नई दिल्ली: दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी, मान्यता प्राप्त और निजी स्कूलों को बच्चों के बैग का वजन मानक के अनुसार तय करने के आदेश जारी किए हैं. बता दें कि इस संबंध में पहले भी दिशा निर्देश जारी किए गए थे, जिसमें पहली कक्षा से दसवीं कक्षा तक के छात्रों के बैग के वजन का मानक निर्धारित कर दिया गया था. साथ ही स्कूलों से बच्चों पर बेवजह बस्ते का वजन न बढ़ाने के लिए कहा गया था.
इतना किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए बैग
वहीं शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्कूली छात्रों के बैग के संबंध में जारी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. बता दें कि एमएचआरडी द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन डेढ़ किलो से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं तीसरी से पांचवी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 2 से 3 किलो निर्धारित किया गया था जबकि छठी और सातवीं कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 4 किलो होना चाहिए. वहीं आठवीं और नौवीं कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 4.5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए जबकि दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए बैग का कुल वजन 5 किलो निर्धारित किया गया था.
शिक्षा निदेशालय ने सर्कुलर जारी कर दिया था
इन दिशा निर्देशों के पालन के लिए शिक्षा निदेशालय ने गत वर्ष नवंबर माह में ही सर्कुलर जारी कर दिया था, जिसमें कहा था कि बैग के भारी वजन की वजह से बच्चों के शारीरिक विकास पर गलत असर पड़ता है जिससे उनके घुटने और रीड की हड्डियों का विकास प्रभावित होता है. इसलिए बच्चों के बैग का वजन तय किए गए मानकों के अनुसार ही होना चाहिए. इसके बाबत कई स्कूल ऐसे थे, जिन्होंने इन निर्देशों को नहीं माना और निजी प्रकाशनों की पाठ्यपुस्तक गाइड होम वर्क आदि के नाम पर बच्चों के बैग का भार बढ़ा दिया.
दिल्ली सरकार इस मामले में रही असफल
इसको लेकर दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि उनकी एक टीम ने स्कूल के बाहर बच्चों के बैग का माप लिया था, जो कि तय मानक के अनुसार 2 से ढाई गुना अधिक भारी पाया गया. उन्होंने बताया कि तीन चरणों में स्कूल में बैग वेट रियलिटी चेक ड्राइव चलाया गया था जिसके तहत एमएचआरडी द्वारा निर्धारित वजन मानक के अनुसार किसी भी बच्चे का बैग नहीं पाया गया. वहीं दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए इस निर्देश को अपराजिता ने महज खानापूर्ति बताया है और कहा कि इसके पहले भी बैग के वजन को लेकर ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं लेकिन स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने में दिल्ली सरकार अब तक असफल रही है.
शिक्षा विभाग शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करता
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा यह स्पष्ट करने पर कि एनसीईआरटी और एससीईआरटी के अलावा छात्रों को किसी निजी पब्लिशर की किताबों के लिए बाध्य न किया जाए, अधिकतर स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को खरीदने के लिए अभिभावकों पर जोर बनाते हैं लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग ना ही शिकायतों पर कोई कार्रवाई करता है और ना ही ऐसे स्कूलों पर लगाम कसता है.
स्कूलों पर 56 (जे) के तहत हो कार्रवाई
इसी को लेकर उन्होंने शिक्षा निदेशालय में बैठे आला अधिकारियों से यह सवाल किया है कि क्या प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को स्कूल द्वारा हिस्सा दिया जाता है, जो उन्होंने इस ओर से अपनी आंखें बंद कर रखी हैं. साथ ही कहा है कि मनमानी करने वाले स्कूलों पर 56 (जे) के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. बता दें कि स्कूलों को जारी अपने निर्देश में पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए गणित, हिंदी और अंग्रेजी की केवल तीन पाठ्यपुस्तकें निर्धारित की गई थी, जबकि छठी से दसवीं तक के बच्चों के लिए कुल 6 किताबें ले जाना ही अनिवार्य किया गया था. इसके अलावा पहले भी प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों को गृह कार्य ना देने के संबंध में निर्देश जारी हो चुके हैं.