नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली को 1000 टन से अधिक कबाड़ से वेस्ट टू आर्ट सिटी बनाया है. स्वच्छ सर्वेक्षण- 2023 पुरस्कार समारोह में आज दिल्ली को दुनिया का सबसे बड़ा वेस्ट टू आर्ट सिटी बनाने के लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से भारत मंडपम में सम्मानित किया जाएगा. दिल्ली नगर निगम द्वारा कबाड़ से बनाई गई आकर्षक वस्तुएं, दूसरों को भी इस तरह की कला से कबाड़ का प्रयोग कर उपयोग कर वस्तुएं बनाने के लिए प्रेरित करेगी.
एमसीडी के होर्टीकल्चर विभाग की ओर से 1,000 टन से अधिक कबाड़ सामग्री और अपशिष्ट धातुओं का उपयोग कर 200 से अधिक मूर्तियां बनाई हैं. इन मूर्तियों को शहर के कई परियोजनाओं में लगाया गया है. वेस्ट से आर्ट की इन परियोजनाओं में सराय काले खां में 'वेस्ट-टू-वंडर' थीम पार्क भी है. इस पार्क में दुनिया के सात अजूबों को कबाड़ से बनाया गया है. भारत दर्शन' पार्क और शहीदी पार्क, भारत का पहला आउटडोर संग्रहालय पार्क. वेस्ट-टू-आर्ट थीम के तहत एक हेरिटेज पार्क भी बनाए जाने की योजना है, जहां पर यूनेस्को स्मारकों के लघु चित्र भी बनाए जाएंगे. दिल्ली के आईटीओ स्थित शहीदी पार्क में देश की आजादी के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर बनाई गई हैं, जो लोगों को खूब आकर्षित करती हैं.
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सराय काले खां स्थित वेस्ट-टू-वंडर्स पार्क के दूसरे चरण में डायनासोर पार्क बनाया जा रहा है. इसमें 300 टन कबाड़ का प्रयोग किया जा चुका है, जिसमें धातु, टायर और कार के अवशेषों का उपयोग करके डायनासोर की 54 विशाल आकृतियां बनाई गई हैं. एमसीडी के अधिकारियों के मुताबिक, यह दुनिया का पहला वेस्ट टू वाल्ड लाइफ पार्क यानी अपशिष्ट-से-वन्यजीव' पार्क है. जहां पर डायनासोर की आकृतियों में जीवन जैसी हलचल होगी. आकृतियों की ऊंचाई 9 से 65 फीट व लंबाई 54 फीट तक है, जो साउंड और लाइट के इफेक्ट से बेहद आकर्षक दिखेंगे.
सार्वजनिक स्थानों के लिए एमसीडी काफी मेहनत कर रहा है. जो न केवल ध्यान आकर्षित करेंगे बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करेंगे. एमसीडी ने पूसा रोड चौराहे पर भारतीय शास्त्रीय नृत्य के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया जाएगा. इन्हें रात में खूबसूरती से रोशन किया जाएगा. आईटीओ चौराहे और प्रगति मैदान के आसपास भी इस तरह की वेस्ट से मूर्तियां बनाई गई हैं. पार्कों या सार्वजनिक स्थानों पर बच्चे व अन्य लोग इन्हें देखेंगे तो वह न सिर्फ आकर्षित होंगे, बल्कि उनके अंदर भी इस तरह से वेस्ट से उपयोगी वस्तुएं बनाने को प्रेरित होंगे.
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