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हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी महिला आरक्षण कानून लोकसभा चुनाव से पहले लागू कराने की मांग पर सुनवाई से किया इनकार

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 18, 2023, 2:27 PM IST

Demand to implement Women Reservation Act: दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने महिला आरक्षण विधेयक को लागू कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा है कि अब ये विधेयक कानून बन गया है.

Demand to implement Women Reservation Act
Demand to implement Women Reservation Act

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2024 के आम चुनावों से पहले लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को अनिवार्य करने वाले महिला आरक्षण विधेयक को लागू कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इसके पहले याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी. उस वक्त जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की सिंगल बेंच ने 15 दिसंबर को कहा था कि याचिकाकर्ता का इसमें कोई व्यक्तिगत हित नहीं है और उन्हें इसे लेकर एक जनहित याचिका दाखिल करनी चाहिए.

वहीं कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस कानून को संसद ने पारित किया है. कोर्ट उसे कैसे पलट सकता है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि अब ये विधेयक कानून बन गया है. कानून में कहा गया है कि ये परिसीमन के बाद ही प्रभावी हो पाएगा. तब कोर्ट ने कानून के प्रावधान पर गौर करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता इस कानून को जल्द लागू करवाना चाहते हैं तो इसके लिए कानून के प्रावधान में बदलाव करना होगा. कोर्ट इस कानून की धारा 334ए का उल्लंघन नहीं कर सकता है, जिसमें इसे परिसीमन के बाद लागू करने की बात कही गई है, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली.

यह भी पढ़ें-1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में आरोपी जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई टली

बता दें कि यह याचिका योगमाया एमजी ने दाखिल की थी, जिसमें 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण लागू करने का आदेश देने की मांग की गई थी. साथ ही यह भी कहा गया था कि भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू करना जरूरी है और अगर इसके लागू करने में देरी होती है तो ये लोकतंत्र के सिद्धांतों के बिलकुल खिलाफ होगा.

यह भी पढ़ें-महिला आरक्षण कानून को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले लागू करने की मांग पर सुनवाई से दिल्ली हाई कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2024 के आम चुनावों से पहले लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को अनिवार्य करने वाले महिला आरक्षण विधेयक को लागू कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इसके पहले याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी. उस वक्त जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की सिंगल बेंच ने 15 दिसंबर को कहा था कि याचिकाकर्ता का इसमें कोई व्यक्तिगत हित नहीं है और उन्हें इसे लेकर एक जनहित याचिका दाखिल करनी चाहिए.

वहीं कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस कानून को संसद ने पारित किया है. कोर्ट उसे कैसे पलट सकता है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि अब ये विधेयक कानून बन गया है. कानून में कहा गया है कि ये परिसीमन के बाद ही प्रभावी हो पाएगा. तब कोर्ट ने कानून के प्रावधान पर गौर करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता इस कानून को जल्द लागू करवाना चाहते हैं तो इसके लिए कानून के प्रावधान में बदलाव करना होगा. कोर्ट इस कानून की धारा 334ए का उल्लंघन नहीं कर सकता है, जिसमें इसे परिसीमन के बाद लागू करने की बात कही गई है, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली.

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बता दें कि यह याचिका योगमाया एमजी ने दाखिल की थी, जिसमें 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण लागू करने का आदेश देने की मांग की गई थी. साथ ही यह भी कहा गया था कि भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू करना जरूरी है और अगर इसके लागू करने में देरी होती है तो ये लोकतंत्र के सिद्धांतों के बिलकुल खिलाफ होगा.

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