नई दिल्ली: दिल्ली पंचायत संघ ने गांवों की पहचान बनाए रखने के लिए आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है. यह संघ की 18 सूत्रीय मांगों में से एक है. पंचायत संघ की मांग है कि दिल्ली के गांवों को भी अपनी पुरानी पहचान व विरासत मिले. इन गांवों ने आजादी की लड़ाई में बहुत बलिदान दिया है. इसके बावजूद गांव हाशिये पर क्यों है.
पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि दिल्ली के हर गांवों की पहचान बनी रहे, इसके लिए गांवों की गौरव गाथा के साथ-साथ दिल्ली गांवों के सभी दस्तावेजों, कुर्सीनामा व वंशावली आदि गांव के प्रवेश द्वार पर सरकार शिलालेख या डिजिटल बोर्ड लगाए. ताकि सभी गांवों के लोगों को अपनी पुरानी पहचान व रि के बारे में जानकारी हो.
पंचायत संघ का कहना है कि हम आजादी के अमृतकाल में हैं, लेकिन दिल्ली का रेवेन्यू विभाग की कार्यशैली आज भी मुगलकाल में कैद पड़ी है. इसके कारण गांवों के लोगों व किसानों को इसकी मार झेलनी पड़ रही हैं. दस्तावेजों के उर्दू व फारसी में होने से गांवों के लोगों को हमेशा संदेह रहता है कि उनके साथ धोखा तो नहीं हो रहा है. पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने बताया कि इसपर गांवों व अधिकारियों की पुराने दस्तावेजों को विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर हिंदी में अनुवाद कराएं. साथ ही इस बात की भी व्यवस्था करें की दस्तावेजों को किसी भी तरह का नुकसान न हो.
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