नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनने से पहले के दो मुख्यमंत्रियों को मिला लें, तो दिल्ली में अब तक 6 पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं. सुषमा स्वराज के देहावसान के साथ ही दिल्ली सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के सानिध्य से दूर हो गई है.
सुषमा स्वराज के निधन के बाद उनको याद करते हुए लोगों के जेहन में दिल्ली के अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों की छवि भी तैरने लगी थी. दुखद इत्तेफाक यह है कि 17 दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का भी निधन हुआ था और करीब एक साल पहले ही मदन लाल खुराना की भी मृत्यु हो गई थी. यानी बीते एक साल में दिल्ली ने अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खो दिया है.
दिल्ली का इतिहास
1956 तक दिल्ली सी-कैटेगरी वाला राज्य था. इस दौरान 1952 से 1955 तक चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे और 1955 से 1956 तक गुरुमुख नानक सिंह. 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनने और इसकी सिफारिशें लागू होने के बाद इन सी-कैटेगरी वाले राज्यों को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया, लेकिन इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गया, जो 1993 तक चला और फिर 1993 में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की पहचान मिली जिसके बाद चुनावों में मदद लाल खुराना जीतकर दिल्ली के मुख्यमंत्री चुने गए.
दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्मप्रकाश
इसी साल दिल्ली ने अपने पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्मप्रकाश को खो दिया. 75 साल की आयु में उनका निधन हो गया. उनके बाद गुरुमुख निहाल सिंह भी गुजर गए. मदन लाल खुराना 2 दिसंबर 1993 को मुख्यमंत्री बने थे, हालांकि वे पूरे 5 साल इस पद पर नहीं रह सके और 26 फरवरी 1996 को साहिब सिंह वर्मा मुख्यमंत्री बने. उन्होंने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाई गईं. उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 की हार तक शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी रहीं.
सबसे ज्यादा समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान
इन चारों मुख्यमंत्रियों में से साहिब सिंह वर्मा 30 जून 2007 को गुजर गए. इसके करीब 11 साल बाद, 27 अक्टूबर 2018 को मदन लाल खुराना का भी निधन हो गया. मदन लाल खुराना को गुजरे 1 साल भी नहीं हुए थे कि दिल्ली के सिर से शीला दीक्षित का साया भी उतर गया, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान स्थापित किया था. दिल्ली अभी इस दुख से उभरी भी नहीं थी कि 17 दिन बाद ही, 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज भी दिल्ली वासियों को अलविदा कह कर चलीं गईं.