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अधिकारियों की मनमानी के चलते अक्षय पात्र संस्था को नहीं किया जा रहा भुगतान, दिल्ली हाईकोर्ट ने डूसिब CEO को किया तलब

अक्षय पात्र फाउंडेशन के भुगतान मामले पर मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. इस दौरान नाराजगी जताते हुए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) की सीईओ गरिमा गुप्ता को सशरीर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने डूसिब CEO को किया तलब
दिल्ली हाईकोर्ट ने डूसिब CEO को किया तलब
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Published : Jul 4, 2023, 7:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के रैन बसेरों में मुफ्त भोजन प्रोजेक्ट के तहत अक्षय पात्र को भुगतान न किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. साथ ही दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) की सीईओ गरिमा गुप्ता को तलब किया कि वह व्यक्तिगत रूप से अगली कोर्ट की तारीख में मौजूद रहें, ताकि वह अक्षय पात्र जैसी प्रसिद्ध संस्था को परेशान करने और जानबूझकर उनका भुगतान रोकने की वजह कोर्ट को बताएं. कोर्ट ने अक्षय पात्र को करीब 10 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करने के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है.

मंत्री के आदेशों का पालन नहीं कर रहे अफसरः सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल संतोष त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने अक्षय पात्र की सारी पेमेंट का भुगतान करने का निर्णय कई हफ्तों पहले दे दिया है, ताकि रैन बसेरों में गरीबों को मिलने वाले भोजन में किसी तरह की रुकावट न हो. मगर फिर भी सारी कार्यवाही होने और चुनी हुई सरकार के मंत्री के स्पष्ट आदेशों के बावजूद कुछ अफसर अपनी मनमानी कर भुगतान नहीं कर रहे हैं. अक्षय पात्र का करीब 10 करोड़ रुपए सरकार पर बकाया है. ऐसे में 10 करोड़ रुपए न मिलने के चलते अक्षय पात्र के लिए रैन बसेरों में लगातार भोजन उपलब्ध कराने में काफी मुश्किल हो रही है.

इससे पहले इस मामले में कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि अक्षय पात्र द्वारा दिए जाने वाला भोजन क्यों बंद किया गया. इस संबंध में दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार गरीब व बेसहारा लोगों को भोजन उपलब्ध करना चाहती है. मगर कुछ अफसरों की मनमानी के कारण अक्षय पात्र का पेमेंट रोका गया था. इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सख्त आदेश दिए कि अक्षय पात्र द्वारा रैन बसेरों में भोजन उपलब्ध कराना दोबारा शुरू किया जाए. साथ ही अक्षय पात्र की सारी पेमेंट का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए.

क्या है मामलाः कोविड-19 महामारी के चलते राजधानी में कई बार लॉकडाउन लगाया गया था. ऐसे में राजधानी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए थे और भूखे रहने को मजबूर थे. इसे गंभीरता से लेते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहल करते हुए तत्काल राहत पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार के रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोगों को मुफ्त भोजन वितरित करने का निर्णय लिया. दिल्ली सरकार के तहत के विभिन्न आश्रयों में रहने वाले सभी बेघर लोगों को एक गैर सरकारी संगठन अक्षय पात्रा फाउंडेशन द्वारा मुफ्त में भोजन दिया जाता है. इसके लिए दिल्ली सरकार अक्षय पात्र को पेमेंट करती है. मगर पिछले कुछ महीनों में देखा गया था कि कुछ अफसरों ने अपनी मनमानी करते हुए अक्षय पात्र को दिए जाने वाले भुगतान को रोक दिया. इसके चलते बकाया इतना बढ़ गया कि रैन बसेरों में खाना देना बंद कर दिया.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के रैन बसेरों में मुफ्त भोजन प्रोजेक्ट के तहत अक्षय पात्र को भुगतान न किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. साथ ही दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) की सीईओ गरिमा गुप्ता को तलब किया कि वह व्यक्तिगत रूप से अगली कोर्ट की तारीख में मौजूद रहें, ताकि वह अक्षय पात्र जैसी प्रसिद्ध संस्था को परेशान करने और जानबूझकर उनका भुगतान रोकने की वजह कोर्ट को बताएं. कोर्ट ने अक्षय पात्र को करीब 10 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करने के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है.

मंत्री के आदेशों का पालन नहीं कर रहे अफसरः सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल संतोष त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने अक्षय पात्र की सारी पेमेंट का भुगतान करने का निर्णय कई हफ्तों पहले दे दिया है, ताकि रैन बसेरों में गरीबों को मिलने वाले भोजन में किसी तरह की रुकावट न हो. मगर फिर भी सारी कार्यवाही होने और चुनी हुई सरकार के मंत्री के स्पष्ट आदेशों के बावजूद कुछ अफसर अपनी मनमानी कर भुगतान नहीं कर रहे हैं. अक्षय पात्र का करीब 10 करोड़ रुपए सरकार पर बकाया है. ऐसे में 10 करोड़ रुपए न मिलने के चलते अक्षय पात्र के लिए रैन बसेरों में लगातार भोजन उपलब्ध कराने में काफी मुश्किल हो रही है.

इससे पहले इस मामले में कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि अक्षय पात्र द्वारा दिए जाने वाला भोजन क्यों बंद किया गया. इस संबंध में दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार गरीब व बेसहारा लोगों को भोजन उपलब्ध करना चाहती है. मगर कुछ अफसरों की मनमानी के कारण अक्षय पात्र का पेमेंट रोका गया था. इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सख्त आदेश दिए कि अक्षय पात्र द्वारा रैन बसेरों में भोजन उपलब्ध कराना दोबारा शुरू किया जाए. साथ ही अक्षय पात्र की सारी पेमेंट का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए.

क्या है मामलाः कोविड-19 महामारी के चलते राजधानी में कई बार लॉकडाउन लगाया गया था. ऐसे में राजधानी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए थे और भूखे रहने को मजबूर थे. इसे गंभीरता से लेते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहल करते हुए तत्काल राहत पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार के रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोगों को मुफ्त भोजन वितरित करने का निर्णय लिया. दिल्ली सरकार के तहत के विभिन्न आश्रयों में रहने वाले सभी बेघर लोगों को एक गैर सरकारी संगठन अक्षय पात्रा फाउंडेशन द्वारा मुफ्त में भोजन दिया जाता है. इसके लिए दिल्ली सरकार अक्षय पात्र को पेमेंट करती है. मगर पिछले कुछ महीनों में देखा गया था कि कुछ अफसरों ने अपनी मनमानी करते हुए अक्षय पात्र को दिए जाने वाले भुगतान को रोक दिया. इसके चलते बकाया इतना बढ़ गया कि रैन बसेरों में खाना देना बंद कर दिया.

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