्ली सरकार
सुनवाई के दौरान तुषार राव ने पूछा कि क्या दिल्ली सरकार ये विज्ञापन दे सकती है कि मोहल्ला क्लीनिक से रेमेडेसीवर मिलेगा. उन्होंने कहा कि दवाईयों की कालाबाजारी पर सरकार को रोक लगानी चाहिए. राहुल मेहरा ने कहा कि सबसे अच्छा तो ये है कि लोगों को पूरी सूचना मिले. अभी सूचना का घोर अभाव है. अगर रेमेडेसीवर सबको दिया जाए तो उसकी मांग काफी होगी. हम मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं कर पाएंगे. तब तुषार राव ने कहा कि इसका हल पोर्टल ही है. कोर्ट ने कहा कि पोर्टल के जरिये होम आइसोलन के मरीजों को भी दवा दी जा सकती है जो डॉक्टर की निगरानी में इलाज करवा रहे हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि ऐप के लिए जरूरी सूचना एक दिन के अंदर उपलब्ध कराएं.
दिल्ली में रेमेडेसीवर की कालाबाजारी रोकने के लिए लांच होगा ऐप, HC ने मांगी पूरी जानकारी - high court hearing on remdesivir black marketing in delhi
सुनवाई के दौरान वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि रेमेडेसीवर का स्टॉक मिलते ही उसके लिए ओटीपी जेनरेट हो जाता है. तब कोर्ट ने पूछा कि ये अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए है. तब अग्रवाल ने कहा कि हां. तब वरिष्ठ वकील माविका त्रिवेदी ने कहा कि रेमेडेसीवर के उपयोग का कोई डाटा नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो रेमेडेसीवर की कालाबाजारी रोकने के लिए शुरू होने वाले ऐप के लिए एक दिन में पर्याप्त जानकारी दे. जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि ये ऐप दो दिन के अंदर लांच हो जाना चाहिए.
रेमेडेसीवर के उपयोग का कोई डाटा नहीं है
इस मामले पर सुनवाई के दौरान वकील अनुज अग्रवाल ने कहा कि रेमेडेसीवर का स्टॉक मिलते ही उसके लिए ओटीपी जेनरेट हो जाता है. तब कोर्ट ने पूछा कि ये अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए है. तब अग्रवाल ने कहा कि हां. तब वरिष्ठ वकील माविका त्रिवेदी ने कहा कि रेमेडेसीवर के उपयोग का कोई डाटा नहीं है. कोर्ट के आदेश के बावजूद मरीजों के तिमारदारों को दवाई के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. त्रिवेदी ने कहा कि कोई नहीं जानता कि दवा कहां मिलेगी. बाजार में फर्जीवाड़ा चल रहा है. तब कोर्ट ने कहा कि इसीलिए तो वे पोर्टल बना रहे हैं.
ऐप के लिए जरूरी सूचना उपलब्ध कराए दिल्ली सरकार
सुनवाई के दौरान तुषार राव ने पूछा कि क्या दिल्ली सरकार ये विज्ञापन दे सकती है कि मोहल्ला क्लीनिक से रेमेडेसीवर मिलेगा. उन्होंने कहा कि दवाईयों की कालाबाजारी पर सरकार को रोक लगानी चाहिए. राहुल मेहरा ने कहा कि सबसे अच्छा तो ये है कि लोगों को पूरी सूचना मिले. अभी सूचना का घोर अभाव है. अगर रेमेडेसीवर सबको दिया जाए तो उसकी मांग काफी होगी. हम मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं कर पाएंगे. तब तुषार राव ने कहा कि इसका हल पोर्टल ही है. कोर्ट ने कहा कि पोर्टल के जरिये होम आइसोलन के मरीजों को भी दवा दी जा सकती है जो डॉक्टर की निगरानी में इलाज करवा रहे हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि ऐप के लिए जरूरी सूचना एक दिन के अंदर उपलब्ध कराएं.