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नानकी सिंह ने किया साइनोटाइप तकनीक से बनाईं गई पेंटिंग्स का प्रदर्शन

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Published : Apr 21, 2023, 1:02 PM IST

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर 'नील एक एकल प्रदर्शनी' का आयोजन किया गया. प्रदर्शनी में लगी सभी पेंटिंग्स साइनोटाइप तकनीक द्वारा बनाई गई हैं.

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पेंटर नानकी सिंह

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों को सुंदर रूप दिया और कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया. इस दौरान कला साधना को निखारने का भी प्रयास किया. ऐसी ही एक कोशिश लोदी रोड स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) में लगी 'नील एक एकल प्रदर्शनी' में देखने को मिलती है. पेंटर नानकी सिंह की इस प्रदर्शनी में लगी सभी पेंटिंग्स साइनोटाइप तकनीक से बनाई गई हैं.

बस नाम में जुड़ा है फोटोग्राफी: पेंटर नानकी सिंह ने बताया कि साइनोटाइप फोटोग्राफी कैमरे के बिना तैयार की गई फ़ोटोग्राफ़ी है. इसमें सियान-ब्लू प्रिंट बनाने के लिए रसायनों और सूरज की किरणों या यूवी प्रकाश (UV Rays) का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस तरह से जो तस्वीर या चित्र उभर कर आते हैं, वह नीले रंग के होते हैं. ऐसी पेंटिंग्स को सियान या साइनोटाइप फोटोग्राफी कहा जाता है.

25 अप्रैल तक लोग प्रदर्शनी का कर सकते हैं दीदार: नानकी ने बताया कि ऐसा पहली बार है, जब उन्होंने एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया. बीते दो दिनों में काफी अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला है. आर्ट गैलरी में लगी इस प्रदर्शनी का दीदार 25 अप्रैल तक लोग कर सकते हैं. उनको बचपन से ही चित्रकारी का शौक रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान घर में रहकर साइनोटाइप फोटोग्राफी करनी शुरू की. इन चित्रों को तैयार होने में काफी लंबा समय लगता है, इसके लिए उन्होंने घर के वॉशरूम को डार्क रूम बना दिया है.

सिंगापुर में नानकी ने की है स्नातक की पढ़ाई: दिल्ली की रहने वाली नानकी ने Lasalle College of the Arts, सिंगापुर में स्नातक की पढ़ाई की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो भारत आ गईं और अपनी चित्रकारी को उभारने के प्रयासों में लग गईं. नानकी ने सिंगापुर और भारत में कई बार ग्रुप आर्ट गैलरी में हिस्सा लिया है. उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार है, जब उन्होंने एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया.

कैसे और कब हुई सायनोटाइप फोटोग्राफी की शुरुआत: साइनोटाइप फोटोग्राफी का आविष्कार 1842 में हुआ, जब सर जॉन हर्शल नाम के वैज्ञानिक ने ब्लूप्रिंट का आविष्कार किया था. इसका इस्तेमाल आर्किटेक्ट्स वास्तुशिल्प और यांत्रिक चित्रों की डुप्लिकेट कॉपी बनाने के लिए करते थे. दरअसल, हर्शल की मित्र और फ़ोटोग्राफ़र एना एटकिन्स जिनको एक जीवविज्ञानी और वनस्पति कलाकार के रूप में जाना जाता है. इन्होंने ने 1843 में कागज़ पर सायनो नमूनों का एक फ़ोटोग्राफ़िक एल्बम तैयार किया था. इसके बाद सायनोटाइप ने फोटोग्राफिक प्रिंटिंग का चेहरा बदल दिया है. साइनोटाइप ने आर्ट की दुनिया को नया नाम दिया.

ये भी पढ़ें: Twitter Blue Tick: CM केजरीवाल व LG वीके सक्सेना के ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हटा

पेंटर नानकी सिंह

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों को सुंदर रूप दिया और कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया. इस दौरान कला साधना को निखारने का भी प्रयास किया. ऐसी ही एक कोशिश लोदी रोड स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) में लगी 'नील एक एकल प्रदर्शनी' में देखने को मिलती है. पेंटर नानकी सिंह की इस प्रदर्शनी में लगी सभी पेंटिंग्स साइनोटाइप तकनीक से बनाई गई हैं.

बस नाम में जुड़ा है फोटोग्राफी: पेंटर नानकी सिंह ने बताया कि साइनोटाइप फोटोग्राफी कैमरे के बिना तैयार की गई फ़ोटोग्राफ़ी है. इसमें सियान-ब्लू प्रिंट बनाने के लिए रसायनों और सूरज की किरणों या यूवी प्रकाश (UV Rays) का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस तरह से जो तस्वीर या चित्र उभर कर आते हैं, वह नीले रंग के होते हैं. ऐसी पेंटिंग्स को सियान या साइनोटाइप फोटोग्राफी कहा जाता है.

25 अप्रैल तक लोग प्रदर्शनी का कर सकते हैं दीदार: नानकी ने बताया कि ऐसा पहली बार है, जब उन्होंने एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया. बीते दो दिनों में काफी अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला है. आर्ट गैलरी में लगी इस प्रदर्शनी का दीदार 25 अप्रैल तक लोग कर सकते हैं. उनको बचपन से ही चित्रकारी का शौक रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान घर में रहकर साइनोटाइप फोटोग्राफी करनी शुरू की. इन चित्रों को तैयार होने में काफी लंबा समय लगता है, इसके लिए उन्होंने घर के वॉशरूम को डार्क रूम बना दिया है.

सिंगापुर में नानकी ने की है स्नातक की पढ़ाई: दिल्ली की रहने वाली नानकी ने Lasalle College of the Arts, सिंगापुर में स्नातक की पढ़ाई की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो भारत आ गईं और अपनी चित्रकारी को उभारने के प्रयासों में लग गईं. नानकी ने सिंगापुर और भारत में कई बार ग्रुप आर्ट गैलरी में हिस्सा लिया है. उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार है, जब उन्होंने एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया.

कैसे और कब हुई सायनोटाइप फोटोग्राफी की शुरुआत: साइनोटाइप फोटोग्राफी का आविष्कार 1842 में हुआ, जब सर जॉन हर्शल नाम के वैज्ञानिक ने ब्लूप्रिंट का आविष्कार किया था. इसका इस्तेमाल आर्किटेक्ट्स वास्तुशिल्प और यांत्रिक चित्रों की डुप्लिकेट कॉपी बनाने के लिए करते थे. दरअसल, हर्शल की मित्र और फ़ोटोग्राफ़र एना एटकिन्स जिनको एक जीवविज्ञानी और वनस्पति कलाकार के रूप में जाना जाता है. इन्होंने ने 1843 में कागज़ पर सायनो नमूनों का एक फ़ोटोग्राफ़िक एल्बम तैयार किया था. इसके बाद सायनोटाइप ने फोटोग्राफिक प्रिंटिंग का चेहरा बदल दिया है. साइनोटाइप ने आर्ट की दुनिया को नया नाम दिया.

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