नई दिल्लीः दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त और दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के कामकाज पर गंभीर चिंता जताई है. इन कॉलेजों में अनियमितता की शिकायत पर इन्हें दिल्ली सरकार को देने या केंद्र को खुद अपने हाथों में लेने की मांग की. इस पर ETV भारत की टीम ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह बातचीत की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल: क्या डीयू के 12 कॉलेजों को डीयू से अलग करना संभव है. इस पर डीयू क्या स्टैंड लेगा?
जवाब: दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने जो लेटर लिखा है हमने भी उसको देखा है. अभी हमारी एग्जीक्यूटिव काउंसलि (ईसी) की बैठक हुई थी. उसमें भी इस पर काफी चर्चा की गई. जो 12 कॉलेज हैं ये डीयू के संविधान के तहत स्थापित हैं. जिसे अलग करना आसान नहीं. जब से कॉलेज बना है तब से दिल्ली सरकार ने इसकी फंडिंग जिम्मेदारी ली है. मुझे नहीं लगता कि इसमें उनको पीछे हटना चाहिए. दूसरी बात अगर फंड के गलत इस्तेमाल की बात है तो उसको लॉ के हिसाब से देखा जाना चाहिए.
सवाल: शिक्षा मंत्री के पत्र के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष से इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार फंड नहीं देगी. ऐसे में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन की व्यवस्था कैसे होगी?
जवाब: मुझे नहीं लगता कि वो ऐसा करेंगे, न ही उन्हें करना चाहिए. ये सिर्फ 12 कॉलेजों की बात नहीं है. ये यहां के शिक्षकों, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों और इन कॉलेजों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का मामला है. ये 12 कॉलेज हमारे प्रतिष्ठित कालेज हैं. यह भी देखा जाना चाहिए कि इनकी प्रतिष्ठा को भी ठेस नहीं पहुंचे. इसका कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा.
सवाल: डीयू के पूर्वी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली में कैंपस निर्माण का प्रस्ताव काफी समय से लंबित हैं. उस दिशा में कितना काम हुआ है?
जवाब: देखिए, पूर्वी दिल्ली में तो हम अपना एक कैंपस ला रहे हैं. इसमें अभी ये प्लान किया है कि लॉ के कोर्सेज से शुरुआत करेंगे. बाकी धीरे-धीरे और भी कोर्सेज इसमें एड करेंगे. अभी लॉ का एक सेंटर नार्थ कैंपस से वहां शिफ्ट करेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने हमें फंड भी दे दिया है. इसका मैप भी पास हो गया है. अब बहुत जल्द कंस्ट्रक्शन का काम भी शुरू हो जाएगा. इसके अलावा नजफगढ़ में एक कॉलेज लाने का प्रपोजल चल रहा है. वहां हमारे पास जमीन और पैसे की व्यवस्था हो गई है. बहुत जल्द इस पर काम शुरू हो जाएगा.
सवाल: पूर्वी दिल्ली में बनने जा रहे लॉ कॉलेज में कितनी सीटें होंगी?
जवाब: अभी तो हमारे पास पहले से ही जो सेंटर चल रहा है, उसको शिफ्ट करेंगे. फिर जब नया इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा तो उसकी कैपेसिटी भी बढ़ाएंगे.
सवाल: कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग की एक बिल्डिंग पूर्वी दिल्ली में बन रही है. उसका काम कब तक पूरा होगा?
जवाब: कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग की बिल्डिंग कई जगह बन रही हैं. कई पूरी होने वाली हैं. हो सकता है कि पूर्वी दिल्ली में डीयू का जो कैंपस आ रहा है उसमें भी एक जगह कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के सेंटर के लिए रहे, क्योंकि ओपन लर्निंग बहुत अच्छा चलता है तो उसके छात्रों के लिए सुविधाओं की कोई कमी न रहे इसके लिए विश्वविद्यालय बहुत सजग है.
सवाल: आपको कुलपति बने हुए यहां दो साल पूरे हो गए हैं. दो साल के अपने कार्यकाल को कैसे देखते हैं क्या उपलब्धियां मानते हैं?
जवाब: मुझे यहां दो साल दो महीने हो गए हैं. यहां आकर बहुत अच्छा लगा. लोगों ने प्यार दिया, मैं कहूं तो यहां एडहॉक टीचर्स की एक बहुत पुरानी समस्या थी. आज आपको जानकर अच्छा लगेगा कि 3500 से ज्यादा टीचर नियुक्ति प्रक्रिया में चयनित हुए हैं. कुछ यहां काम कर रहे थे कुछ बाहर से हैं. करीब 1500 टीचर और चयनित होने हैं. हमने केंद्र सरकार से मांगी की थी कि हमें पैसा दिया जाए. 100 साल पुरानी यूनिवर्सिटी है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन भी मांगता है. इसके लिए केंद्र सरकार से हमें 938 करोड़ रुपये मिल गए हैं. धीरे-धीरे बहुत सारी चीजों के रिजल्ट आएंगे. सबसे अच्छी बात यह है कि बहुत सारे नए कोर्स शुरू किए हैं जिनमें नए बच्चों को पढ़ने का मौका मिलेगा.
सवाल: नई शिक्षा नीति के तहत चार साल के रोजगारपरक कोर्स शुरू किए गए हैं उसमें छात्रों को ट्रेनिंग देने के लिए भी कालेजों में स्किल सेंटर खोले जाने थे उसमें कितनी क्या प्रगति हुई है?
जवाब: देखिए अभी तो हमने प्रावधान किया था कि स्किल कोर्स सभी को पढ़ने होंगे. उसमें कुछ स्किल्स पर काम शुरू हुआ है. लेकिन अभी स्किल सेंटर धीरे-धीरे खुलने शुरू होंगे. कुछ कालेज में शुरू हुए हैं. हमारी जो इच्छा है कि हर कालेज में कम से कम एक स्किल सेंटर तो खुले और इसमें केंद्र सरकार का सहयोग भी रहने वाला है.
सवाल: विश्वविद्यालय ने अपने 100 साल पूरे होने के अवसर पर एक शताब्दी योजना शुरू करके उन लोगों को मौका दिया था जो पहले अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए थे. इस योजना का क्या परिणाम आया है. कितने लोगों ने डिग्री पूरी की है?
जवाब: उसका बहुत अच्छा परिणाम आया. हमें भी बहुत अच्छा लगा. इसके लिए 10 हजार से ज्यादा लोगों ने एप्लाई किया और करीब पांच से छह हजार लोगों ने अपनी डिग्री पूरी भी कर ली. अभी हमने बाकी लोगों को एक चांस और दिया है कि वे परीक्षा देकर अपनी डिग्री पूरी कर लें. ऐसे ऐसे लोग थे जिनमें किसी की एलएलबी छूट गई थी, किसी की बीकॉम, एमकॉम छूट गई थी उनको मौका मिला. जहां परीक्षा हो रही थी वहां जाकर देखो तो अलग ही नजारा होता था. जहां 20 साल का बच्चा परीक्षा दे रहा तो उसके बगल में एक 70 साल के बुजुर्ग भी परीक्षा दे रहे थे. इसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम आए हैं. हमने एक और अच्छा काम किया है कि जिन बच्चों ने कोरोना काल में अपने मां-बाप को खो दिया उनके लिए भी दो सुपरन्यूमेरी सीट रखी हैं. इन सीटों पर 101 या 102 बच्चों ने दाखिला लिया है. हम उनसे फीस भी नहीं ले रहे हैं और उनकी मदद के लिए हमसे जो हो सकेगा वो करेंगे.
सवाल: विश्वविद्यालय ने एक कैपेसिटी एनहेंसमेंट स्कीम भी शुरू की थी, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपना जो काम कर रहा है उसको और ढंग से करने के लिए वह डीयू से ट्रेनिंग ले सकता था. इसका क्या रिजल्ट रहा?
जवाब: ये हमने पहली बार किया था तो लोगों को ज्यादा समझ नहीं आया. इसलिए बहुत कम लोगों ने रुचि ली. मुझे नंबर याद नहीं कि कितने लोग थे. लोगों के मन में एक शंका का भी भाव था कि यूनिवर्सिटी कुछ करेगी कि नहीं करेगी. लेकिन, उम्मीद है कि अगले साल इसमें अच्छा रेस्पांस मिलेगा. धीरे-धीरे यह योजना आगे बढ़ेगी.
सवाल: डीयू के 12 कालेजों में नियुक्ति प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है. इसमें क्या समस्या आ रही है और कब तक नियुक्ति शुरू होगी?
जवाब: 12 कालेजों में नियुक्ति तो नहीं शुरू हो पाई है. यह चिंता की बात है. हम रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं.
सवाल: 12 कालेजों में गवर्निंग बॉडी का भी मुद्दा चल रहा है. इसमें कहां अड़चन आ रही है अभी तक बन नहीं पाई है गवर्निंग बॉडी?
जवाब: ऐसा है कि जो गवर्निंग बॉडी का मैटर है वह दिल्ली सरकार के पास ही अभी विचाराधीन है. हम उम्मीद करते हैं कि बहुत जल्दी वे नाम भेजेंगे. जैसे ही वे नाम भेजेंगे गवर्निंग बॉडी फॉर्म हो जाएगी. इससे पहले जो शिक्षा मंत्री थे मनीष सिसोदिया जी उन्होंने हमें नामों की लिस्ट भेजी थी. लेकिन, क्या है कि इसमें प्रक्रिया की कमी थी क्योंकि सामान्यतः ऐसी लिस्ट एजुकेशन सेक्रेटरी के माध्यम से आती हैं. इसलिए हमने अपने यहां भी उस लिस्ट पर विचार किया. लेकिन, उससे काम नहीं हो पाया. अब दिल्ली सरकार जैसे ही नाम भेजेगी तो गवर्निंग बॉडी बन जाएगी.