नई दिल्ली: राजधानी में गर्मी की शुरुआत होते ही जल संकट की समस्या भी गंभीर होने लगती है. लेकिन इस बार जल संकट का ऐसा दुष्प्रभाव पड़ा है कि अगर हरियाणा सरकार आगे बढ़कर यमुना में अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ती है तो दिल्ली जल बोर्ड के छह में से तीन (वज़ीराबाद, चंद्रावल और ओखला) जल शोधन संयंत्रों को बंद करना पड़ेगा. ऐसे में तकरीबन आधी दिल्ली में (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) जल बोर्ड द्वारा पानी की आपूर्ति ठप हो जाएगी.
यमुना में लगातार घटते जलस्तर को देखते हुए शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल से गुहार लगाई थी. शनिवार को दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि "उन्होंने खुद हरियाणा सरकार से यमुना में अतिरिक्त पानी छोड़ने की बात की थी, लेकिन रविवार दोपहर तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. जिससे राजधानी में जलापूर्ति निर्बाध रूप से हो सके. आज की तारीख में वजीराबाद बैराज में जलस्तर सामान्य 674.5 फुट से घटकर इस साल के न्यूनतम स्तर 667.70 फुट पर पहुंच गया है. इसका मतलब यह है अपने स्तर से करीब 7 फीट नीचे. हालांकि, उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड हर वह संभव प्रयास कर रहा है कि वजीराबाद बैराज में जितना भी पानी है उसका इस्तेमाल ट्रीटमेंट के जरिए किया जा सके, ताकि दिल्लीवालों को भीषण गर्मी में पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े. इसके लिए वजीराबाद बैराज में टेंपरेरी वॉटर मास्टर मंगाई गई है. बैराज पर 700-800 मीटर के वर्ग में फैले पानी को एकत्रित किया जा रहा है और फिर नए फ्लोटिंग पंप के माध्यम से लेकर पानी को ट्रीट किया जाएगा."
दिल्ली में साल दर साल गहराते जल संकट का एक कारण यहां की जनसंख्या में बढ़ोतरी भी है, लेकिन सरकार भी जानती है कि इसके लिए आबादी को दोष नहीं दिया जा सकता. दिल्ली की मौजूदा कॉलोनियों व वहां रहने वाली आबादी तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए प्रतिदिन लगभग 1200 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) पानी की आवश्यकता होती है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड प्रतिदिन लगभग 950 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है. 1200 एमजीडी पानी आपूर्ति करने के संबंध में केजरीवाल सरकार बार-बार बातें तो करती है लेकिन इसमें कम से कम एक साल का वक्त लगेगा. सरकार ने जून 2023 तक जलापूर्ति को बढ़ाकर 1200 एमजीडी करने का लक्ष्य रखा है.
नदी संवाद संस्था से जुड़ी व यमुना नदी के लिए काम करने वाली मीना डबास कहती हैं कि "दिल्ली के अधिकांश इलाकों में वॉटर सप्लाई पर असर दिख रहा है, पानी के इस संकट की प्रमुख वजह वजीराबाद बैराज है, जहां से दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में पानी जाता है. इस बैराज में लगातार जल स्तर कम हो रहा है. वजीराबाद बैराज में यमुना का पानी हरियाणा से होकर आता है. यहां से पानी को इकट्ठा कर ट्रीट किया जाता है और फिर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता है. वजीराबाद बैराज पर जलस्तर का लेवल यह दिखाता है कि हरियाणा से कितना पानी दिल्ली की तरफ छोड़ा जा रहा है. वे कहती हैं दिल्ली एक लैंडलॉक शहर है. यहां ज़्यादातर पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्यों से आने वाली नदी से होती है."
दिल्ली में पानी के स्रोत
उत्तर प्रदेश गंगा के पानी की आपूर्ति करता है और हरियाणा से यमुना के पानी की आपूर्ति होती है. वहीं, पंजाब के भाखड़ा नंगल से भी कुछ पानी मिलता है. इनमें सबसे ज्यादा पानी की आपूर्ति हरियाणा से होती है. यमुना दिल्ली में वजीराबाद बैराज से 15 किमी ऊपर पल्ला में प्रवेश करती है, जो दिल्ली का एक मुख्य जलाशय है. वजीराबाद बैराज को साल 1959 में उत्तरी दिल्ली में यमुना नदी पर बनाया गया था. बैराज एक विशेष प्रकार का बांध होता है, जिसमें बड़े-बड़े द्वारों की श्रृंखला होती है. बैराज द्वारा नदियों के प्रवाह तथा उनके जलस्तर को नियंत्रित किया जाता है. इस साल वजीराबाद तालाब का जलस्तर गिरकर इस साल के न्यूनतम 667 फुट के स्तर पर आ गया है. इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड की ओर से लगातार हरियाणा सिंचाई विभाग से स्थिति में सुधार की मांग की जा रही है.
दिल्ली में जल संकट के मुख्य तीन कारण
- पानी का एकमात्र स्रोत नदी. पानी को स्टोर नहीं किया जा सकता है. पानी रोज ट्रीट किया जाता है और आगे आपूर्ति की जाती है. स्टोरेज का कोई तरीका नहीं होता है. दिल्ली हमेशा से पानी के लिए नदियों पर निर्भर रहा है और नदियां एक राज्य से दूसरे राज्य में बहती हैं. अगर आने वाला राज्य नदी के बहाव को रोक देगा तो दूसरे राज्य में पानी नहीं जाएगा.
- दिल्ली के ज्यादा से ज्यादा घरों में जलापूर्ति के लिए दिल्ली सरकार ने 'दिल्ली स्लम एंड जेजे रिहैबिलिटेशन एंड रीलोकेशन पालिसी 2015' को अनुमति प्रदान की ताकि इन क्षेत्रों में विभिन्न वित्तीय फंडों के द्वारा पाइप लाइन के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था करवाई जा सके, लेकिन यह पॉलिसी लागू नहीं पाई.
- अनियोजित रिहायशी कॉलोनियों का विकास.
फौरी तौर पर जल संकट से उबरने के तीन सुझाव
- टेंपरेरी वॉटर मास्टर मशीन से वज़ीराबाद बैराज में फैले पानी को किया जा सकता है इकट्ठा. दिल्ली जल बोर्ड टेंपरेरी फ्लोटिंग पंप लगाए जो आगे गहराई में डाले जा सकते हैं, उससे पहले नीचे की रेती को निकाल कर पानी वहां एकत्रित किया जा सकता है.
- साथ ही वजीराबाद बैराज पर 700-800 मीटर के वर्ग में फैले पानी को इकट्ठा करके उसे नए पंप के जरिए लेकर, पानी को ट्रीट करें. यह प्रयास जल बोर्ड की ओर से पिछले कुछ दिनों के अंदर किया गया है, ताकि जलापूर्ति किसी तरीके से ठीक की जा सके.
- दिल्ली में नदी के अलावे अन्य जल स्रोत तालाब, झील को पुनर्जीवित कर पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल का भंडारण किया जा सकता है. जिस दिशा में दो साल पहले केजरीवाल सरकार ने काम शुरू किया है.
फिलहाल लोगों को पानी की बर्बादी न करने की सलाह, हेल्पलाइन के जरिए टैंकर के लिए कर सकते है संपर्क
दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में जल उपचार संयंत्रों से पानी का उत्पादन प्रभावित हुआ है. ऐसे में जलस्तर में सुधार होने तक जल बोर्ड ने लोगों को पानी बचाने और संग्रह करने की सलाह दी है. पानी की आपूर्ति कुछ इलाकों में प्रभावित रह सकती है. ऐसे में पानी की किल्लत से परेशान लोग दिल्ली जल बोर्ड के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष 1916 पर टैंकर के लिए संपर्क कर सकते हैं.
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