नई दिल्ली: राजधानी में लापता होने वाले बच्चों को तलाशने के लिए दिल्ली मेट्रो पुलिस एक विशेष अभियान चला रही है. इसके तहत मेट्रो पुलिस ने बीते 2 महीनों में कुल 55 बच्चों को तलाश कर उनके परिवार से मिलवाया है. सबसे खास बात यह है कि इनमें से एक भी मामला मेट्रो पुलिस के पास दर्ज नहीं था.
डीसीपी जितेंद्र मणि ने बताया कि मेट्रो में होने वाले अपराध को लेकर अकसर दिल्ली पुलिस काम करती है. पिछले कुछ समय से पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा लगातार लापता बच्चों को तलाशने पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने मेट्रो में तैनात पुलिसकर्मियों को भी निर्देश दिए कि वह लापता बच्चों को तलाशने में मेहनत करें.
दिल्ली मेट्रो पुलिस के पास बच्चों की गुमशुदगी के मामले नहीं होते हैं. लेकिन इसके बावजूद मेट्रो पुलिस ने इसमें दिलचस्पी दिखाई और लगभग 2 महीने के भीतर उन्होंने 55 बच्चों को तलाश कर उनके परिवार से मिलवाया है.
पुलिसकर्मी ऐसे तलाशते हैं बच्चे
जनकपुरी मेट्रो थाने के एसएचओ केके मिश्रा ने बताया कि डीसीपी जितेंद्र मणि के निर्देश पर उनकी टीम आसपास के थानों में पहुंची और वहां से लापता हुए बच्चों के बारे में जानकारी जुटाई. इन बच्चों को तलाशने का काम उनकी थाने की पुलिस द्वारा किया गया. बीते लगभग डेढ़ महीने में ही उनके थाने की पुलिस ने 11 बच्चों को परिवार से मिलवा दिया है. इनमें 7 साल से लेकर 13-14 साल तक के बच्चे शामिल हैं. इनमें अधिकांश लड़कियां हैं जो अपने परिवार से बिछड़ गई थी.
महिला सिपाही ने बच्ची को बचाया
जनकपुरी थाने में तैनात महिला सिपाही मुकेशी ने बताया कि वह बच्चों को तलाशने के लिए आसपास के थानों से जाकर बच्चों के केस की जानकारी लेती हैं. उसे लेकर वह आगे काम करती हैं. हाल ही में एक मामले में बच्ची के लापता होने की जानकारी उन्हें थाने से मिली थी. परिजनों ने बताया कि उन्हें पास में रहने वाली एक लड़की पर शक भी है.
इस सुराग से जब उन्होंने संदिग्ध लड़की से पूछताछ की तो लापता हो रखी किशोरी के बारे में पता चल गया. यह पता चला कि उसे देह व्यापार में धकेला गया है. इसके बाद अपने साथी पुलिसकर्मियों की मदद से उसने न केवल इस बच्ची को तलाश लिया बल्कि उसे उसके परिवार को भी सौंप दिया. इस मामले में कानूनी कार्यवाही लोकल पुलिस द्वारा ही की जा रही है.
वर्ष 2020 के पुलिस द्वारा जारी आंकड़े
उम्र | गुमशुदा बच्चे | मिले बच्चे |
8 वर्ष | 328 | 226 |
8-12 वर्ष | 385 | 308 |
12-18 वर्ष | 3584 | 2723 |
पुलिस को भी मिलती है खुशी
डीसीपी जितेंद्र मनी ने बताया कि जब मेट्रो में चोरी हुआ मोबाइल किसी शख्स को मिलता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. लेकिन वह जब किसी घर के बेटे या बेटी को तलाश कर उनके परिवार से मिलवाते हैं तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता. कई मामलों में बच्चे लापता होने के बाद से परिजन दर-दर भटक रहे थे. लेकिन उनका बच्चा नहीं मिल रहा था. ऐसे में बच्चे को परिजनों से मिलाकर पुलिस टीम को भी बड़ी खुशी एवं संतोष मिलता है. इसलिए उनकी आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस टीम लापता बच्चों को तलाशने में जुटी हुई है.
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