ETV Bharat / state

DU ने केजरीवाल पर स्टेट फंडेड कॉलेजों को फंड देने में देरी करने का लगाया आरोप

दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन ने गुरुवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ बैठक की. इस दौरान एसोसिएशन ने सरकार की ओर से फंड न देने और कर्मचारयों को सैलरी न देने का आरोप लगाया. इसके साथ ही एसोसिएशन ने उपराजयपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 12, 2023, 9:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल सरकार पर वित्त पोषित कॉलेजों को स्वीकृत अनुदान जारी करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया. गुरुवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ बैठक के दौरान, एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी वित्तपोषित कॉलेजों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाया, जिसमें धन की कटौती, कर्मचारियों के सदस्यों को वेतन का भुगतान में देरी और शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की स्वीकृति नहीं देना शामिल है.

प्रतिनिधिमंडल ने वीके सक्सेना के हस्तक्षेप की भी मांग की ताकि कॉलेज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रीत कर सकें. प्रतिनिधिमंडल ने लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति और कर्मचारियों के अन्य बकाया का मुद्दा भी उठाया और कहा कि वेतन में एक से पांच महीने की देरी हो रही है. केजरीवाल सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं थी. प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल जसविंदर सिंह, एसोसिएशन के सचिव और आर्यभट्ट कॉलेज के प्रिंसिपल मनोज सिन्हा और तीन अन्य कॉलेजों के प्रिंसिपल शामिल थे.

ये भी पढ़ें: Shershah Suri Darwaza : दिल्ली के इस चर्चित गेट पर क्यों लगा है 10 साल से ताला, पर्यटक की एंट्री है बैन

दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज पूरी तरह से केजरीवाल सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. प्रतिनिधिमंडल ने सक्सेना को बताया किया कि पिछले चार सालों में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए कोई किसी भी कॉलेज को फंड नहीं दिया गया है. लोक निर्माण विभाग ने कुछ कॉलेजों में मरम्मत और रखरखाव का काम शुरू नहीं किया था. जबकि अन्य में फंड की मंजूरी नहीं मिलने के कारण काम बंद कर दिया था. नतीजतन, कॉलेज की इमारतें और बुनियादी ढांचा खराब स्थिति में है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण लागू होने के कारण छात्र संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के नए पद स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं.

इस पूरे मामले में एसोसिएशन ने उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने और सभी पदों की कार्योत्तर स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने और शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सदस्यों की भर्ती की अनुमति देने का अनुरोध किया, जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों में हुआ था.

(पीटीआई)

ये भी पढ़ें: दिल्ली एयरपोर्ट पर स्पाइसजेट विमान में बम की खबर, CISF और दिल्ली पुलिस अलर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल सरकार पर वित्त पोषित कॉलेजों को स्वीकृत अनुदान जारी करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया. गुरुवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ बैठक के दौरान, एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकारी वित्तपोषित कॉलेजों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाया, जिसमें धन की कटौती, कर्मचारियों के सदस्यों को वेतन का भुगतान में देरी और शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की स्वीकृति नहीं देना शामिल है.

प्रतिनिधिमंडल ने वीके सक्सेना के हस्तक्षेप की भी मांग की ताकि कॉलेज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रीत कर सकें. प्रतिनिधिमंडल ने लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति और कर्मचारियों के अन्य बकाया का मुद्दा भी उठाया और कहा कि वेतन में एक से पांच महीने की देरी हो रही है. केजरीवाल सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं थी. प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल जसविंदर सिंह, एसोसिएशन के सचिव और आर्यभट्ट कॉलेज के प्रिंसिपल मनोज सिन्हा और तीन अन्य कॉलेजों के प्रिंसिपल शामिल थे.

ये भी पढ़ें: Shershah Suri Darwaza : दिल्ली के इस चर्चित गेट पर क्यों लगा है 10 साल से ताला, पर्यटक की एंट्री है बैन

दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज पूरी तरह से केजरीवाल सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. प्रतिनिधिमंडल ने सक्सेना को बताया किया कि पिछले चार सालों में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए कोई किसी भी कॉलेज को फंड नहीं दिया गया है. लोक निर्माण विभाग ने कुछ कॉलेजों में मरम्मत और रखरखाव का काम शुरू नहीं किया था. जबकि अन्य में फंड की मंजूरी नहीं मिलने के कारण काम बंद कर दिया था. नतीजतन, कॉलेज की इमारतें और बुनियादी ढांचा खराब स्थिति में है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण लागू होने के कारण छात्र संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के नए पद स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं.

इस पूरे मामले में एसोसिएशन ने उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने और सभी पदों की कार्योत्तर स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने और शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सदस्यों की भर्ती की अनुमति देने का अनुरोध किया, जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों में हुआ था.

(पीटीआई)

ये भी पढ़ें: दिल्ली एयरपोर्ट पर स्पाइसजेट विमान में बम की खबर, CISF और दिल्ली पुलिस अलर्ट

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.