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दिवाली के लिए रंग-बिरंगी लाइटों से सजे बाजार, स्वदेशी लाइटों की मार्केट में कमी - Diwali shoping in INA Market

दिवाली के लिए बाजार पूरी तरह से सजकर तैयार है. लोग अपने घर और ऑफिस में रोशनी करने के लिए रंग-बिरंगी लाइटों की खरीदारी कर रहे हैं. दिल्ली के बाजारों में अलग-अलग डिजाइन और रंगों की लाइटें मिल रही हैं. हालांकि कोरोना का असर भी बाजार में साफ नजर आ रहा है. वायरस के डर से लोग दुकान पर कम आ रहे हैं. नई डिजाइन की लड़ियों का स्टॉक भी इस बार नहीं आया है.

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आईएनए मार्केट में लाइटें मिल रही
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Published : Nov 12, 2020, 4:51 PM IST

नई दिल्ली: दिवाली आते ही हर जगह रोशनी जगमगाहट नजर आने लगती है. घर हो या ऑफिस या फिर बाजार हर जगह रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगाने लगते हैं. ऐसे में बाजारों में भी अलग-अलग डिजाइन की रंग-बिरंगी लड़ियां, लाइट मिल रही हैं. लेकिन इन रंग-बिरंगी लड़ियों में कौन सी लड़ियां स्वदेशी हैं और कौन सी विदेशी, इसकी पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल है. इस दिवाली बाजार में कितनी स्वदेशी लड़ियां हैं और कौन-कौन सी चाइनीज लड़ियां मिल रही हैं, इसके लिए ईटीवी भारत की संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंची.

दिवाली के लिए बाजार तैयार
कोरोना और चीन के बहिष्कार के चलते डिमांड में आई कमीदक्षिणी दिल्ली स्थित आईएनए मार्केट में दिवाली के लिए अलग-अलग डिजाइन और रंगों की लाइटें मिल रही हैं, जिसके लिए दुकानें पूरे तरीके से जगमगा रही है. मार्केट में मौजूद लाइट की दुकान के एक दुकानदार अमित सचदेवा ने बताया कि इस साल कोरोना और चीन के कारण लाइटों की डिमांड कम है. वायरस के डर से लोग दुकान पर कम आ रहे हैं, वही नई डिजाइन की लड़ियों का स्टॉक इस बार नहीं आया है, पिछले साल का ही जो स्टॉक है उसे बेच रहे हैं.


केवल एक ही स्वदेशी लड़ी दुकान पर मौजूद
वहीं दुकानदार ने कहा कि इस बार कई ग्राहक स्वदेशी लड़ियां भी मांग रहे हैं, हालांकि अभी तक बाजारों में स्वदेशी लड़ियां नहीं पहुंची हैं. उनके पास केवल एक ही स्वदेशी लड़ी है जो 250 रुपए की 10 मीटर है. हालांकि ज्यादातर चीनी लड़ियाें की डिमांड ज्यादा रहती है क्योंकि वह देखने में सुंदर और अलग-अलग डिजाइन की होती हैं.


बाजार में नहीं है स्वदेशी लड़ियां
वहीं बाजारों में लाइट खरीदने के लिए पहुंचे ग्राहकों के लिए भी चीनी लड़ियाें और स्वदेशी लड़ियाें की पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल है. ग्रीन पार्क से लड़ियां खरीदने के लिए पहुंचे ग्राहक ने कहा कि जो लड़ी देखने में सुंदर है और अच्छी क्वालिटी की है, हम वही खरीद रहे हैं. ऐसे में देसी और विदेशी की पहचान करना मुश्किल है. वहीं किदवई नगर से लड़ी खरीदने के लिए आए ओमप्रकाश ने कहा कि पिछले दिनों चीन के साथ हुए विरोध के बाद चीनी सामान का बहिष्कार किया जा रहा है. लेकिन बाजार में स्वदेशी लड़ियां है ही नहीं है, ऐसे में जो लड़ी मौजूद है वही खरीद रहे हैं.

नई दिल्ली: दिवाली आते ही हर जगह रोशनी जगमगाहट नजर आने लगती है. घर हो या ऑफिस या फिर बाजार हर जगह रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगाने लगते हैं. ऐसे में बाजारों में भी अलग-अलग डिजाइन की रंग-बिरंगी लड़ियां, लाइट मिल रही हैं. लेकिन इन रंग-बिरंगी लड़ियों में कौन सी लड़ियां स्वदेशी हैं और कौन सी विदेशी, इसकी पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल है. इस दिवाली बाजार में कितनी स्वदेशी लड़ियां हैं और कौन-कौन सी चाइनीज लड़ियां मिल रही हैं, इसके लिए ईटीवी भारत की संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंची.

दिवाली के लिए बाजार तैयार
कोरोना और चीन के बहिष्कार के चलते डिमांड में आई कमीदक्षिणी दिल्ली स्थित आईएनए मार्केट में दिवाली के लिए अलग-अलग डिजाइन और रंगों की लाइटें मिल रही हैं, जिसके लिए दुकानें पूरे तरीके से जगमगा रही है. मार्केट में मौजूद लाइट की दुकान के एक दुकानदार अमित सचदेवा ने बताया कि इस साल कोरोना और चीन के कारण लाइटों की डिमांड कम है. वायरस के डर से लोग दुकान पर कम आ रहे हैं, वही नई डिजाइन की लड़ियों का स्टॉक इस बार नहीं आया है, पिछले साल का ही जो स्टॉक है उसे बेच रहे हैं.


केवल एक ही स्वदेशी लड़ी दुकान पर मौजूद
वहीं दुकानदार ने कहा कि इस बार कई ग्राहक स्वदेशी लड़ियां भी मांग रहे हैं, हालांकि अभी तक बाजारों में स्वदेशी लड़ियां नहीं पहुंची हैं. उनके पास केवल एक ही स्वदेशी लड़ी है जो 250 रुपए की 10 मीटर है. हालांकि ज्यादातर चीनी लड़ियाें की डिमांड ज्यादा रहती है क्योंकि वह देखने में सुंदर और अलग-अलग डिजाइन की होती हैं.


बाजार में नहीं है स्वदेशी लड़ियां
वहीं बाजारों में लाइट खरीदने के लिए पहुंचे ग्राहकों के लिए भी चीनी लड़ियाें और स्वदेशी लड़ियाें की पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल है. ग्रीन पार्क से लड़ियां खरीदने के लिए पहुंचे ग्राहक ने कहा कि जो लड़ी देखने में सुंदर है और अच्छी क्वालिटी की है, हम वही खरीद रहे हैं. ऐसे में देसी और विदेशी की पहचान करना मुश्किल है. वहीं किदवई नगर से लड़ी खरीदने के लिए आए ओमप्रकाश ने कहा कि पिछले दिनों चीन के साथ हुए विरोध के बाद चीनी सामान का बहिष्कार किया जा रहा है. लेकिन बाजार में स्वदेशी लड़ियां है ही नहीं है, ऐसे में जो लड़ी मौजूद है वही खरीद रहे हैं.

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