नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ कोर्सेज के सिलेबस में राईट टू एजुकेशन (आरटीई) को अनिवार्य रूप से शामिल करने की मांग करने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. इस दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर सुनवाई की. 24 जनवरी, 2024 को मामले की अगली सुनवाई करने का आदेश दिया बेंच ने दिया.
सोशल जूरिस्ट नामक संगठन की ओर से वकील अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉ कोर्सेज में आरटीई को अनिवार्य रूप से शामिल करने की मांग बीसीआई से की गई थी, लेकिन बीसीआई ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बता दें, मार्च में ऐसी ही मांग पर सुनवाई के बाद बीसीआई ने इस पर विचार करने का भरोसा दिया था. इसे लेकर याचिकाकर्ता ने बीसीआई को प्रतिवेदन दिया था.
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आरटीई कानून की अहमियत होगी खत्म: सुनवाई के दौरान संगठन की ओर से पेश वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि हाईकोर्ट में भरोसा देने के बावजूद बीसीआई ने पिछले नौ महीने में कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि आरटीई को लॉ कोर्सेज में शामिल करने में की जा रही देरी से आरटीई कानून की अहमियत ही खत्म हो जाएगी. सुनवाई के दौरान अशोक अग्रवाल ने कहा कि आरटीई के पूरे तरीके से लागू करने की बड़ी समस्या यह है कि छात्रों और वकीलों को इस कानून के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है. ऐसा होना वंचित तबके के लिए काफी नुकसानदायक है.
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