नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में दीपावली पर पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध (Firecrackers banned in Delhi) लगाने के बाद दिल्ली में पटाखों को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. एक तरफ जहां लोगों का कहना है कि प्रदूषण के चलते राज्य सरकार की ओर से उठाया गया कदम ठीक है और लोगों को इसके लिए बनाए गए नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए. दूसरी तरफ एक वर्ग ऐसा भी है जो पटाखों पर पूरे वर्ष प्रतिबंध चाहता है ताकि केवल दीपावली ही नहीं बल्कि बाकी समय पर भी दिल्ली में पटाखे इस्तेमाल न किए जाएं. इसके अलावा एक ऐसा भी पक्ष मौजूद है जो दिल्ली सरकार को पटाखों पर बैन के अतिरिक्त प्रदूषण से बचाव के अन्य कदम उठाने की सलाह दे रहा है. हमारे ईटीवी संवाददाता ने दिल्ली के अलग-अलग वर्गो से आने वाले लोगों से बातचीत कर पटाखों पर लगे प्रतिबंध पर उनकी राय जानी....
ये भी पढ़ें :-समुद्र पर बने कम दबाव के क्षेत्र के 24 अक्टूबर तक चक्रवात में बदलने की आशंका
प्रो निशा यादव (शिक्षक): प्रदूषण का प्रमुख कारण पटाखों को ही मान लेना और उन पर प्रतिबंध लगा देने से ही हम प्रदूषण को कंट्रोल नहीं कर सकते. जरूरी है कि पूरे साल हम औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं वाहनों के कार्बन उत्सर्जन कम करने पर ध्यान दें और उनको रोकने के प्रयास करें, जिससे साल में एक बार आने वाले दीपावली त्यौहार पर पटाखों का जनता उपयोग कर सके.
डॉ नमित वार्ष्णेय (चिकित्सक) : हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली का पर्व हर साल मनाया जाता है. इस दिन पटाखे जलाना कई वर्षों से चलता आ रहा है, लेकिन हर वर्ष की तरह पॉल्यूशन के नाम पर खानापूर्ति की जाती है. पूरे वर्ष शादी, विवाह और शुभ कार्यों में पटाखे चलाए जाते हैं लेकिन दिवाली आते ही कागजी कार्यवाही चालू हो जाती है और ग्रीन पटाखों के नाम पर भारी मुनाफा कमाया जाता है. पॉल्यूशन के मामले में पहले भी कई बार सरकार ऑड ईवन फार्मूला का एक्सपेरिमेंट कर चुकी है.
आशीष मिश्र (सॉफ्टवेयर इंजीनियर) : राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर पटाखों पर पूरी तरह से बैन दिल्ली सरकार का एक सराहनीय फैसला है. उम्मीद है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है और आगे भी सरकार सख्त फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगी. मेरा सुझाव है कि दिल्ली सरकार को राजधानी परिक्षेत्र में पूरी तरह से पटाखों पर पाबंदी लगा देनी चाहिए.
(रवि दराल, अधिवक्ता) : राजधानी में पटाखों पर लगाए गए बैन को सर्वोच्च न्यायालय ने भी सही माना है. सर्वोच्च न्यायालय ने एनजीटी के दिशा निर्देशों के साथ-साथ राजधानी में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए अपने निर्देश जारी किए हैं. धार्मिक और अन्य मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट ने प्रदूषण को मानवीय आपदा के तौर पर कई बार स्वीकार किया है. ऐसे में कोर्ट का निर्णय जनमानस के लिए सही है.
विनोद बंसल (राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद) : दिल्ली में प्रदूषण के नाम पर जिस तरह से हिंदू त्यौहारों को टारगेट किया जा रहा है उसे दिल्ली सरकार का हिंदू द्रोही चेहरा सामने आ रहा है. एक तरफ सरकार के प्रतिष्ठान पूरे वर्ष पटाखों की बिक्री और संग्रह करने के लिए लाइसेंस जारी करती है, वही दिवाली और छठ जैसे त्यौहार आने पर इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाता है. प्रतिबंध लगाए जाने के दिन ही दिल्ली सरकार के एक मंत्री के घर के बाहर पटाखे फोड़े जाते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिससे दिल्ली सरकार की संकुचित मानसिकता वाला चेहरा साफ दिखाई देता है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दिल्ली में दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने उससे आगे बढ़ते हुए पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जबकि पूरे देश में किसी भी सरकार ने इस प्रकार का कोई कदम नहीं उठाया है. हम दिल्ली सरकार से अपील करते हैं कि वह अपने इस कदम पर पुनर्विचार करें.
ये भी पढ़ें :- दिल्ली के आदर्श नगर ऑटो वर्कशॉप में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर खाक