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कोरोना के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को बरतनी हैं सावधानियां, गायनोकॉलोजिस्ट से खास बातचीत - कोरोना में गर्भवती महिला

एससीआई इंटरनेशनल हॉस्पिटल की डॉक्टर ध्वनि ने बताया कि कोविड-19 के चलते गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर काफी बदलाव किए गए हैं. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कोरोना महामारी से पहले हर 2-3 हफ्तों में रूटीन चेकअप के लिए बुलाया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

Gynecologist Dr. Dhwani Mago
गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर ध्वनि मागो
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Published : Sep 10, 2020, 9:18 AM IST

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर खास सलाह दे रहे हैं. अस्पतालों में भी कुछ बदलावों के साथ सावधानियां बरती जा रही हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने गायनोकॉलोजिस्ट डॉ ध्वनि मागो से खास बातचीत की.

'कोरोना के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को बरतनी हैं सावधानियां'

एससीआई इंटरनेशनल हॉस्पिटल की डॉक्टर ध्वनि मोगा ने बताया कि कोविड-19 के चलते गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर काफी बदलाव किए गए हैं. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कोरोना महामारी से पहले हर 2-3 हफ्तों में रूटीन चेकअप के लिए बुलाया जाता था. अब ऐसा नहीं है.

रूटीन चेकअप के लिए गर्भवती महिलाओं को बार-बार अस्पताल नहीं बुलाया जा रहा है. ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर वीडियो कॉल या मोबाइल फोन के जरिए ही कंसल्ट कर रहे हैं. इमरजेंसी होने पर ही उन्हें अस्पताल बुलाया जा रहा है.

डॉ ध्वनि ने कहा-

मौजूदा हालात में महिलाओं को खास तौर पर इस बात का ध्यान रखने की भी जरूरत है कि वो कोरोना महामारी के खत्म होने का इंतजार ना करें. खासतौर पर गर्भवती महिलाएं. उन्हें गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द, ब्लीडिंग या गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर कोई परेशानी आ रही है, तो तुरंत अपना चेकअप कराएं.


महामारी के चलते लोग अस्पताल जाना बेहद कम कर रहे हैं, लेकिन जरूरी है कि इमरजेंसी होने पर अस्पताल जाकर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. सभी सावधानियों के साथ ही अपने घर से बाहर निकलें.

बरती जा रही खास सावधानियां

डॉक्टर ध्वनि ने बताया कि अस्पतालों में भी महामारी को लेकर खास सावधानियां बरती जा रही हैं. ना केवल कोविड अस्पतालों में बल्कि जो अन्य अस्पताल हैं, वहां पर भी महामारी के चलते इलाज में कई बदलाव किए गए हैं. अब अस्पतालों में ओपीडी खुलने लगी है और कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से जुड़े मरीजों का इलाज भी रूटीन के हिसाब से हो रहा है.

डॉक्टर अब ओपीडी में भी पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क आदि पहनकर ही मरीजों का चेकअप कर रहे हैं. इसके अलावा जो मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं उनका बॉडी टेंपरेचर, सैनिटाइजेशन आदि का ध्यान रखा जा रहा है. साथ ही एक मरीज को देखने के बाद करीब 20 मिनट तक दूसरे मरीज को डॉक्टर नहीं देख रहे हैं, ताकि संक्रमण फैलने का खतरा ना बढ़े.

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर खास सलाह दे रहे हैं. अस्पतालों में भी कुछ बदलावों के साथ सावधानियां बरती जा रही हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने गायनोकॉलोजिस्ट डॉ ध्वनि मागो से खास बातचीत की.

'कोरोना के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को बरतनी हैं सावधानियां'

एससीआई इंटरनेशनल हॉस्पिटल की डॉक्टर ध्वनि मोगा ने बताया कि कोविड-19 के चलते गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर काफी बदलाव किए गए हैं. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कोरोना महामारी से पहले हर 2-3 हफ्तों में रूटीन चेकअप के लिए बुलाया जाता था. अब ऐसा नहीं है.

रूटीन चेकअप के लिए गर्भवती महिलाओं को बार-बार अस्पताल नहीं बुलाया जा रहा है. ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर वीडियो कॉल या मोबाइल फोन के जरिए ही कंसल्ट कर रहे हैं. इमरजेंसी होने पर ही उन्हें अस्पताल बुलाया जा रहा है.

डॉ ध्वनि ने कहा-

मौजूदा हालात में महिलाओं को खास तौर पर इस बात का ध्यान रखने की भी जरूरत है कि वो कोरोना महामारी के खत्म होने का इंतजार ना करें. खासतौर पर गर्भवती महिलाएं. उन्हें गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द, ब्लीडिंग या गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर कोई परेशानी आ रही है, तो तुरंत अपना चेकअप कराएं.


महामारी के चलते लोग अस्पताल जाना बेहद कम कर रहे हैं, लेकिन जरूरी है कि इमरजेंसी होने पर अस्पताल जाकर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. सभी सावधानियों के साथ ही अपने घर से बाहर निकलें.

बरती जा रही खास सावधानियां

डॉक्टर ध्वनि ने बताया कि अस्पतालों में भी महामारी को लेकर खास सावधानियां बरती जा रही हैं. ना केवल कोविड अस्पतालों में बल्कि जो अन्य अस्पताल हैं, वहां पर भी महामारी के चलते इलाज में कई बदलाव किए गए हैं. अब अस्पतालों में ओपीडी खुलने लगी है और कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से जुड़े मरीजों का इलाज भी रूटीन के हिसाब से हो रहा है.

डॉक्टर अब ओपीडी में भी पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क आदि पहनकर ही मरीजों का चेकअप कर रहे हैं. इसके अलावा जो मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं उनका बॉडी टेंपरेचर, सैनिटाइजेशन आदि का ध्यान रखा जा रहा है. साथ ही एक मरीज को देखने के बाद करीब 20 मिनट तक दूसरे मरीज को डॉक्टर नहीं देख रहे हैं, ताकि संक्रमण फैलने का खतरा ना बढ़े.

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