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Pollution in Delhi: 30 प्रतिशत बढ़े सांस के मरीज, बुजुर्गों और बच्चों को अधिक परेशानी

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है. इन दिनों कई अस्पतालों में सांस संबंधी समस्याओं के साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ रही (Patients rush in Delhi hospitals due to pollution) है. पीएम 2.5 उपस्थिति के साथ प्रदूषित हवा प्रभावित लोगों में सांस लेने की समस्याओं को बढ़ा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, अस्पतालों में 30 प्रतिशत तक मरीजों की संख्या बढ़ी है.

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Published : Nov 6, 2022, 7:30 PM IST

Updated : Nov 6, 2022, 9:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ आंखों में जलन और सांसों की जकड़न से लोग परेशान हैं. सुबह और शाम के समय स्थिति गंभीर है. यही वजह है कि दिल्ली के अस्पताल में लोग इलाज कराने के लिए पहुंच (Patients rush in Delhi hospitals due to pollution) रहे हैं. एलएनजेपी के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि बढ़ी हुई पीएम 2.5 उपस्थिति के साथ प्रदूषित हवा प्रभावित लोगों में सांस लेने की समस्याओं को बढ़ा देती है.

डॉक्टरों की मानें तो बीते एक सप्ताह में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है. अस्पताल पहुंच रहे बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं सांस लेने की तकलीफ से परेशान हैं. वहीं, बुजुर्गों की आंखों में सूखापन आ रहा है, जबकि बच्चों की आंखों में एलर्जी के कारण लालपन, पानी आना, चुभन जैसी समस्याएं देखने को मिल रही है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में नेत्र विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा ने कहा कि प्रदूषण के कारण लोगों में सूखापन और एनर्जी देखने को रही है. एलर्जी के मामले बच्चों या कम उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. उनकी आंखों में लालपन, पानी आना, चुभन महसूस होना, थकावट महसूस हो रही है. वहीं बुजुर्गों की आंखों में सूखापन देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि वह प्रदूषण वाली जगहों से दूर रहें. वहीं डॉक्टरों से सलाह से उचित दवाइयों का प्रयोग करें.

ओपीडी में बढ़े 30 फीसदी तक मरीजः एम्स की ओपीडी में खांसी, गले में खराश और दमा की शिकायत के साथ आ रहे मरीजों की संख्या बढ़ गई है. एम्स के सांस रोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर करण मदान का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण की वजह से उनकी ओपीडी में इससे जुड़े मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है. प्रदूषण में इजाफा होने के कारण गले में खराश, सांस लेने पर छाती में भारीपन जुकाम-खांसी, बदन और सर दर्द के मामले बढ़े हैं.

घर पर तैयार करें कॉटन मास्क: जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले भी अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे पार्टिकुलेट मैटर सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं. हालांकि मास्क को समय-समय पर धोने की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में प्रदूषण के कारण काम बंद होने से मजदूर परेशान, नहीं मिल रहा काम

प्रदूषण बढ़ने पर बरते ये सावधानियां बरतें: बाहर निकलने से परहेज करें, सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुगों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.

दमघोंटू हवा से निपटने के लिए सरकार ने जारी किया सर्कुलर

  • सभी प्राइमरी स्कूल (नर्सरी से 5वीं तक) अगले आदेश तक बंद
  • 5वीं से ऊपर की क्लासेस पहले की तरह चलेंगी, लेकिन आउटडोर एक्टिविटीज पर रोक.
  • नोएडा में क्लास 8 तक स्कूल बंद रहेंगे.
  • दिल्ली में जरूरी सेवाओं के अलावा अन्य ट्रकों की एंट्री पर रोक. सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को अनुमति मिलेगी.
  • दिल्ली सरकार के कार्यालय 50 प्रतिशत क्षमता से खुलेंगे. बाकी 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्राम होम करेंगे.
  • 500 नई पर्यावरण बसें चलेंगी. हॉट-स्पॉट के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनेगी.
  • औद्योगिक प्रदूषण की मानिटरिंग के लिए 33 टीमों का गठन.
  • ग्रैप का चौथे चरण लागू.

ऐसे किया जाता है वर्गीकरण: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायऑक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ आंखों में जलन और सांसों की जकड़न से लोग परेशान हैं. सुबह और शाम के समय स्थिति गंभीर है. यही वजह है कि दिल्ली के अस्पताल में लोग इलाज कराने के लिए पहुंच (Patients rush in Delhi hospitals due to pollution) रहे हैं. एलएनजेपी के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि बढ़ी हुई पीएम 2.5 उपस्थिति के साथ प्रदूषित हवा प्रभावित लोगों में सांस लेने की समस्याओं को बढ़ा देती है.

डॉक्टरों की मानें तो बीते एक सप्ताह में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है. अस्पताल पहुंच रहे बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं सांस लेने की तकलीफ से परेशान हैं. वहीं, बुजुर्गों की आंखों में सूखापन आ रहा है, जबकि बच्चों की आंखों में एलर्जी के कारण लालपन, पानी आना, चुभन जैसी समस्याएं देखने को मिल रही है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में नेत्र विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा ने कहा कि प्रदूषण के कारण लोगों में सूखापन और एनर्जी देखने को रही है. एलर्जी के मामले बच्चों या कम उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है. उनकी आंखों में लालपन, पानी आना, चुभन महसूस होना, थकावट महसूस हो रही है. वहीं बुजुर्गों की आंखों में सूखापन देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि वह प्रदूषण वाली जगहों से दूर रहें. वहीं डॉक्टरों से सलाह से उचित दवाइयों का प्रयोग करें.

ओपीडी में बढ़े 30 फीसदी तक मरीजः एम्स की ओपीडी में खांसी, गले में खराश और दमा की शिकायत के साथ आ रहे मरीजों की संख्या बढ़ गई है. एम्स के सांस रोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर करण मदान का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण की वजह से उनकी ओपीडी में इससे जुड़े मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है. प्रदूषण में इजाफा होने के कारण गले में खराश, सांस लेने पर छाती में भारीपन जुकाम-खांसी, बदन और सर दर्द के मामले बढ़े हैं.

घर पर तैयार करें कॉटन मास्क: जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले भी अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे पार्टिकुलेट मैटर सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं. हालांकि मास्क को समय-समय पर धोने की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में प्रदूषण के कारण काम बंद होने से मजदूर परेशान, नहीं मिल रहा काम

प्रदूषण बढ़ने पर बरते ये सावधानियां बरतें: बाहर निकलने से परहेज करें, सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुगों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.

दमघोंटू हवा से निपटने के लिए सरकार ने जारी किया सर्कुलर

  • सभी प्राइमरी स्कूल (नर्सरी से 5वीं तक) अगले आदेश तक बंद
  • 5वीं से ऊपर की क्लासेस पहले की तरह चलेंगी, लेकिन आउटडोर एक्टिविटीज पर रोक.
  • नोएडा में क्लास 8 तक स्कूल बंद रहेंगे.
  • दिल्ली में जरूरी सेवाओं के अलावा अन्य ट्रकों की एंट्री पर रोक. सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को अनुमति मिलेगी.
  • दिल्ली सरकार के कार्यालय 50 प्रतिशत क्षमता से खुलेंगे. बाकी 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्राम होम करेंगे.
  • 500 नई पर्यावरण बसें चलेंगी. हॉट-स्पॉट के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनेगी.
  • औद्योगिक प्रदूषण की मानिटरिंग के लिए 33 टीमों का गठन.
  • ग्रैप का चौथे चरण लागू.

ऐसे किया जाता है वर्गीकरण: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायऑक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

Last Updated : Nov 6, 2022, 9:01 PM IST

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