नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दिया. इस पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 7 फीसदी जीडीपी की उम्मीद मजबूत बुनियादी सिद्धांतों के आधार पर एक मजबूत विकास की कहानी का दृढ़ संकेत है, लेकिन चालू खाता घाटे का बढ़ना चिंता का कारण है. कैट ने उम्मीद जताई कि बुधवार को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में इस घाटे को कम करने के लिए सार्थक एवं उपयुक्त उपाय किए जाएंगे. कैट का मानना है कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह लगता है कि बुधवार को प्रस्तुत होने वाले केंद्रीय बजट में व्यापार एवं उद्योग के लिए अनेक समर्थन नीतियों का समावेश होगा.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भारत की कोविड महामारी से रिकवरी प्रशंसनीय है. घरेलू मांग में वृद्धि और पूंजीगत व्यय में वृद्धि से अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि करने में सहायता दी है, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत अच्छी है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आर्थिक विकास की धीमी गति ने निश्चित रूप से 2022 की दूसरी छमाही में भारत के निर्यात को प्रभावित किया है. ऐसे समय में जब अधिकांश देश वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं, यह सराहना करने की आवश्यकता है कि केंद्र सरकार ने समय-समय पर आवश्यक कदम उठाते हुए वित्तीय तरलता को बनाए रखा है. जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है.
हालांकि, सर्वेक्षण में उधार लेने की लागत अधिक रहने का अनुमान है, जो व्यापार और उद्योग के लिए चिंता का कारण है. शहरी रोजगार दर में गिरावट आई है, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि पंजीकरण में वृद्धि हुई है जो संतोषजनक है. केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में 63 फीसदी की वृद्धि ने व्यापार में विकास और बाजार में मुद्रा तरलता को बढ़ाने में मदद की है.
ज्यादा टैक्स देने वालों को सरकार को देनी चाहिए सहूलियत: वहीं, आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद बुधवार को पेश होने वाले बजट को लेकर टैक्स कंसलटेंट कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में हाई क्लास के लोगों को कुछ टैक्स में राहत कम दी गई, जिससे इन लोगों में एक असहमत की भावना बनी हुई है. टैक्स कंसलटेंट सी.के. मिश्रा कहते हैं कि लोगों के दिमाग में आ रहा है कि सरकार को उनको कुछ स्पेशल छूट देना चाहिए, जैसे बड़े लोगों को बहुत ज्यादा ट्रैवल करना होता है. उनको एयरपोर्ट पर अलग से लाइन मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में रहने वाले ऐसे लोगों की संख्या अधिक है. वे चाहते हैं कि बैंक और अस्पताल में उनके लिए कुछ रेटिंग की व्यवस्था हो, जिससे सहूलियत मिल सके. टैक्स का एक बहुत भाग बड़ी कंपनी और अच्छी सैलरी वाले लोगों की तरफ से आता है. मतलब यह कि उनको टैक्स देने के बदले में सरकार कुछ दें. वहीं पर भारत में पूंजीगत खर्चे को बढ़ाया जा रहा है. सभी राज्यों में पूंजीगत खर्चे हो रहे, जिससे लोगों को रोजगार और सुविधा मिल रही है और उनके जीवन स्तर में विकास हो रहा.
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