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HC ने केंद्र से पूछा- आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्टों को क्यों किया गया बाहर - निजी ई-फार्मेसी कंपनी

आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्टों और फार्मासिस्टों को बाहर रखा गया है. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर सवाल पूछा है. वहीं जस्टिस नवीन चावला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को 16 जून तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया है.

HC asked central govt that why local chemists are out of arogya setu app
हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप के लिए पूछा केंद्र से सवाल
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Published : Jun 10, 2020, 5:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्टों और फार्मासिस्टों को बाहर क्यों किया गया है. जस्टिस नवीन चावला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को 16 जून तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी मनिंदर आचार्य से कहा कि नीति आयोग केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से तालमेल बनाकर काम करे. कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के उस हलफनामे पर गौर किया जिसमें कहा गया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लाइसेंस देने के मामले पर अभी विचार चल रहा है.

नोटिफिकेशन का हो पालन

कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के आदेश और 26 मार्च के स्वास्थ्य मंत्रालय के नोटिफिकेशन का पालन किया जाए. 26 मार्च के नोटिफिकेशन के मुताबिक, दवाईयों की होम डिलीवरी एक जिले के अंदर ही नियमों के मुताबिक हासिल लाइसेंस धारक के जरिये की जा सकती है. कोर्ट ने मनिंदर आचार्य से पूछा कि जब वर्तमान कोरोना संकट के दौरान हर व्यक्ति को आसानी से दवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है तो स्थानीय दवा विक्रेताओं को आरोग्य सेतु से बाहर क्यों रखा गया है. तब मनिंदर आचार्य ने कहा कि इसके लिए सरकार से निर्देश लेने की जरूरत है. उसके बाद कोर्ट ने मनिंदर आचार्य को 16 जून तक जवाब देने का निर्देश दिया है.

हलफनामे में अंतर

पिछले 9 जून को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता ने कहा था कि नीति आयोग और स्वास्थ्य विभाग के हलफनामे में अंतर है. उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने हलफनामे में साफ-साफ कहा है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है.

निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटाया

पिछले 29 मई को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि आरोग्य सेतु ऐप से निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटा दिया गया है. तब जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने मनिंदर आचार्य से पूछा था कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा रखी है तब क्या केंद्र सरकार किसी ई-फार्मेसी कंपनी को वेबसाइट पर लिस्ट करने की अनुमति दे सकती है. कोर्ट ने कहा था कि लगता है केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि आरोग्य सेतु ऐप पर लिस्टिंग के लिए वैसी कंपनी को लिस्ट किया जाता है, जो दस हजार पिन कोड के इलाके को कवर करती हो.


आनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या किसी पूरे भारत में दवाईयों के डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाइसेंस जारी किया गया है. तब याचिकाकर्ता की ओर वकील सुधीर नंद्राजोग औऱ अमित गुप्ता ने कहा था कि पूरे भारत में दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस देने की अनुमति नहीं देता है. किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को दवाईयों की बिक्री करने और उनका डिस्ट्रिब्युशन करने के लिए लाइसेंस नहीं है. उन्होंने कहा था कि दवाईयों की बिक्री, उनका प्रदर्शन या उनके डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाइसेंस केवल उसी परिसर को दिया जाता है जहां से वे ऑपरेट करते हैं. केवल उन्हीं फार्मासिस्ट को दवाईयों के होम डिलीवरी की छूट है, जिनके पास नियमों के मुताबिक वैध लाइसेंस हो. सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को ऑपरेट करने की अनुमति नहीं दी है और आरोग्य सेतु ऐप पर इनके वेबसाईट को लिंक करना गैरकानूनी है.


ई-फार्मेसी कंपनियां कैसे होगी प्रमोट

पिछले 14 मई को हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग, अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कोर्ट को नीति आयोग के सीईओ की ओर से इस संबंध में किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया था जिसमें लाइसेंस धारकों द्वारा होम डिलीवरी की बात कही गई है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट ने ई-फार्मेसी कंपनियों को ऑनलाइन दवाईयां बेचने पर रोक लगाई है. ऐसे में सरकार उन्हें कैसे प्रमोट कर सकती है.


निजी वाणिज्यिक उपक्रम को नहीं बढ़ावा

याचिका साउथ केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्युटर्स एसोसिएशन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से http://www.aarogyasetumitr.in नामक वेबसाइट को लिंक किया गया है. ये बेवसाईट दवाईयों की बिक्री, उनकी मार्केटिंग और प्रमोशन करती है. किसी सरकारी ऐप का इस्तेमाल किसी निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकता है.



बेवसाइट को बंद करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को निर्देश दे कि वो नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और नीति आयोग को निर्देश दे कि आरोग्य सेतु ऐप से मिले-जुले नामों का इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक हितों को पूरा करने के लिए नहीं हो. आरोग्य सेतु ऐप का होमपेज खुद ही इस वेबसाइट का लिंक देता है. याचिका में कहा गया है कि इस बेवसाइट को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जाए.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्टों और फार्मासिस्टों को बाहर क्यों किया गया है. जस्टिस नवीन चावला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को 16 जून तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी मनिंदर आचार्य से कहा कि नीति आयोग केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से तालमेल बनाकर काम करे. कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के उस हलफनामे पर गौर किया जिसमें कहा गया है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लाइसेंस देने के मामले पर अभी विचार चल रहा है.

नोटिफिकेशन का हो पालन

कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के आदेश और 26 मार्च के स्वास्थ्य मंत्रालय के नोटिफिकेशन का पालन किया जाए. 26 मार्च के नोटिफिकेशन के मुताबिक, दवाईयों की होम डिलीवरी एक जिले के अंदर ही नियमों के मुताबिक हासिल लाइसेंस धारक के जरिये की जा सकती है. कोर्ट ने मनिंदर आचार्य से पूछा कि जब वर्तमान कोरोना संकट के दौरान हर व्यक्ति को आसानी से दवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है तो स्थानीय दवा विक्रेताओं को आरोग्य सेतु से बाहर क्यों रखा गया है. तब मनिंदर आचार्य ने कहा कि इसके लिए सरकार से निर्देश लेने की जरूरत है. उसके बाद कोर्ट ने मनिंदर आचार्य को 16 जून तक जवाब देने का निर्देश दिया है.

हलफनामे में अंतर

पिछले 9 जून को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता ने कहा था कि नीति आयोग और स्वास्थ्य विभाग के हलफनामे में अंतर है. उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने हलफनामे में साफ-साफ कहा है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है.

निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटाया

पिछले 29 मई को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि आरोग्य सेतु ऐप से निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटा दिया गया है. तब जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने मनिंदर आचार्य से पूछा था कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा रखी है तब क्या केंद्र सरकार किसी ई-फार्मेसी कंपनी को वेबसाइट पर लिस्ट करने की अनुमति दे सकती है. कोर्ट ने कहा था कि लगता है केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि आरोग्य सेतु ऐप पर लिस्टिंग के लिए वैसी कंपनी को लिस्ट किया जाता है, जो दस हजार पिन कोड के इलाके को कवर करती हो.


आनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या किसी पूरे भारत में दवाईयों के डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाइसेंस जारी किया गया है. तब याचिकाकर्ता की ओर वकील सुधीर नंद्राजोग औऱ अमित गुप्ता ने कहा था कि पूरे भारत में दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस देने की अनुमति नहीं देता है. किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को दवाईयों की बिक्री करने और उनका डिस्ट्रिब्युशन करने के लिए लाइसेंस नहीं है. उन्होंने कहा था कि दवाईयों की बिक्री, उनका प्रदर्शन या उनके डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाइसेंस केवल उसी परिसर को दिया जाता है जहां से वे ऑपरेट करते हैं. केवल उन्हीं फार्मासिस्ट को दवाईयों के होम डिलीवरी की छूट है, जिनके पास नियमों के मुताबिक वैध लाइसेंस हो. सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को ऑपरेट करने की अनुमति नहीं दी है और आरोग्य सेतु ऐप पर इनके वेबसाईट को लिंक करना गैरकानूनी है.


ई-फार्मेसी कंपनियां कैसे होगी प्रमोट

पिछले 14 मई को हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग, अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कोर्ट को नीति आयोग के सीईओ की ओर से इस संबंध में किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया था जिसमें लाइसेंस धारकों द्वारा होम डिलीवरी की बात कही गई है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट ने ई-फार्मेसी कंपनियों को ऑनलाइन दवाईयां बेचने पर रोक लगाई है. ऐसे में सरकार उन्हें कैसे प्रमोट कर सकती है.


निजी वाणिज्यिक उपक्रम को नहीं बढ़ावा

याचिका साउथ केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्युटर्स एसोसिएशन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से http://www.aarogyasetumitr.in नामक वेबसाइट को लिंक किया गया है. ये बेवसाईट दवाईयों की बिक्री, उनकी मार्केटिंग और प्रमोशन करती है. किसी सरकारी ऐप का इस्तेमाल किसी निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकता है.



बेवसाइट को बंद करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को निर्देश दे कि वो नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और नीति आयोग को निर्देश दे कि आरोग्य सेतु ऐप से मिले-जुले नामों का इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक हितों को पूरा करने के लिए नहीं हो. आरोग्य सेतु ऐप का होमपेज खुद ही इस वेबसाइट का लिंक देता है. याचिका में कहा गया है कि इस बेवसाइट को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जाए.

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