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दिल्ली में कोलकाता से आईं 'इको फ्रेंडली' गणेश प्रतिमाएं, फिर भी बिक्री कम

गणेश चतुर्थी को देखते हुए दिल्ली के बाजार बप्पा की मूर्तियों से सजे हुए हैं. बाजारों में गणेश जी की तरह-तरह की रंग-बिरंगी मूर्तियां मिल रही हैं. इस बीच कच्ची मिट्टी की मूर्तियां भी बिक रही हैं, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं और विसर्जन करने में भी आसानी होती है. लेकिन इस बार ग्राहक कम आ रहे हैं, जिससे इन मूर्तिकारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

clay idol of ganpati
गणपति की कच्ची मिट्टी की मूर्ति
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Published : Sep 9, 2021, 5:20 PM IST

नई दिल्ली : गणपति बप्पा के जन्मोत्सव की तैयारियां पूरे देश में धूमधाम से की जा रही हैं. दिल्ली में भी भक्तों ने बप्पा को घर लाने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं. बाजारों में रंग-बिरंगी और अलग-अलग आकार की गणपति बप्पा की प्रतिमाएं देखने को मिल रही हैं. इस बीच बाजारों में 100 फ़ीसदी कच्ची मिट्टी की मूर्तियां भी उपलब्ध हैं, जो खासतौर पर कोलकाता से मंगाई गई हैं.

बाजार में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा
दिल्ली में कोरोना गाइडलाइन के चलते घाटों में मूर्ति विसर्जन पर रोक रहती है. वहीं दूसरी तरफ प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से प्रदूषण भी होता है. ऐसे में मिट्टी की मूर्तियां काफी उपयोगी हैं, जिनसे प्रदूषण भी नहीं होता है और इन्हें घर पर ही विसर्जित किया जा सकता है. यही कारण है कि जागरूक लोगों में इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है.
raw clay ganpati
कच्ची मिट्टी के गणपति

दिल्ली में गणेश चतुर्थी पूजा के आयोजन को नहीं मिली अनुमति, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

लोगों में इको फ्रेंडली मूर्तियों का क्रेज देखते हुए दुकानदार अब ज्यादा से ज्यादा कच्ची मिट्टी की मूर्तियां ला रहे हैं. दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी बाजार में भी गणेश प्रतिमाओं की अलग-अलग दुकानें सजी हुई हैं, इन दुकानों पर अलग-अलग आकार और रंगों की बेहद सुंदर-सुंदर प्रतिमाएं मौजूद हैं. लेकिन इस बार दुकानदारों को काफी घाटा हो रहा है.

raw clay ganpati
कच्ची मिट्टी के गणपति

दुकानदार राजेश राठौड़ ने बताया कि कोलकाता से खास तौर पर मिट्टी की मूर्तियां मंगवाई हैं, लेकिन इस बार कारोबार बहुत कम है, जहां लोग मूर्तियां बेहद कम खरीदने के लिए आ रहे हैं, वहीं कोलकाता से मूर्तियां मंगवाने में इस बार किराया भी बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें- दिल्ली : सार्वजनिक जगहों पर नहीं होगी गणेश चतुर्थी पूजा, DDMA ने जारी किया आदेश

दुकानदार राजेश राठौड़ ने बताया कि वह पिछले 17 सालों से गणेश चतुर्थी पर प्रतिमाओं का पंडाल लगा रहे हैं. जहां पर अलग-अलग साइज और आकार की मूर्तियां वह कोलकाता से मंगवाते हैं. हर साल करीब 500 मूर्तियां कोलकाता से लाई जाती हैं, जिनका किराया भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से ज्यादा हो गया है, पहले जहां 16-17 हजार रुपये किराया लगता था, वह अब बढ़कर 25 से 30 हजार हो गया है. इसके अलावा मूर्तियों का दाम भी कम हो गया है, पहले दो दो हजार की मूर्तियां बिक जाती थी, लेकिन अब ग्राहक 1000-1500 की मूर्तियों भी मुश्किल से खरीद रहे हैं.


इसके साथ ही पिछले 2 सालों से कोरोना को देखते हुए दुकानदार और मूर्तिकार बड़ी मूर्तियां बहुत कम बना रहे हैं, दुकानों पर 2 फुट के साइज तक की मूर्तियां उपलब्ध है. जिसको लेकर दुकानदार राजेश ने बताया कि सार्वजनिक तौर पर पंडाल नहीं लगाए जा रहे हैं, वहीं बड़ी मूर्तियों को विसर्जन करने के लिए भी दिक्कत आती है. इसीलिए लोग छोटी प्रतिमाएं ही खरीद रहे हैं. छोटी प्रतिमाओं और मिट्टी की प्रतिमाओं का आसानी से घर पर ही विसर्जन किया जा सकता है. इसीलिए वह 100 फ़ीसदी मिट्टी की प्रतिमाएं बेच रहे हैं.

नई दिल्ली : गणपति बप्पा के जन्मोत्सव की तैयारियां पूरे देश में धूमधाम से की जा रही हैं. दिल्ली में भी भक्तों ने बप्पा को घर लाने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं. बाजारों में रंग-बिरंगी और अलग-अलग आकार की गणपति बप्पा की प्रतिमाएं देखने को मिल रही हैं. इस बीच बाजारों में 100 फ़ीसदी कच्ची मिट्टी की मूर्तियां भी उपलब्ध हैं, जो खासतौर पर कोलकाता से मंगाई गई हैं.

बाजार में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा
दिल्ली में कोरोना गाइडलाइन के चलते घाटों में मूर्ति विसर्जन पर रोक रहती है. वहीं दूसरी तरफ प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से प्रदूषण भी होता है. ऐसे में मिट्टी की मूर्तियां काफी उपयोगी हैं, जिनसे प्रदूषण भी नहीं होता है और इन्हें घर पर ही विसर्जित किया जा सकता है. यही कारण है कि जागरूक लोगों में इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है.
raw clay ganpati
कच्ची मिट्टी के गणपति

दिल्ली में गणेश चतुर्थी पूजा के आयोजन को नहीं मिली अनुमति, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

लोगों में इको फ्रेंडली मूर्तियों का क्रेज देखते हुए दुकानदार अब ज्यादा से ज्यादा कच्ची मिट्टी की मूर्तियां ला रहे हैं. दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी बाजार में भी गणेश प्रतिमाओं की अलग-अलग दुकानें सजी हुई हैं, इन दुकानों पर अलग-अलग आकार और रंगों की बेहद सुंदर-सुंदर प्रतिमाएं मौजूद हैं. लेकिन इस बार दुकानदारों को काफी घाटा हो रहा है.

raw clay ganpati
कच्ची मिट्टी के गणपति

दुकानदार राजेश राठौड़ ने बताया कि कोलकाता से खास तौर पर मिट्टी की मूर्तियां मंगवाई हैं, लेकिन इस बार कारोबार बहुत कम है, जहां लोग मूर्तियां बेहद कम खरीदने के लिए आ रहे हैं, वहीं कोलकाता से मूर्तियां मंगवाने में इस बार किराया भी बढ़ गया है.

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दुकानदार राजेश राठौड़ ने बताया कि वह पिछले 17 सालों से गणेश चतुर्थी पर प्रतिमाओं का पंडाल लगा रहे हैं. जहां पर अलग-अलग साइज और आकार की मूर्तियां वह कोलकाता से मंगवाते हैं. हर साल करीब 500 मूर्तियां कोलकाता से लाई जाती हैं, जिनका किराया भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से ज्यादा हो गया है, पहले जहां 16-17 हजार रुपये किराया लगता था, वह अब बढ़कर 25 से 30 हजार हो गया है. इसके अलावा मूर्तियों का दाम भी कम हो गया है, पहले दो दो हजार की मूर्तियां बिक जाती थी, लेकिन अब ग्राहक 1000-1500 की मूर्तियों भी मुश्किल से खरीद रहे हैं.


इसके साथ ही पिछले 2 सालों से कोरोना को देखते हुए दुकानदार और मूर्तिकार बड़ी मूर्तियां बहुत कम बना रहे हैं, दुकानों पर 2 फुट के साइज तक की मूर्तियां उपलब्ध है. जिसको लेकर दुकानदार राजेश ने बताया कि सार्वजनिक तौर पर पंडाल नहीं लगाए जा रहे हैं, वहीं बड़ी मूर्तियों को विसर्जन करने के लिए भी दिक्कत आती है. इसीलिए लोग छोटी प्रतिमाएं ही खरीद रहे हैं. छोटी प्रतिमाओं और मिट्टी की प्रतिमाओं का आसानी से घर पर ही विसर्जन किया जा सकता है. इसीलिए वह 100 फ़ीसदी मिट्टी की प्रतिमाएं बेच रहे हैं.

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