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दिल्ली: रिटायर्ड शिक्षकों को कैशलेस मेडिकल सेवा देने की मांग पर हाईकोर्ट में सुनवाई - नगर निगमों के रिटायर्ड शिक्षकों को मेडिकल सर्विसेज

दिल्ली नगर निगमों के रिटायर्ड शिक्षकों को कैशलेस मेडिकल सेवा देने की मांग पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड शिक्षकों ने इसके लिए फीस दे रखी है. लेकिन उन्हें अब तक सेवाएं नहीं मिली हैं.

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हाईकोर्ट
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Published : Jan 13, 2021, 9:53 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली के तीन नगर निगमों के रिटायर्ड शिक्षकों को कैशलेस मेडिकल सेवा देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग पर सुनवाई करेगा. याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड शिक्षकों ने कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए फीस दे रखी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.



कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए निगम लेती है सब्सक्रिप्शन
याचिका अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रंजीत शर्मा ने कहा है कि रिटायर्ड शिक्षकों के मेडिकल बिलों का तुरंत भुगतान किया जाए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटा गया है. तीनों नगर निगमों के लिए एक ही स्वास्थ्य विभाग है. इन रिटायर्ड शिक्षकों के कैशलेस मेडिकल सेवा को जारी रखने के लिए निगम इनसे सब्सक्रिप्शन लेती है. रिटायर्ड शिक्षक इस सेवा के लिए अपनी किश्त भरते हैं लेकिन निगम उनकी कैशलेश मेडिकल सेवा को बढ़ा नहीं रही है.



काफी बोझिल है कैशलेश मेडिकल सेवा प्रकिया
कैशलेश मेडिकल सेवा के लिए निगम के कर्मचारियों को पहले स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करनी होती है. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा के लिए उन्हें स्वीकृत अस्पतालों में रेफर करती है. अगर स्वीकृत अस्पताल सर्जरी की सलाह देती है तो संबंधित रिटायर्ड शिक्षक को वापस स्वास्थ्य विभाग में जाकर स्वीकृति लेनी होती है. उसके बाद ही इलाज की शुरुआत होती है. याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में ये प्रक्रिया काफी बोझिल है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर दिल्ली कांग्रेस ने उठाए सवाल


अभी तक नहीं मिला इलाज
याचिका में कहा गया है कि अस्पताल कैशलेस इलाज नहीं करते हैं. रिटायर्ड शिक्षकों को पहले अस्पताल में पैसे जमा करने पड़ते हैं. उसके बाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से उसके भुगतान के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसमें काफी समय लगता है. याचिका में कहा गया है कि नगर निगम की ये प्रक्रिया गलत और गैरकानूनी है. याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड कर्मचारियों को समय से पेंशन नहीं मिलती, जिसकी वजह से अपने इलाज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. एक रिटायर्ड शिक्षक गिरिराज शर्मा को अपनी पत्नी का बीएल कपूर अस्पताल में इलाज करने के लिए पिछले 8 सितंबर को एक लाख 39 हजार रुपये का इंतजाम करना पड़ा. वे 2010 में रिटायर हुए थे और 39 हजार रुपये कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए 39 हजार रुपये जमा किए थे. जिसके बाद उन्हें कैशलेश मेडिकल सेवा के लिए पहचान पत्र भी जारी किया गया था, लेकिन उनकी पत्नी के इलाज का पैसा उन्हें आज तक नहीं मिला.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली के तीन नगर निगमों के रिटायर्ड शिक्षकों को कैशलेस मेडिकल सेवा देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग पर सुनवाई करेगा. याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड शिक्षकों ने कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए फीस दे रखी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.



कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए निगम लेती है सब्सक्रिप्शन
याचिका अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील रंजीत शर्मा ने कहा है कि रिटायर्ड शिक्षकों के मेडिकल बिलों का तुरंत भुगतान किया जाए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटा गया है. तीनों नगर निगमों के लिए एक ही स्वास्थ्य विभाग है. इन रिटायर्ड शिक्षकों के कैशलेस मेडिकल सेवा को जारी रखने के लिए निगम इनसे सब्सक्रिप्शन लेती है. रिटायर्ड शिक्षक इस सेवा के लिए अपनी किश्त भरते हैं लेकिन निगम उनकी कैशलेश मेडिकल सेवा को बढ़ा नहीं रही है.



काफी बोझिल है कैशलेश मेडिकल सेवा प्रकिया
कैशलेश मेडिकल सेवा के लिए निगम के कर्मचारियों को पहले स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करनी होती है. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा के लिए उन्हें स्वीकृत अस्पतालों में रेफर करती है. अगर स्वीकृत अस्पताल सर्जरी की सलाह देती है तो संबंधित रिटायर्ड शिक्षक को वापस स्वास्थ्य विभाग में जाकर स्वीकृति लेनी होती है. उसके बाद ही इलाज की शुरुआत होती है. याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में ये प्रक्रिया काफी बोझिल है.

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अभी तक नहीं मिला इलाज
याचिका में कहा गया है कि अस्पताल कैशलेस इलाज नहीं करते हैं. रिटायर्ड शिक्षकों को पहले अस्पताल में पैसे जमा करने पड़ते हैं. उसके बाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से उसके भुगतान के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसमें काफी समय लगता है. याचिका में कहा गया है कि नगर निगम की ये प्रक्रिया गलत और गैरकानूनी है. याचिका में कहा गया है कि रिटायर्ड कर्मचारियों को समय से पेंशन नहीं मिलती, जिसकी वजह से अपने इलाज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. एक रिटायर्ड शिक्षक गिरिराज शर्मा को अपनी पत्नी का बीएल कपूर अस्पताल में इलाज करने के लिए पिछले 8 सितंबर को एक लाख 39 हजार रुपये का इंतजाम करना पड़ा. वे 2010 में रिटायर हुए थे और 39 हजार रुपये कैशलेस मेडिकल सेवा के लिए 39 हजार रुपये जमा किए थे. जिसके बाद उन्हें कैशलेश मेडिकल सेवा के लिए पहचान पत्र भी जारी किया गया था, लेकिन उनकी पत्नी के इलाज का पैसा उन्हें आज तक नहीं मिला.

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