नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के 36वें दीक्षांत समारोह के दौरान इग्नू के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि जब पति-पत्नी को एक साथ एक ही दीक्षांत समारोह में पीएचडी की डिग्री दी गई हो. दरअसल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में उपनिदेशक पद पर कार्यरत डॉक्टर निखिल कांत और उनकी पत्नी डॉक्टर अंजली कुमारी ने इग्नू के अलग-अलग विभागों से सोमवार को पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. इस दौरान इस दंपत्ति का नाम इग्नू के इतिहास में पति-पत्नी के रूप में एक साथ डिग्री लेने वाले पति-पत्नी के एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज हो गया.
डॉ. निखिल कांत ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने इग्नू के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से क्लाइमेट क्राइसिस विषय पर अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की है, जबकि पत्नी अंजलि ने स्कूल ऑफ साइंस से पीएचडी की है. आज हम दोनों एक साथ डिग्री पाकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और अपनी इस सफलता में इग्नू के सभी शिक्षकों व अपने मार्गदर्शक को इसका श्रेय देते हैं, जिनके सहयोग से यह संभव हो सका. उन्होंने बताया कि इग्नू की ओर से उन्हें अकादमिक और रिसर्च के लिए काफी सहयोग मिला. डॉ. निखिल कांत ने आगे बताया कि उनके पीएचडी में किए गए शोध से एक ऐसा विषय निकल कर आया है जिस पर आगे वैश्विक स्तर पर भी शोध हो सकता है.
वहीं, उनकी पत्नी डॉ. अंजली कुमारी ने बताया कि उन्होंने इग्नू के स्कूल आफ साइंस से क्लाइमेट क्राइसिस में ही पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर उपाधि प्राप्त की है. पति के साथ खुद भी डिग्री प्राप्त करने से बहुत खुशी हो रही है. हम दोनों ने क्लाइमेट क्राइसिस को लेकर काफी शोध करके अपनी थिसिस तैयार की जो आगे काफी उपयोगी होगी.
63 साल के सेवानिवृत अधिकारी को भी मिली डिग्रीः इग्नू के दीक्षांत समारोह के दौरान देहरादून के रहने वाले 63 वर्षीय सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी कृपाराम नौटियाल ने भी अपनी पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. वह अब डॉक्टर बन गए हैं. इस दौरान ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कृपाराम नौटियाल ने बताया कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है और आदमी को अपनी जिंदगी में हमेशा सीखते रहना चाहिए. इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने 60 साल की उम्र में इग्नू से पीएचडी में दाखिला लिया और साढ़े तीन साल में कड़ी मेहनत कर अपनी पीएचडी पूरी करके आज राष्ट्रपति के हाथों डिग्री प्राप्त की है. इससे वह बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
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दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानितः उन्होंने बताया कि वह भारतीय नौसेना में अतिरिक्त महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. 40 साल नौसेना में सर्विस की इस दौरान में दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में काफी कार्य किया है. उन्होंने जनजातीय इलाके के लोगों के ऊपर अपनी पीएचडी में शोध कार्य किया है. उन्होंने बताया कि जल्दी ही उनकी पीएचडी की थीसिस के ऊपर इनकी एक किताब भी आने वाली है, जिसमें डिफेंस और स्ट्रैटेजिक स्टडीज को लेकर के काफी शोधपरक जानकारियां होंगी.