नई दिल्ली: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 14 अगस्त को विश्वविद्यालय के कॉन्फ्रेंस सेंटर में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा. दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र की स्थापना की घोषणा भी की है. दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने बताया कि यह केंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह की अध्यक्षता और संरक्षण में कार्य करेगा.
केंद्र की गवर्निंग बॉडी गठित कर दी गई है जो तीन साल की अवधि के लिए तत्काल प्रभाव से लागू होगी. प्रो. प्रकाश सिंह ने बताया कि यह केंद्र स्वतंत्रता संग्राम और उसके परिणाम के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए काम करेगा. उन्होंने कहा कि विभाजन विभीषिका से उपजी गंभीर मानवीय त्रासदी, दर्द, घाटे, अस्तित्व की गंभीरता से जुड़ी असंख्य कहानियां और यादें हैं जो इस केंद्र द्वारा अध्ययनों से प्रकाश में आएंगे. यह केंद्र समर्पित अभिलेखीय स्रोतों और मौखिक इतिहास के माध्यम से अनुसंधान और सीखने को प्रोत्साहित करने का एक यथार्थ शैक्षणिक प्रयास है.
गुमनाम लोगों के बारे में बताया जाएगा
प्रो. प्रकाश सिंह ने बताया कि इस केंद्र को इस क्षेत्र में विशिष्ट अध्ययन के लिए एक समर्पित संसाधन केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा. उन्होने बताया कि यह केंद्र उन गुमनाम लोगों के ऐतिहासिक आख्यानों को उजागर करने को प्राथमिकता देगा, जिन्हें शायद ही कभी मुख्यधारा में संदर्भित किया जाता हो और जिनकी पहचान के साथ पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार किया गया. उन्होंने कहा कि यह केवल भौगोलिक विभाजन ही नहीं था, बल्कि भावनात्मक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत भारी क्षति थी.
देश में बाहर एमओयू भी करेगा
प्रो. प्रकाश सिंह ने बताया कि यह केंद्र अनुसंधान तथा सहयोग विकसित करने के साथ-साथ देश के भीतर और बाहर एमओयू भी करेगा. क्षेत्र में ज्ञान के व्यापक प्रसार के लिए एक समर्पित पुस्तकालय और एक डिजिटल-संसाधन इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस पहले से ही चल रहा है. इस केंद्र की परिकल्पना अनुसंधान और संसाधनों के प्रासंगिक क्षेत्र में एक अति उत्कृष्ट संस्थान के रूप में की गई है.
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