नई दिल्ली: साल 2019 में ड्रंकन ड्राइविंग के चलते दिल्ली में हर महीने औसतन छह मौतें हुई हैं. हालांकि पहले के मुकाबले दिल्ली में ड्रंकन ड्राइविंग के मामलों में कमी आई है, लेकिन इसे लेकर आगे भी काम करने की आवश्यकता है. ज्यादातर देखा गया है कि वीकेंड और शादी के सीजन में ड्रंकन ड्राइविंग के मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे मामलों से न केवल ट्रैफिक पुलिस बल्कि लोकल पुलिस और अदालत भी सख्ती से निपटती है.
एक साल में ड्रंकन ड्राइविंग की वजह से होती हैं 75 मौतें
सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष तिवारी ने बताया कि देशभर के अधिकांश हिस्सों में सड़क हादसा होने पर इस बात की जांच नहीं होती कि चालक या आरोपी शराब के नशे में था या नहीं. इसलिए ड्रंकन ड्राइविंग पर सरकार के आंकड़े पूरी तस्वीर साफ नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में एक साल में करीब 1650 मौतें होती हैं जिसमें से 75 लोगों की मौत की वजह ड्रंकन ड्राइविंग होती है. उन्होंने बताया कि वीकेंड पर ऐसे मामले ज्यादा होते हैं क्योंकि अगले दिन लोगों की छुट्टी होती है. ट्रैफिक पुलिस भी वीकेंड पर ज्यादा ड्राइव चलाती है. इसके साथ ही शादी के सीजन में भी शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.
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तीन कदम रोकेंगे ड्रंकन ड्राइविंग के हादसे
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पीयूष तिवारी ने बताया कि ड्रंकन ड्राइविंग के मामलों को कम करने के लिए मुख्य तौर पर तीन कदम उठाने की आवश्यकता है.
1- तकनीक का इस्तेमाल: अब गाड़ी में नई टेक्नोलॉजी है जो ड्रंकन ड्राइविंग को रोकती है. अगर आपने शराब पी है तो गाड़ी इसका पता लगा लेगी और इंजन स्टार्ट नहीं होगा. इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए.
2- पुलिस द्वारा सख्त एक्शन: रात में लोकल पुलिस के बेरिकेड जगह-जगह लगे होते हैं. वहां ट्रैफिक पुलिस के जवान भी तैनात हों तो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों में पकड़े जाने का डर रहेगा.
3-जागरूकता और शिक्षित करना: स्कूल से ही बच्चों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने की आवश्यकता है. स्कूल में बच्चों को बताना चाहिए कि ड्रंकन ड्राइविंग जानलेवा है. जागरूकता से ऐसे मामलों में कमी आएगी.
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ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त मनीष अग्रवाल ने बताया कि ड्रंकन ड्राइविंग के मामले को पुलिस बेहद गंभीरता से लेती है. यह एक ऐसा अपराध है जिसमें वाहन चालक न केवल अपनी बल्कि दूसरों की जान भी खतरे में डालता है. वह जानबूझकर ऐसा करता है. इसलिए ट्रैफिक पुलिस के अलावा लोकल पुलिस एवं अदालत भी ऐसे मामलों में सख्ती बरतती है. उन्होंने बताया कि ऐसी संभावना है कि वीकेंड पर ड्रंकन ड्राइविंग के मामले बढ़ते हैं लेकिन इससे संबंधित डाटा उनके पास नहीं है. उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते इस साल ड्रंकन ड्राइविंग के मामले कम रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस वर्ष एल्कोमीटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष सभी तरह के चालान एवं सड़क हादसे भी कम हुए हैं.
![Traffic police cut challan in 2019](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9912488_5.jpg)