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दिल्ली में नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, EWS श्रेणी के चयनित बच्चों को देना होगा एडमिशन

अब दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी नहीं चलने वाले ही. जी हां दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बाबत केजरीवाल सरकार के पक्ष में आदेश जारी (Delhi High Court issued order) किया है. आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि प्राइवेट स्कूल अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रॉ के माध्यम से चुने हुए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को एडमिशन (admission to selected children of EWS category) देने से मना नहीं कर सकेंगे.

Delhi High Court issued order
Delhi High Court issued order
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Published : Dec 17, 2022, 8:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के प्राइवेट स्कूल अब ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों के एडमिशन में अपनी मनमर्जी नहीं चला सकेंगे. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने इस बाबत केजरीवाल सरकार के पक्ष में आदेश जारी (Delhi High Court order in favor of Kejriwal gov) करते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूल अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रॉ के माध्यम से चुने हुए EWS श्रेणी के बच्चों को एडमिशन देने से मना नहीं कर सकेंगे. इस बात की जानकारी दिल्ली सरकार के द्वारा दी गई है.

प्राइवेट स्कूलों को अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रॉ के बाद ईडब्ल्यूएस एडमिशन के लिए जारी किए गए. लिस्ट में शामिल सभी बच्चों को एडमिशन देना होगा और ऐसा न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कारवाई की जाएगी उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद हजारों गरीब परिवारों को राहत मिलेगी और प्राइवेट स्कूल उनके बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेंगे. बता दे कि वर्तमान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के तहत मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां कुल सीटों के 25 फीसदी पर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान है. हर साल सत्र से पहले प्राइवेट स्कूल निदेशालय को अपने यहां एंट्री क्लास की सीटों की संख्या बताते हैं. उसके पश्चात शिक्षा निदेशालय कुल सीटों के 25 फीसदी पर दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगवाती है और फिर ड्रॉ के माध्यम से पारदर्शी तरीके से ईडब्ल्यूडी दाखिलों के लिए बच्चों का चयन करती है और उन्हें स्कूल आवंटित करती है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली नगर निगम: सिर्फ 3 महीने के लिए होगा मेयर का चुनाव, जानें नए अधिनियम के तहत क्या है प्रावधान

शिक्षा विभाग को मिली शिकायत: शिक्षा निदेशालय को पिछले कुछ सालों से इस बात की लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कई प्राइवेट स्कूल अपने यहां आवंटित बच्चों को एडमिशन देने से मना कर रहे हैं. इस बाबत प्राइवेट स्कूल यह तर्क दे रहे थे कि उनके यहां जनरल सीटों पर दाखिला पूरा न होने के कारण वो ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं. इस मामले में यह देखा गया कि कई प्राइवेट स्कूल अपने यहां सामान्य श्रेणी के 3 सीटों पर दाखिला होने के बाद ही ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 1 छात्र को एडमिशन दे रहे थे, जिस कारण ड्रॉ में चयनित बहुत से बच्चों को दाखिले से वंचित रहना पड़ता था. पिछले साल कोरोना महामारी के कारण विशेष परिस्थितियों में शिक्षा निदेशालय ने प्राइवेट स्कूलों को इसके लिए मंजूरी दे दी थी लेकिन स्थिति के सामान्य होने के पश्चात भी कई प्राइवेट स्कूल लगातार ऐसा कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सिख समुदाय पर टिप्पणी मामलाः आरोप पत्र से शिकायतकर्ता का नाम गायब, जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश होने के आदेश

दिल्ली सरकार के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि स्कूल को लगता है कि उसके यहां मौजूद सामान्य सीटें पूरी हर संभव प्रयास के बाद भी नहीं भर पायेगी तो इसके लिए सीटों के आवंटन से पहले संबंधित स्कूल को शिक्षा निदेशालय से अप्रूवल लेना पड़ेगा. प्राइवेट स्कूल ड्रॉ में चयनित किसी भी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेंगे. एक बार शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रा के पश्चात सीटों का आवंटन कर दिया जाता है तो स्कूल उस आवंटित सीट पर बच्चे को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली के प्राइवेट स्कूल अब ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों के एडमिशन में अपनी मनमर्जी नहीं चला सकेंगे. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने इस बाबत केजरीवाल सरकार के पक्ष में आदेश जारी (Delhi High Court order in favor of Kejriwal gov) करते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूल अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रॉ के माध्यम से चुने हुए EWS श्रेणी के बच्चों को एडमिशन देने से मना नहीं कर सकेंगे. इस बात की जानकारी दिल्ली सरकार के द्वारा दी गई है.

प्राइवेट स्कूलों को अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रॉ के बाद ईडब्ल्यूएस एडमिशन के लिए जारी किए गए. लिस्ट में शामिल सभी बच्चों को एडमिशन देना होगा और ऐसा न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कारवाई की जाएगी उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद हजारों गरीब परिवारों को राहत मिलेगी और प्राइवेट स्कूल उनके बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेंगे. बता दे कि वर्तमान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के तहत मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां कुल सीटों के 25 फीसदी पर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान है. हर साल सत्र से पहले प्राइवेट स्कूल निदेशालय को अपने यहां एंट्री क्लास की सीटों की संख्या बताते हैं. उसके पश्चात शिक्षा निदेशालय कुल सीटों के 25 फीसदी पर दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगवाती है और फिर ड्रॉ के माध्यम से पारदर्शी तरीके से ईडब्ल्यूडी दाखिलों के लिए बच्चों का चयन करती है और उन्हें स्कूल आवंटित करती है.

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शिक्षा विभाग को मिली शिकायत: शिक्षा निदेशालय को पिछले कुछ सालों से इस बात की लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कई प्राइवेट स्कूल अपने यहां आवंटित बच्चों को एडमिशन देने से मना कर रहे हैं. इस बाबत प्राइवेट स्कूल यह तर्क दे रहे थे कि उनके यहां जनरल सीटों पर दाखिला पूरा न होने के कारण वो ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं. इस मामले में यह देखा गया कि कई प्राइवेट स्कूल अपने यहां सामान्य श्रेणी के 3 सीटों पर दाखिला होने के बाद ही ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 1 छात्र को एडमिशन दे रहे थे, जिस कारण ड्रॉ में चयनित बहुत से बच्चों को दाखिले से वंचित रहना पड़ता था. पिछले साल कोरोना महामारी के कारण विशेष परिस्थितियों में शिक्षा निदेशालय ने प्राइवेट स्कूलों को इसके लिए मंजूरी दे दी थी लेकिन स्थिति के सामान्य होने के पश्चात भी कई प्राइवेट स्कूल लगातार ऐसा कर रहे हैं.

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दिल्ली सरकार के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि स्कूल को लगता है कि उसके यहां मौजूद सामान्य सीटें पूरी हर संभव प्रयास के बाद भी नहीं भर पायेगी तो इसके लिए सीटों के आवंटन से पहले संबंधित स्कूल को शिक्षा निदेशालय से अप्रूवल लेना पड़ेगा. प्राइवेट स्कूल ड्रॉ में चयनित किसी भी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेंगे. एक बार शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रा के पश्चात सीटों का आवंटन कर दिया जाता है तो स्कूल उस आवंटित सीट पर बच्चे को दाखिला देने से मना नहीं कर सकेगा.

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