नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने 15 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान पहले ही लागू कर दिया है. अब कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की सिफारिश के तहत एक अक्टूबर से GRAP यानी (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू हो जाएगा. इसके बाद जब भी प्रदूषण खराब स्थिति में आएगा इसका पहला चरण लागू कर दिया जाएगा. इसके तहत बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र की चल रही गाड़ियों पर भारी जुर्माना वाहन मालिक वसूला जाएगा. दिल्ली में चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लग जाएगी. साथ ही डीजल चालित जनरेटर का इस्तेमाल बंद हो जाएगा.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि अक्टूबर शुरू होते ही दिल्ली एनसीआर की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू होने के बाद कई तरह की पाबंदियां लग जाती है. इससे प्रदूषण को नियंत्रित रखने में काफी हद तक मदद मिलता है.
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#WATCH | Delhi: "The government is making efforts to formulate a Winter Action Plan to control the rise in pollution level in Delhi during winters. Around 28 departments of Delhi are making a Winter Action Plan to submit to the Environment Department. Delhi CM would announce it… pic.twitter.com/Gvoyosu8Kj
— ANI (@ANI) September 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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GRAP में अलग-अलग चरण बनाए गए हैं. प्रदूषण के स्तर के अनुसार यह चरण लागू हो जाता है. ग्रेप के चौथे चरण में सख्त पाबंदियां रहती है. इसमें प्रदूषित ईंधन वाले ट्रकों के परिचालन पर रोक, डीजल गाड़ियों की दिल्ली में एंट्री पर रोक, सभी तरह के निर्माण जैसी कई पाबंदियां रहती है. ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लागू करने के लिए जो चार चरण बनाए गए हैं वह चार चरण प्रदूषण के स्तर को देखते हुए स्वत ही लागू माना जाएगा".
चार चरणों में लागू होंगी पाबंदियांः एयर क्वालिटी इंडेक्स 201 से 300 के बीच होने पर ग्रेप का पहला चरण, 301 से 400 के बीच होने पर दूसरा चरण, 401 से 450 के बीच होने पर तीसरा चरण और 450 से अधिक होने चौथा चरण लागू हो जाएगा. जानिए, किस चरण में क्या-क्या होगा...
- वाहनों चालकों के लिए वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है, अन्यथा 10 हजार जुर्माना लगाया जाएगा.
- ग्रेप लागू होने के बाद दिल्ली में कई टीमें सघन जांच अभियान के लिए उतर जाती है.
- दूसरा दिल्ली एनसीआर में बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से डीजल पर ना हो किसी भी सोसाइटी औद्योगिक इकाई में अगर डीजल जनरेटर का इस्तेमाल हो रहा है तो उसे पर रोक लग जाती है.
- दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के मुताबिक दिल्ली में उद्योग पूरी तरह से पीएनजी पर शिफ्ट हो चुके हैं इसलिए डीजल जेनसेट का इस्तेमाल पूरी तरह अवैध है.
- किसी भी व्यावसायिक और रिहायशी इलाके में निर्माण कार्य चल रहा होता है तो वहां पर धूल को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने जरूरी हो जाता है.
- कंस्ट्रक्शन निर्माण सामग्री खुले में रखा जाता है तो उसे ढकने की व्यवस्था करनी होगी. पटाखों का प्रयोग पर पाबंदी होती है.
दूसरे चरण की पाबंदियांः दूसरे चरण के दौरान होटल और ढाबों में कोयले और लकड़ी के इस्तेमाल और पूरी तरह रोक लग जाएगी. होटल संचालकों को इसके विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रिक या पीएनजी सीएनजी से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा. इस दौरान डीजल जनरेटर का प्रयोग केवल आपातकालीन स्थिति में ही किया जा सकेगा. आपातकालीन इस्तेमाल के दौरान अस्पताल, एयरपोर्ट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर पंपिंग स्टेशन और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों आदि शामिल है. अगर निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं तो पार्किंग शुल्क इस दौरान अधिक देना पड़ेगा. पार्किंग शुल्क में भी इजाफा कर दिया जाएगा.
अब जानिए तीसरे और चौथे चरण में क्या होगा...
- निर्माण कार्य पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे. कुछ इमरजेंसी प्रोजेक्ट जैसे रेलवे, आईएसबीटी, अस्पताल, एयरपोर्ट, पुलिस स्टेशन आदि बनाने का काम चल रहा हो तो वह जारी होगा, लेकिन इन तमाम इकाइयों पर भी धूल फैलने से रोकने के लिए कदम उठाने होंगे.
- स्वच्छ इंजन जैसे पीएनजी आदि का उपयोग न करने पर औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह से बंद रहेंगी. इस दौरान ईंट, भट्टे पूरी तरह से बंद रहेंगे.
- चौथे चरण में जरूरी सामान के अलावा अन्य डीजल चालित ट्रांसपोर्ट वाहनों ट्रक आदि की राजधानी में प्रवेश पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
2017 में पहली बार लागू हुआ था ग्रेप सिस्टमः 2017 में पहली बार ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रेप को लागू किया गया था. उसके बाद भी लगातार इसमें खामियां मिल रही है. ग्रेप के किसी भी चरण को लागू करने या हटाने में देरी न हो इसके लिए जरूरी है कि प्रदूषण के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी हो. पिछले साल कई मौके पर यह तालमेल नजर नहीं आया था. जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हुई थी और ग्रेप लागू करने के तौर-तरीके पर भी सवाल उठने लगे थे.
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