नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीटीसी की बसों में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उपायों पर विचार करने का आदेश दिया. जस्टिस वी कामेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया कि वो बसों में कैमरे लगाने और ड्राईवर और कंडक्टर की सीट पर अलर्ट बटन लगाने पर विचार करें.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि डीटीसी बसों में सीसीटीवी फुटेज कितने समय का संरक्षित रखा जाता है. कोर्ट ने पूछा कि क्या डीटीसी बसों के सीसीटीवी कैमरों की फंक्शनिंग की ऑडिट की जाती है. कोर्ट ने डीटीसी बसों में कैमरे और अलर्ट बटन लगा सकने पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने अपने पहले के उस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा, जिसमें महिलाओं के साथ छेड़खानी के खिलाफ जागरूकता संबंधी पोस्टर या होर्डिंग लगाने का निर्देश दिया गया था.
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दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2012 निर्भया गैंगरेप के बाद दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरु की थी. सुनवाई के दौरान इस मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी मीरा भाटिया ने कहा कि महिलाओं से छेड़खानी के खिलाफ लगाए जाने वाले पोस्टर और होर्डिंग में इस बात का जिक्र होना चाहिए कि ये एक गंभीर दंडनीय अपराध है. उन्होंने डीटीसी बसों के अलावा टैक्सियों में भी पैनिक बटन लगाने का सुझाव दिया.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि पूरी दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 6630 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. दिल्ली सरकार ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों के पोल पर भी पैनिक बटन लगाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि कोई महिला संकट में उसका इस्तेमाल कर सकें.
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